Wednesday 30 September 2015

द्वार के आर-पार

दरवाजा किसी भवन या कमरे में प्रवेश ही नियंत्रित नहीं करता, एक संसार को दूसरे संसार से जोड़ता या विभाजित भी करता है। इसका यह गुण इसे एक खास तिलस्म प्रदान करता है। द्वार किसी राज को राज बनाए रखने वाले प्रहरी की भूमिका भी निभाते हैं। ऐसे में बंद द्वार किसी रहस्य, किसी तिलस्म का प्रतीक बन बैठे, तो क्या आश्चर्य? खास तौर से तब, जब इसके उस पार के संसार को कभी देखा न गया हो...
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कभी गौर किया है कि एक दिन में आप कितने दरवाजों के आर-पार आते-जाते हैं? नहीं न? गौर करेंगे भी क्यों, दरवाजों से निकलना है ही इतनी 'रुटीन" गतिविधि कि हम इसे बस यूं ही कर जाते हैं। मगर दरवाजे इस रुटीन से आगे भी बहुत कुछ हैं। कहने को ये एक बंद दायरे में आने-जाने का मार्ग हैं, सुरक्षा का उपाय हैं, एक हद तक कलात्मकता का प्रदर्शन करने का जरिया भी हैं। मगर दरवाजों का प्रतीकात्मक और बिंबात्मक महत्व इससे कहीं बढ़कर है। बंद द्वार किसी रहस्य पर पड़े पर्दे के सदृश्य भी होेता है। आपको नहीं पता होता कि इसे खोलते ही उस पार कौन-सा संसार आपका इंतजार कर रहा होगा। क्योंकि यह एक भवन या कमरे में प्रवेश ही नियंत्रित नहीं करता, एक संसार को दूसरे संसार से जोड़ता या विभाजित भी करता है। इसका यह गुण इसे एक खास तिलस्म प्रदान करता है। फिर, यह भी सच है कि द्वार केवल सुरक्षा और निजता की रक्षा ही नहीं करते, ये किसी राज को राज बनाए रखने वाले प्रहरी की भूमिका भी निभाते हैं। ऐसे में बंद द्वार किसी रहस्य, किसी तिलस्म का प्रतीक बन बैठे, तो क्या आश्चर्य? खास तौर से तब, जब इसके उस पार के संसार को कभी देखा न गया हो...
खुला द्वार एक अवसर प्रदान करता है... नए संसार में प्रवेश करने, उसे जानने-समझने, उसे फतह करने का। वहीं बंद द्वार प्रगति की राह में बाधा बनकर खड़ा रहता है। वह आपको चुनौती देता है उसे खोलने और आगे बढ़ जाने की। इस मायने में हर बंद द्वार एक अवसर भी होता है और चुनौती भी। खुला द्वार स्वागत का संदेश देता है। कहा भी जाता है न, 'तुम्हारे लिए मेरे घर के द्वार सदा खुले हैं।" वहीं 'मेरे लिए तो सारे दरवाजे बंद हो चुके हैं" घोर निराशा को अभिव्यक्त करता है। उस स्थिति को, जिसमें कोई राह न दिख रही हो।
प्राचीन मिस्र में कब्र पर उकेरे गए दरवाजे के चित्र 'इस" लोक और 'उस" लोक के बीच संवाद के सूचक हुआ करते थे। ग्रीस में दो सिर वाले देवता जेनस को आरंभ और पारगमन का देवता माना जाता था। प्रकारांतर से वे द्वारों के देवता भी थे। आखिर द्वार को पार करने से ही तो नए सफर, नए अध्यायों का आरंभ होता है। जेनस अपने दो चेहरों से अतीत और भविष्य की ओर देखते हैं। द्वार के भी तो इस ओर अतीत तथा उस ओर भविष्य की राह होती है। अतीत और भविष्य के बीच खड़े जेनस संक्रमण-काल के प्रतीक हैं। वैसे ही, जैसे जीवन के सफर में एक द्वार अतीत और भविष्य के मध्य संक्रमण का प्रतीक है।
चीन में द्वारपाल देवताओं, जिन्हें मेनशेन कहा जाता है, की तस्वीरें मंदिरों, घरों, दुकानों आदि के दरवाजों पर उकेरने की परंपरा रही है। माना जाता है कि ये बुरी शक्तियों को द्वार से प्रवेश करने से रोकते हैं। खास बात यह कि ये द्वारपाल देवता एक समान नहीं होते। अलग-अलग कालखंडों में और अलग-अलग जगहों पर भिन्ना-भिन्ना देवताओं को दरवाजों पर तैनात किया जाता रहा है। समान बात यह है कि इन्हें हमेशा एक-दूसरे की ओर मुंह किए ही दर्शाया जाता है। इन्हें एक-दूसरे को पीठ किए दर्शाना अशुभ माना गया है। यह परंपरा कैसे शुरू हुई, इस बात को लेकर अनेक किस्से चले आए हैं। इन्हीं में से एक के अनुसार सातवीं सदी में ताई जोंग नामक सम्राट बुरी तरह बीमार पड़ गए थे। माना गया कि उन्हें बुरी आत्माओं ने जकड़ रखा था। तब उनकी सेना के दो जनरल राजमहल के मुख्य द्वार पर पहरा देने लगे। इधर सम्राट को स्वास्थ्य लाभ होने लगा और शीघ्र ही वे पूरी तरह स्वस्थ हो गए। उन्हें विश्वास हो गया कि द्वार पर खड़े उनके सेनापतियों के कारण ही बुरी आत्माएं उन्हें छोड़कर चली गईं। सम्राट ने फरमान जारी कर दिया कि इन दोनों के चित्र स्थायी रूप से राजमहल के मुख्य द्वार पर लगाए जाएं और इन्हें द्वारपाल देवता कहा जाए। देखते-देखते आम लोग भी अपने दरवाजों पर द्वारपाल देवता तैनात करने लगे। हर साल नव वर्ष के अवसर पर द्वारपाल देवताओं के इन चित्रों को नए सिरे से रंगा जाता है या पुराने चित्र हटाकर नए चित्र लगाए जाते हैं।
दरवाजों को लेकर अलग-अलग स्थानों पर भांति-भांति के अंधविश्वास भी चले आ रहे हैं। कुछ भोले-से, तो कुछ अटपटे-से। मसलन, यह विश्वास अनेक स्थानों पर प्रचलित है कि पहली बार किसी घर में प्रवेश पिछले दरवाजे से नहीं करना चाहिए। आयरलैंड में आप जिस दरवाजे से भीतर आए, उसी दरवाजे से बाहर जाना शुभ माना जाता है। तुर्की में लोग कहते हैं कि रात के वक्त किसी दरवाजे के पीछे बैठना अशुभ होता है। यदि आपने ऐसा किया, तो आप पर कोई लांछन लग जाएगा!

