समुद्री
तूफानों की व्यापक विनाशक शक्ति देख आदि मानव इस निष्कर्ष पर पहुंचा इतने व्यापक
स्तर पर कहर बरपाना किसी दैवी शक्ति के ही बस की बात हो सकती है।
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इन दिनों
दुनिया के कई हिस्सों से समुद्री तूफानों की खबरें आ रही हैं। विराट महासागर से
भयावह गति से आतीं हवाएं,
आकाश की ओर लपकतीं
समुद्री लहरें, घनघोर घटाओं का आक्रमण और निरंतर
घंटों कहर बरपाती बरसात...। ये तूफान अच्छे-अच्छों को भयाक्रांत करने की क्षमता रखते
हैं। प्रकृति की इस आपदा का राज जानने की जिज्ञासा होना स्वाभाविक था। यह जिज्ञासा
आदि मानव को इसी निष्कर्ष पर ले गई कि इतने व्यापक स्तर पर कहर बरपाना किसी दैवी
शक्ति के ही बस की बात हो सकती है। इसीलिए जहां-जहां समुद्री तूफान आते हैं, वहां-वहां आपको ये कथाएं सुनने को
मिलेंगी कि कैसे ये किसी देवता या फिर राक्षस के क्रोध अथवा प्रतिशोध का नतीजा
होते हैं।
मध्य-पूर्व की प्राचीन सभ्यताओं में तूफान लाने
का श्रेय अनेक देवताओं को प्राप्त है, जैसे
तेशब, हदाद आदि। न्यूजीलैंड के माओरी
आदिवासी आरा तिओतियो को समुद्री तूफानों का देवता मानते हैं। वहीं दक्षिण अमेरिका
के माया साम्राज्य में हुरकन देवता को तूफान लाने का श्रेय दिया गया है। माना जाता
था कि हुरकन की एक टांग मनुष्यों की टांग जैसी और दूसरी सर्प के जैसी थी। जब
मनुष्यों ने अपनी करतूतों से सारे देवी-देवताओं
को कुपित कर दिया, तो हुरकन ने ऐसा तूफान लाया कि धरती
पर जल प्रलय आ गया और सब कुछ नष्ट हो गया। दरअसल, अनेक संस्कृतियों में ऐसे जलप्रलय के किस्से आते हैं, जिसके बाद सृष्टि नए सिरे से बसी और ये जल
प्रलय भीषण तूफानों के ही नतीजे बताए गए हैं।
यूनान में
कहा जाता था कि सौ हाथ व पचास सिर वाले तीन राक्षस समुद्रों में तूफान लाते हैं।
वहां की पौराणिक कथाओं में देवताओं के साथ इन राक्षसों के युद्ध का वर्णन भी किया
जाता है, जिसमें इन्होंने एक बार में पहाड़ के
आकार के सौ-सौ पत्थर देवताओं पर बरसाए थे! स्पष्ट है कि तूफानों की ताकत से अभिभूत
मानव मस्तिष्क ने इनके कर्ता की कल्पना अतिरंजित बाहुबल से लैस हस्ती के रूप में
की।
अमेरिका
में प्रेसकाय द्वीप पर एक किंवदंति प्रचलित है। कहते हैं कि वहां पानी की सतह के
नीचे एक समुद्री चुड़ैल रहती है,
जो तूफान का आह्वान
करती है। इसके पीछे उसका लक्ष्य होता है तूफान में डूबने वाले जहाजों के नाविकों
को हासिल करना। अमेरिका की ही लकोटा जनजाति के लोग तूफानों को इया नामक राक्षस का
कृत्य मानते हैं। इया की भूख कभी शांत नहीं होती, इसीलिए वह मनुष्य, पशु
और यहां तक कि समूचे गांव निगल जाता है। दिलचस्प बात यह है कि इसके बावजूद ये लोग
इया को बुरा नहीं मानते। उनके अनुसार, इया
तो केवल वह कर्तव्य निभा रहा है,
जो उसे सौंपा गया है।
जबर्दस्त
तबाही मचाने वाले समुद्री तूफानों से प्रभावित होने वाले लोगों में इन्हें लेकर
तरह-तरह के अंधविश्वास भी व्याप्त हैं।
मसलन, यह कि तूफान आने से पहले घोड़े
सामान्य से अधिक फुर्ती से दौड़ पड़ते हैं, भेड़िए
रोने लगते हैं व खिले हुए फूल अपनी पंखुड़ियां समेटकर बंद हो जाते हैं। एक मजेदार
सलाह यह दी जाती है कि यदि आप अपनी जेब में लाल प्याज लेकर चलते हैं, तो बड़े-से-बड़ा तूफान भी आपका कुछ नहीं बिगाड़
सकेगा! यानी एक अदद प्याज तूफानों पर भारी
पड़ जाता है!
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