Sunday, 15 April 2018

संसार की सबसे बेशकीमती चीज


गेहूं के अपमान ने एक फलते-फूलते नगर को तबाह कर दिया। और जब ईश्वर की एक सेविका जुल्म से बचने के लिए भागी, तो यही गेहूं उसे बचाने को आगे आया...
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कहते हैं कि नीदरलैंड में कभी स्टेवोरेन नामक बड़ा तटीय नगर हुआ करता था। यहां के बंदरगाह पर विशाल जहाज दूर देशों से आकर लंगर डालते थे और इस व्यापार की बदौलत शहर खूब फल-फूल रहा था। यहां के रईस व्यापारियों में एक महिला शामिल थी, जो अपने दिवंगत पति का व्यापार बढ़ाते हुए अकूत धन-दौलत की मालकिन बन चुकी थी। साथ ही उसे लालच व अहंकार का रोग भी लग चुका था। एक दिन एक जहाज के कप्तान ने उसे सम्मान स्वरूप माणिक की अंगूठी भेंट की, तो महिला ने फरमाइश की कि काश तुम मेरे लिए दुनिया की सबसे बेशकीमती चीज ले आओ! कप्तान ने पूछा कि वह क्या है, तो वह बोल पड़ी, 'मैं नहीं जानती। तुम उसे ढूंढ लाओ, मैं तुम्हें उसकी मुंहमांगी कीमत दूंगी।"
इस पर कप्तान अपना जहाज लेकर चल दिया। कई महीनों बाद जब वह लौटा तो दौलत के नशे में चूर महिला ही नहीं, पूरे शहर को यह जानने की उत्सुकता थी कि वह कौन-सी चीज लेकर आया है, जो दुनिया की सबसे बेशकीमती चीज है। कप्तान ने बताया कि उसने कई-कई देशों की यात्रा की, बहुत तलाशा और अंत में उसे सबसे बेशकीमती चीज मिल ही गई। वह चीज और कुछ नहीं, गेहूं था! पूरा जहाज गेहूं से भरा हुआ था। यह देख महिला का पारा चढ़ गया। कप्तान ने उसे समझाने की कोशिश की कि गेहूं से मिलने वाली रोटी की बदौलत ही हम सब जिंदा हैं, यह न होता तो दुनिया की सारी धन-दौलत बेकार थी! मगर महिला मानने को तैयार न थी। उसने कप्तान को खूब बुरा-भला कहा और आदेश दिया कि सारा गेहूं समंदर में फेंक दिया जाए। तब कप्तान ने कहा, 'यह अन्ना है, इसे फेंक कैसे दें? हो सकता है कि किसी दिन आपको ही इसकी जरूरत पड़ जाए!" इस पर महिला ने अपनी माणिक की अंगूठी समंदर में फेंकते हुए कहा, 'मेरे इस गेहूं का मोहताज होने की उतनी ही संभावना है, जितनी इस बात की कि यह अंगूठी मेरे पास वापस आ जाएगी।"
गेहूं समंदर में उड़ेल दिया गया। अगले ही दिन एक दावत में उस महिला को जो मछली परोसी गई, उसे काटने पर उसने मछली के पेट में अपनी माणिक की अंगूठी पाई! वह सकते में आ गई। उधर समुद्र में फेंका गया गेहूं अंकुरित होने लगा और पौधे बढ़ने लगे। इनके बीच रेत के कण फंसकर जमा होने लगे और देखते ही देखते समंदर में रेत की पट्टी उभर आई। इसके कारण जहाजों का बंदरगाह तक आना असंभव हो गया। व्यापार ठप पड़ने लगा। शहर के बाकी व्यापारियों के साथ ही वह नकचढ़ी महिला भी पाई-पाई को मोहताज हो गई। अन्ना के अपमान की भारी कीमत उसके साथ-साथ पूरे शहर को चुकानी पड़ी।
यह डच लोककथा अन्ना की अहमियत को बड़े नसीहत भरे अंदाज में रेखांकित करती है। साथ ही, दुनिया भर में प्राथमिक आहार के रूप में गेहूं की अहमियत भी दर्शाती है। गेहूं के इर्द-गिर्द इतनी परंपराएं, इतने विश्वास व इतने किस्से घूमते हैं कि उन्हें एक जगह समेटना संभव नहीं है। पश्चिम में संत बारबरा के साथ गेहूं का किस्सा जुड़ा है। बताया जाता है कि फ्रांस के एक व्यापारी की सुंदर बेटी बारबरा के कई चाहने वाले थे। व्यापारी चाहता था कि बारबरा किसी धनवान से ब्याह रचा ले लेकिन बारबरा धार्मिक वृत्ति की थी और अपना जीवन ईश्वर को समर्पित करने का मन बना चुकी थी। इस पर पिता ने उसे घर में कैद कर लिया व उस पर तरह-तरह के जुल्म किए जाने लगे। एक बार वह किसी तरह भाग निकली। वह एक खेत से होकर गुजरी, जहां हाल ही में गेहूं बोया गया था। उसके गुजरते ही गेहूं के पौधे तत्काल बड़े हो गए ताकि खेत में उसके पैरों के निशान न दिखें और पीछा करने वाले उस तक न पहुंच सकें। अंतत: बारबरा का सर कलम किया गया व बाद में उन्हें संत का दर्जा भी मिला। आज कई स्थानों पर उनकी याद में क्रिसमस से इक्कीस दिन पहले लोग अपने घरों में तीन बर्तनों में गेहूं बोते हैं। उनका मानना है कि यदि क्रिसमस तक इस गेहूं से जवारे अच्छी तरह निकल आएं, तो आने वाला साल धन-धान्य से भरपूर रहेगा। वे कहते हैं, 'अगर गेहूं चंगा रहा, तो सब कुछ चंगा रहेगा।"

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