है ना साधारण-से दरवाजों का संसार दिलचस्प? तो अब जब आप किसी दरवाजे को पार करें, तब इसे कोई मामूली गतिविधि न समझें। इसके मायने 'मामूली" से कहीं बढ़कर हैं...। 

Sunday 20 September 2015

जब कोई तारा टूटे

अगर कोई तारा टूटता हुआ दिखे, तो आप क्या करते हैं? कोई वर मांगते हैं या फिर किसी दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं? आपको शायद यकीन न हो मगर कुछ लोग तो इसे देखकर मृत्यु की छानबीन तक करने लगते हैं...!
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आसमान के तारों को मनुष्य ने हमेशा अपने से ऊंचे मुकाम पर देखा है। भौतिक या वास्तविक रूप से ही नहीं, प्रतीकात्मक रूप से भी। रात के अंधियारे में अपनी रोशनी का तिलस्म बिखेरते सितारे देवताओं की बस्ती होने का भ्रम भी सिरजते आए हैं। ऐसे चमत्कारी, तिलस्मी, अलौकिक शक्ति से भरे तारों का 'टूटना" और आसमान से 'गिर पड़ना" कल्पना से परे लगता है मगर जब आंखें प्रत्यक्ष रूप से ऐसा होते देखें, तो इसे कैसे नकारा जाए! किसी 'टूटते" तारे के दर्शन ने पहले-पहल इंसान को किस कदर भ्रम और भय से भर दिया होगा, आज के विज्ञान के युग में इसकी कल्पना करना भी कठिन है। तो इंसान ने तारों के इस पतन की विवेचना करने की कोशिश की। इसके पीछे के कारणों को जानना चाहा और इस 'जानने" के फेर में कुछ ऐसे विश्वास गढ़े, जो सदियों तक आस्था के आसमान पर टिमटिमाते रहे।
टूटते-गिरते तारों को लेकर ऐसा ही एक विश्वास पश्चिम में जन्मा लेकिन भारत में भी हममें से कई बचपन से ही उससे वाकिफ रहे हैं। वह यह कि अगर कोई तारा टूटता हुआ नजर आए, तो तुरंत कोई 'विश" मांग लो। जो मांगोंगे, वह मिलेगा। किसी किस्म की टूट-फूट या पतन/ह्रास पर अपनी इच्छाओं की पूर्ति की कामना करना अटपटा तो लगता है लेकिन यह सदियों से चला आया जन-विश्वास है। कहते हैं कि इसकी उत्पत्ति दूसरी सदी में तब हुई, जब ग्रीक खगोलविद टोलेमी ने अपना अनोखा सिद्धांत पेश किया। उन्होंने कहा कि आसमान में अपनी अलग दुनिया में विराजे देवता कभी-कभी उत्सुकता या फिर बोरियत के चलते हम मनुष्यों के संसार यानी पृथ्वी पर निगाह डाल देते हैं। इस दौरान दोनों लोकों के बीच का झरोखा कुछ पल के लिए खुल जाने की वजह से वहां के कुछ तारे गिरकर धरती की ओर आने लगते हैं। चूंकि यही वह वक्त होता है, जब देवताओं की नजरें हमारे लोक पर और हम पर इनायत होती हैं, सो इस क्षण में मांगी जाने वाली मुराद उन तक पहुंचने और पूरी होने की संभावना बढ़ जाती है..! कहिए, हुई ना मासूम कल्पनाशक्ति की गगनचुंबी उड़ान?
