Thursday, 29 March 2012

आँखों में धूल झोंककर आते सपने...!

सपनों की दुनिया ने सदा मानव को चमत्कृत किया है और इसके रहस्यों को जानने के प्रयास आज भी बदस्तूर जारी हैं।
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पश्चिमी लोक कथाओं में एक बड़ा खास पात्र आता है, जिसे आम भाषा में 'सैंडमैन" कहते हैं। यह रेत पुरुष कोई भवन निर्माण मजदूर नहीं है और ही यह समुद्र तटों पर रेत से आकृतियाँ उकेरता है। यह तो एक खास किस्म की रेत लेकर आता है, जो बड़ी करामाती होती है। यह रेत हम जैसे आम इंसानों को, खास तौर पर हमारे बच्चों को नींद और फिर सपनों की सुहानी दुनिया में ले जाती है। कथाओं के अनुसार यह सैंडमैन रात के अँधियारे में लोगों की आँखों में कुछ रेत या धूल के कण छिड़क जाता है, जिससे वे नींद की आगोश में चले जाते हैं और सपने देखने लगते हैं।
प्रख्यात डैनिश लेखक हान्स क्रिश्चियन एंडरसन ने तो एक जगह सैंडमैन के वर्णन में लिखा है कि वह बच्चों को तरह-तरह की मजेदार कहानियाँ सुनाना चाहता है लेकिन वह चाहता है कि बच्चे खामोशी से कहानी सुनें। चूँकि बच्चे जागते हुए तो चुप रह नहीं सकते, इसलिए वह चुपके से आकर उनकी आँखों में रेत के कण डाल देता है ताकि वे आँखें मूँद लें और फिर उनकी गर्दन पर फूँक मारकर उन्हें सुला देता है। इसके बाद वह बच्चों के बिस्तर पर अपना आसन जमाता है और उन्हें कहानियाँ सुनाता है, जिन्हें वे सिर्फ सुनते हैं, बल्कि सपने के रूप में 'देखते" भी हैं! एंडरसन आगे यह भी कहते हैं कि सैंडमैन अपने दोनों बगल में दो छाते लेकर चलता है। एक छाते को खोलने पर उसके भीतरी हिस्से में सुंदर चित्र नजर आते हैं, जबकि दूसरे छाते में कोई चित्र नहीं होता। सैंडमैन अच्छे बच्चों के ऊपर पहला वाला छाता तान देता है, जिससे वे रात भर सुंदर सपने देखते हैं। शैतानी करने वाले बच्चों के ऊपर वह दूसरा छाता तानता है और वे बिना कोई सपना देखे ही सुबह जाग जाते हैं।
नींद और सपने हमारे जीवन के अनमोल तोहफे हैं। हमारे शारीरिक-मानसिक कुशलक्षेम के लिए दोनों बहुत जरूरी हैं। नींद दिन भर की भागदौड़ और तनावों-झंझटों से कुछ घंटों की नियमित मुक्ति का दूसरा नाम है और सपनों की तो खैर बात ही निराली है। ये दोनों इतने महत्वपूर्ण हैं कि यूनानी और रोमन पौराणिक कथाओं में नींद और सपनों के पृथक देवता भी हैं। प्राचीन यूनान में नींद के देवता के रूप में हिप्नॉस प्रतिष्ठित थे। हिप्नॉस अंधकार के देवता तथा रात्रि की देवी के पुत्र थे। उनका भाई मृत्यु का देवता था। यही नहीं, उनकी पत्नी मतिभ्रम की देवी थी और उनके विभिन्न बेटे अलग-अलग तरह के सपनों के देवता थे। इनमें प्रमुख था मॉर्फियस, जो चाहे जैसा मानव रूप लेकर लोगों के सपनों में सकता था। एक अन्य पुत्र बड़े-बड़े डरावने जानवरों का रूप लेकर लोगों को डरावने सपने दिखाता था। तीसरा पुत्र निर्जीव वस्तुओं के रूप में सपनों में आता था। चौथा पुत्र यथार्थवादी था, वह बिलकुल सच लगने जैसे सपने दिखाता था। हिप्नॉस पाताल-लोक स्थित एक गुफा में रहते थे, जिसके प्रवेश द्वार पर कई तरह के नशीले पौधे उगते थे। स्मृतिलोप की नदी भी इसी गुफा में से बहती थी। गुफा की रखवाली करती थी निष्क्रियता की देवी।
