Sunday 14 February 2016

गहराइयों का ज्ञात और अज्ञात

जलमग्न शहरों ने हमें हमेशा से रोमांचित किया है। जलमग्न संसार में रहने वाले तिस्लमी जीवों को भी हम मानते आए हैं। विज्ञान जैसे-जैसे समुद्र के राज उजागर कर रहा है, वैसे-वैसे मिथकीय किस्से वास्तवकिता के दायरे में आने को तत्पर हो रहे हैं।
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जो रोजमर्रा के दायरे से बाहर की चीज होती है, वह हमेशा एक कौतुहल भरा आकर्षण रखती है। यूं सभ्यताएं हमेशा से जल-स्रोतों के किनारे पनपती आई हैं मगर इन जल-स्रोतों की गहराइयां लंबे समय तक मनुष्य की पहुंच से बाहर ही रहीं। नतीजा यह हुआ कि इन गहराइयों का अज्ञात संसार कई तरह के मिथकीय किस्से-कहानियों का केंद्र बना। सदियों बाद, जब विज्ञान ने नदियों, झीलों, सागरों और महासागरों की गहन गहराइयों में जाने की सुविधा दे दी, तो यह हमारे लिए रोमांचक खेलों का सबब भी बना और खोज का भी। शौकिया तौर पर डीप-सी डाइविंग करने से हुई शुरूआत पानी के नीचे शादी करने, पानी के नीचे होटल-रेस्तरां चलाने तक जा पहुंची। इसके साथ ही पानी की सतह से नीचे, बहुत नीचे मिले कई रहस्यमयी अवशेषों ने उन पुराने किस्सों और विश्वासों को एक प्रकार से नया जीवन दे डाला।
ज्ञात, अज्ञात और अर्द्धज्ञात जलमग्न शहरों-सभ्यताओं के किस्से-कहानियों ने कई पीढ़ियों को रोमांचित किया है। संभवत: ऐसा सबसे प्रसिद्ध किस्सा एटलांटिस शहर का है, जिसका वर्णन ग्रीक दार्शनिक प्लेटो ने ईसा पूर्व 360 में किया था। इसके अनुसार, एक विशाल द्वीप पर स्थित इस शहर का अस्तित्व प्लेटो के काल से 9,000 साल पहले था। यहां के लोग अत्यंत गुणी, आध्यात्मिक और सैन्य रूप से शक्तिशाली थे मगर अंतत: वे लोभ और नैतिक पतन के शिकार हो गए और एथेन्स पर हमला कर बैठे। वे इस युद्ध को तो हार ही गए, जल्द ही एक भीषण भूकंप की वजह से महज एक दिन और एक रात में यह विशाल द्वीप समुद्र की गहराइयों में समा गया। माना जाता है कि यहां के लोगों के नैतिक पतन के कुपित होकर देवताओं ने उन्हें यह सजा दी थी। एटलंटिस की कहानी को सच्ची मानने वाला एक वर्ग लंबे समय से अटलांटिक महासागर में इसकी खोज करता आया है।
इधर कई जगहों पर प्राचीन जलमग्न बसाहटों के पाए जाने से ऐतिहासिक घटनाओं और पौराणिक कथाओं को नई रोशनी में देखा जाने लगा है। खंबात की खाड़ी में इस सदी की शुरूआत में पाए गए अवशेषों को भगवान कृष्ण की द्वारिका के अवशेष माना गया है। इसी तरह, प्राचीन मिस्र की महारानी क्लियोपेट्रा की राजधानी एलिक्जेंड्रिया के जलमग्न अवशेष 1998 में पाए गए। माना जाता है कि यह शहर करीब डेढ़ हजार साल पहले डूब गया था। यहां कई पुरावशेष लगभग साबुत हालत में मिले हैं। ग्रीस में समुद्र के नीचे 5,000 साल पुराने पावलोपेट्री शहर के अवशेष मिले हैं।

यह तो हुई कभी सतह से ऊपर रहे और फिर किसी कारण पानी में समा गए शहरों की बात। अनेक संस्कृतियों में ऐसे मनुष्य-सदृश प्राणियों का उल्लेख आता है, जो पानी के भीतर ही रहते हैं। मसलन, जापान में कप्पा नामक जल-जीवों के बारे में बताया जाता है, जो बड़े शरारती होते हैं। वे पानी के किनारे पर आने वालों को डराते हैं और कभी-कभी डुबोकर उनका खून भी पी लेते हैं। नॉर्वे और आइसलैंड के समुद्र में क्रेकन नामक जल-दानव के बारे में बताया जाता है, जो आते-जाते जहाजों पर हमला कर देता है। स्कॉटलैंड में ऐशरे नामक जल-जीवों के होने की मान्यता है, जो पूरी तरह पारदर्शी होते हैं और केवल रात में ही विचरते हैं। यदि इन्हें पकड़कर रोशनी में लाया जाए, तो ये पिघल जाते हैं। स्कॉटलैंड में ही फिनफोक नामक समुद्रवासी जीवों के बारे में बड़ी ही दिलचस्प मान्यता है। फिनफोक नर और मादा एक-दूसरे से ब्याह नहीं कर सकते क्योंकि यदि ऐसा किया, तो मादा अपना सौंदर्य और तिलस्मी शक्तियां खो देगी तथा हर एक साल में सात-सात साल बुढ़ाती जाएगी। इसलिए फिनफोक नर जहां मानव बस्तियों में घुसकर महिलाओं को उठा ले जाते हैं और उनसे ब्याह करते हैं, वहीं मादाएं पुरुषों का अपहरण कर उनसे शादी करती हैं। स्त्री हो या पुरुष, फिनफोक से शादी के बाद मानव को एक तरह से गुलाम बनकर ही रहना होता है, वह भी पानी की सतह के नीचे...!