एक देवी द्वारा मनुष्य से शादी करने पर नाराज देवता तब संतुष्ट हुए, जब मदिरा से
परिचित होकर मनुष्य देवों के 'समकक्ष" हो गए...!
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उत्तर कोरिया के सर्वेसर्वा किम जोंग उन निरंतर मानव मात्र के कल्याण
हेतु जुटे हुए हैं। अपने सभी देशवासियों के लिए अपनी व अपनी धर्मपत्नी की
हेयरस्टाइल को अनिवार्य करने और अमेरिका को नेस्तनाबूद करने में सक्षम हाइड्रोजन
बम बनाने (का दावा करने) के बाद उन्होंने
एक और क्रांतिकारी उपलब्धि का ऐलान करवाया है। दावा है कि उत्तर कोरिया के वैज्ञानिकों
ने एक ऐसी शराब का आविष्कार किया है, जिसे पीने के बाद हैंगओवर नहीं होगा।
खबर में स्पष्ट किया गया है कि इस शराब से नशा तो जरूर होगा, बस हैंगओवर नहीं
होगा। किम साहब की प्राथमिकताओं की दाद देनी होगी। उत्तर कोरिया लगातार खाद्यान्ना
की कमी से जूझता आया है। वर्तमान में भी वहां सूखे की वजह से हालात गंभीर हैं और
खुद सरकारी मीडिया ने इसे पिछले 100 वर्षों का सबसे भयावह सूखा बताया है।
ऐसे में किम महोदय के नेतृत्व में उनके यशस्वी वैज्ञानिकों ने हैंगओवर-मुक्त मदिरा के
निर्माण में अपना समय, ऊर्जा और प्रतिभा उड़ेल दी, इसे आप क्या कहेंगे...! खैर, अपनी उपलब्धियों
पर गर्व करने का अधिकार हर देश को है, सो उत्तर कोरिया भी निश्चित ही
गौरवान्वित है। वहां धर्म का चलन बहुत अधिक नहीं है मगर यदि होता, तो शायद व्यक्ति-पूजा के लिए
कुख्यात इस देश में किम जोंग उन को बाकी तमाम उपाधियों के अलावा मदिरा के देवता का
तमगा भी मिल गया होता...!
यदि ऐसा हो जाए, तो किम मदिरा के देवता/देवियों की लंबी
फेहरिस्त के नवीनतम सदस्य बन जाएंगे। शराब का निर्माण पहले-पहल कहां और
किसने किया,
यह ठीक-ठीक बताना मुश्किल है मगर इतना तय है कि सभी प्राचीन सभ्यताओं में किसी-न-किसी रूप में
इसका निर्माण और सेवन होता था। इसके गुणों का महिमामंडन भी किया जाता था और इसके
दुष्प्रभावों के प्रति आगाह भी। मजेदार बात यह है कि अन्ना के देवी-देवताओं की तर्ज
पर अनेक संस्कृतियों में मदिरा के देवी-देवता भी हुए हैं। अफ्रीका में जुलु
जनजाति मबाबा मवाना वरेसा नामक देवी को मानता आया है, जो वर्षा, कृषि और उर्वरता
की देवी होने के साथ-साथ मदिरा की देवी भी हैं क्योंकि उन्हीं ने मनुष्यों को मदिरा बनाना
सिखाया। इसके पीछे एक बड़ी रूमानी कहानी बताई जाती है। इसके अनुसार, मबाबा को
स्वर्गलोक में अपने लिए कोई योग्य वर नहीं मिला, तो वे उसकी तलाश
में पृथ्वीलोक पर पधारीं। यहां उनकी भेंट एक चरवाहे से हुई और वे उसे दिल दे
बैठीं। दोनों ने शादी कर ली और सुख से रहने लगे। मगर स्वर्गलोक में इस रिश्ते को
लेकर बड़ी नाराजगी थी। देवता मनुष्यों को हेय समझते थे और इस बात को स्वीकार नहीं
कर पा रहे थे कि एक देवी ने एक साधारण मनुष्य से विवाह किया है। तब मबाबा ने
मनुष्यों के लिए मदिरा बनाई और इसे बनाने की विधि भी उनसे साझा की। अब तक देवताओं
का विशेषाधिकार रही मदिरा को पीकर मनुष्य भी एक प्रकार से देवताओं के समकक्ष आ गए
और फिर देवताओं को इस रिश्ते पर नाराजगी नहीं रही...!
ग्रीस में डायोनाइसस और रोम में बैकस को मदिरा के देवता का खिताब मिला
हुआ है। डायोनाइसस को ऐसे लोगों का रक्षक भी माना जाता है, जो परंपरागत समाज
के नहीं हैं या कहें कि बहिष्कृत हैं। उन्हें अक्सर एक भव्य जुलूस में जाता हुआ
चित्रित किया जाता है, जिसमें उनके स्त्री व पुरुष भक्त सुध-बुध खोकर नृत्य
करते चल रहे हैं। लोमड़ी की खाल धारण किए बैठे डायोनाइसस के रथ को शेर खींच रहे
हैं। उधर प्राचीन सुमेरिया में निनकासी को मदिरा की देवी का रुतबा मिला हुआ है।
कहा जाता है कि देवलोक में मदिरा का निर्माण उन्हीं के जिम्मे था। इसी लीक पर चलते
हुए सुमेरिया में लंबे समय तक शराब बनाना महिलाओं का ही काम माना जाता था। निनकासी
के लिए जो स्तुति गाई जाती थी, वह एक तरह से मदिरा निर्माण की विधि ही
थी! प्राचीन योरप में
ही केल्टिक समुदाय सुकेलस को खेतों, जंगलों और मदिरा का देवता मानता था।
इन्हें मुख्य रूप से ग्रामीणों और गुलामों का इष्ट देव कहा जाता था और हमेशा हाथ
में मदिरा का पात्र लिए दर्शाया जाता था। दक्षिण अमेरिका की माया सभ्यता में शराब
के देवता अकेन थे, जिनके नाम का शब्दिक अर्थ 'डकार" या 'कराह" था! शायद वे उत्तर
कोरियाइयों जितने खुशनसीब नहीं थे और हैंगओवर से बच नहीं पाते थे...!
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