वाह, कितनी खूबसूरती से विषय के हर पहलू का समावेश करते हुए परिवार के एक-एक सदस्य को गढ़ा गया है! अंधकार, रात्रि, निद्रा, चिरनिद्रा, मतिभ्रम, नशा, निष्क्रियता और हर तरह के स्वप्न एक ही छत के नीचे! हर पहलू के दैवीय प्रतीक गढ़कर इनके मानवीय नियंत्रण से परे होने और इसलिए पूरी तरह हमारी समझ की जद में आने का सिद्धांत प्रतिपादित किया गया है। सपनों की दुनिया ने सदा मानव को चमत्कृत किया है और इसके रहस्यों को जानने के प्रयास आज भी बदस्तूर जारी हैं। 'सपनों का सच होना" परम लक्ष्य को पा लेने का पर्याय-सा बन गया है। सपनों के सच होने की कथाएँ भी कम नहीं हैं। कितने ही किस्से हैं कि फलाँ व्यक्ति को सपना आया कि फलाँ जगह पर खजाना गड़ा है और जागने पर जब उसने उस स्थान पर जाकर खुदाई की तो वाकई खजाना निकल आया। भविष्यकथन करने वाले सपनों के किस्सों की तो भरमार है विश्व भर की पौराणिक लोक-कथाओं में। संत-महात्माओं, धर्म प्रवर्तकों के जन्म से पहले उनकी माता को कोई दैवीय स्वप्न आने की बात कई बार, कई जगहों पर कही गई है। कहते हैं कि पुराने जमाने में कई राजाओं के दरबार में ऐसे विशेषज्ञ भी रखे जाते थे जो राजा रानी को आए सपनों का विश्लेषण कर बताएँ कि ये किसी अच्छी खबर का पैगाम सुना रहे हैं या फिर किसी अनिष्ट के प्रति सावधान कर रहे हैं।
सपनों का उल्लेख जहाँ मोटे तौर पर रुचिकर फंतासी को लेकर होता है, वहीं डरावने सपनों का संसार भी कम विस्तृत नहीं है। इंग्लैंड तथा उत्तरी अमेरिका में प्रचलित लोक कथाओं में एक ऐसी दुष्ट बुढ़िया का उल्लेख आता है, जो सोने वाले की छाती पर बैठकर उसे डरावने सपने दिखाती है। जब व्यक्ति घबराकर जाग जाता है, तो कुछ देर के लिए हिल-डुल पाता है और ही साँस ले पाता है।
ब्राजील में एक ऐसे बालक की कहानी सुनाई जाती है, जो जंगल में एक तिलस्मी वृक्ष की छाँव में सोकर सपनों की दुनिया में पहुँच जाता था। सपनों में ही वह एक विद्वान से ज्ञान अर्जित करता रहा और फिर उस ज्ञान की शक्ति से गाँववालों की मदद करने लगा। उसका आभार मानने के बजाए गाँववाले उससे ईर्ष्या करने लगे। उन्होंने उसे मारने की कोशिश भी की लेकिन अपनी शक्तियों के बल पर वह बच निकला। एक बार उसने गाँववालों को माफ कर दिया लेकिन जब दोबारा उसे मारने की कोशिश हुई, तो वह हमेशा के लिए गाँववालों को छोड़कर चला गया।
रामायण में : माह सोने वाले कुंभकरण का अलग ही स्थान है और आज भी हमारे यहाँ सोने वाले को जगाने के लिए उसे 'कुंभकरण की औलाद" का ताना दिया जाता है। उधर उत्तरी अमेरिका में रिप वैन विंकल की कथा बड़ी ही लोकप्रिय है, जो अपने आलसी स्वभाव के कारण पत्नी के अंतहीन तानों का शिकार होता रहता था। एक दिन श्रीमती के तानों से बचने के लिए श्रीमान जंगल में जाकर ऊँचे पहाड़ पर ऐसे सोए कि पूरे बीस साल बाद जागे! अब यह तो आलस की हद ही हुई ना? इस बीच उनकी पत्नी दिवंगत हो चुकी थी, बच्चे बड़े हो चुके थे और उनका देश ब्रिटिश शासन से आजाद भी हो चुका था! अब यह निर्णय कथा सुनने वाले पर छोड़ दिया जाता है कि रिप इस मायने में दुर्भाग्यशाली था कि वह ऐतिहासिक घटनाओं का साक्षी होने से वंचित रह गया या फिर इस मायने में सौभाग्यशाली था कि नींद से तभी जागा जब ताने बचे थे और ताने देने वाली बीवी!

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