सच तो यह है कि ये कथित टूटते तारे 'उल्काएं" हैं। यानी अंतरिक्ष में सफर करते ऐसे पिंड, जो पृथ्वी के वातावरण में प्रवेश कर जाने पर घर्षण के मारे जल उठते हैं। हमें जीवन देने वाला वातावरण इन आसमानी पिंडों की मौत का कारण बन बैठता है। ... और मरते-मरते ये जिंदा कर जाते हैं कई मिथकों को।
मध्य योरप में लोग यह मानते आए हैं कि धरती पर मौजूद प्रत्येक मनुष्य के नाम का एक तारा आकाश में विद्यमान है। जब भी धरती पर कोई मृत्यु को प्राप्त होता है, तब आसमान में उसका तारा टूटकर गिरता है। सो टूटता तारा देखकर वे उस अनजान दिवंगत आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना करते हैं। जर्मनी के स्वाबिया नामक इलाके में टूटता तारा दिखना आने वाले वर्ष के शुभ होने का संकेत समझा जाता था। मगर चूंकि अति हर चीज की बुरी होती है, सो यह भी कहा जाता था कि अगर आपने एक ही रात में तीन तारों को टूटते हुए देख लिया, तो आपकी मृत्यु निश्चित है! स्विट्जरलैंड के लोग उल्काओं में साक्षात ईश्वर की शक्ति विद्यमान होना मानते थे। वहीं जापानी लोगों में यह आस्था रही है कि अगर कोई तारा टूटकर आपकी ओर आता दिखाई दे, तो अपने किमोनो के कॉलर खोल दें ताकि उसका शुभत्व आपके भीतर समा जाए...!
प्राचीन काल में मेसोपोटामिया और उत्तरी योरप के लोग उल्काओं को आकाश से अवतरित होती शैतानी शक्तियों के रूप में देखते थे। वहीं मध्य-पूर्व में इन्हें स्वर्ग से पतित/ निष्कासित देवदूत समझा जाता था। उत्तरी अमेरिका की एक जनजाति में पाहोकाटा नामक आदमी की कहानी प्रचलित रही है, जिसे जंगली जानवर खा गए थे। उसकी आत्मा स्वर्ग पहुंची, तो देवताओं ने उसे फिर जीवित कर दिया और उल्का के रूप में वापस धरती पर भेज दिया। इस प्रकार उल्काएं मृत्यु के बाद पुनर्जीवन की प्रतीक बन गईं।

पूर्वी योरप के देश बेलारूस में टूटते तारे को लेकर कुछ ज्यादा ही विस्तृत विवेचना की गई है। यहां तक कि उसके गिरने के अंदाज से इस बात के कयास लगाए जाते हैं कि वह जिसकी मौत का सूचक है, उसकी मृत्यु कैसी रही होगी। जैसे यह कि यदि तारा सीधे-सीधे गिर रहा है, तो सामान्य मृत्यु हुई है। मगर यदि वह बिखरते हुए गिर रहा है, तो मामला हत्या का है! वहीं अगर तारा टूटकर कभी इधर तो कभी उधर जाता हुआ दिख रहा है, तो जरूर किसी ने आत्महत्या की है...। मजेदार बात यह है कि बेलारूस में ही कहीं-कहीं टूटते तारे को मृत्यु के बजाय जन्म का सूचक भी माना गया है। इसके अनुसार, अगर कोई तारा टूटता है, तो इसका यह मतलब है कि कहीं किसी नाजायज संतान ने जन्म लिया है..!