दरवाजा
किसी भवन या कमरे में प्रवेश ही नियंत्रित नहीं करता, एक संसार को दूसरे संसार से जोड़ता या
विभाजित भी करता है। इसका यह गुण इसे एक खास तिलस्म प्रदान करता है। द्वार किसी
राज को राज बनाए रखने वाले प्रहरी की भूमिका भी निभाते हैं। ऐसे में बंद द्वार
किसी रहस्य, किसी तिलस्म का प्रतीक बन बैठे, तो क्या आश्चर्य? खास
तौर से तब, जब इसके उस पार के संसार को कभी देखा न गया हो...।
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कभी
गौर किया है कि एक दिन में आप कितने दरवाजों के आर-पार आते-जाते हैं? नहीं न? गौर करेंगे भी क्यों, दरवाजों
से निकलना है ही इतनी 'रुटीन" गतिविधि कि हम इसे बस यूं ही कर जाते
हैं। मगर दरवाजे इस रुटीन से आगे भी बहुत कुछ हैं। कहने को ये एक बंद दायरे में
आने-जाने
का मार्ग हैं, सुरक्षा का उपाय हैं, एक हद तक कलात्मकता का प्रदर्शन करने
का जरिया भी हैं। मगर दरवाजों का प्रतीकात्मक और बिंबात्मक महत्व इससे कहीं बढ़कर
है। बंद द्वार किसी रहस्य पर पड़े पर्दे के सदृश्य भी होेता है। आपको नहीं पता होता
कि इसे खोलते ही उस पार कौन-सा संसार आपका इंतजार कर रहा होगा।
क्योंकि यह एक भवन या कमरे में प्रवेश ही नियंत्रित नहीं करता, एक
संसार को दूसरे संसार से जोड़ता या विभाजित भी करता है। इसका यह गुण इसे एक खास
तिलस्म प्रदान करता है। फिर, यह भी सच है कि द्वार केवल सुरक्षा और
निजता की रक्षा ही नहीं करते, ये किसी राज को राज बनाए रखने वाले
प्रहरी की भूमिका भी निभाते हैं। ऐसे में बंद द्वार किसी रहस्य, किसी
तिलस्म का प्रतीक बन बैठे, तो क्या आश्चर्य? खास
तौर से तब, जब इसके उस पार के संसार को कभी देखा न गया हो...।
खुला
द्वार एक अवसर प्रदान करता है... नए संसार में प्रवेश करने, उसे
जानने-समझने, उसे
फतह करने का। वहीं बंद द्वार प्रगति की राह में बाधा बनकर खड़ा रहता है। वह आपको
चुनौती देता है उसे खोलने और आगे बढ़ जाने की। इस मायने में हर बंद द्वार एक अवसर
भी होता है और चुनौती भी। खुला द्वार स्वागत का संदेश देता है। कहा भी जाता है न, 'तुम्हारे
लिए मेरे घर के द्वार सदा खुले हैं।" वहीं 'मेरे लिए तो सारे दरवाजे बंद हो चुके
हैं" घोर
निराशा को अभिव्यक्त करता है। उस स्थिति को, जिसमें कोई राह न दिख रही हो।
प्राचीन
मिस्र में कब्र पर उकेरे गए दरवाजे के चित्र 'इस" लोक और 'उस" लोक के बीच संवाद के सूचक हुआ करते थे।
ग्रीस में दो सिर वाले देवता जेनस को आरंभ और पारगमन का देवता माना जाता था।
प्रकारांतर से वे द्वारों के देवता भी थे। आखिर द्वार को पार करने से ही तो नए सफर, नए
अध्यायों का आरंभ होता है। जेनस अपने दो चेहरों से अतीत और भविष्य की ओर देखते
हैं। द्वार के भी तो इस ओर अतीत तथा उस ओर भविष्य की राह होती है। अतीत और भविष्य
के बीच खड़े जेनस संक्रमण-काल के प्रतीक हैं। वैसे ही, जैसे
जीवन के सफर में एक द्वार अतीत और भविष्य के मध्य संक्रमण का प्रतीक है।
चीन
में द्वारपाल देवताओं, जिन्हें मेनशेन कहा जाता है, की
तस्वीरें मंदिरों, घरों, दुकानों आदि के दरवाजों पर उकेरने की
परंपरा रही है। माना जाता है कि ये बुरी शक्तियों को द्वार से प्रवेश करने से
रोकते हैं। खास बात यह कि ये द्वारपाल देवता एक समान नहीं होते। अलग-अलग
कालखंडों में और अलग-अलग जगहों पर भिन्ना-भिन्ना
देवताओं को दरवाजों पर तैनात किया जाता रहा है। समान बात यह है कि इन्हें हमेशा एक-दूसरे
की ओर मुंह किए ही दर्शाया जाता है। इन्हें एक-दूसरे को पीठ किए दर्शाना अशुभ माना
गया है। यह परंपरा कैसे शुरू हुई, इस बात को लेकर अनेक किस्से चले आए
हैं। इन्हीं में से एक के अनुसार सातवीं सदी में ताई जोंग नामक सम्राट बुरी तरह बीमार
पड़ गए थे। माना गया कि उन्हें बुरी आत्माओं ने जकड़ रखा था। तब उनकी सेना के दो
जनरल राजमहल के मुख्य द्वार पर पहरा देने लगे। इधर सम्राट को स्वास्थ्य लाभ होने
लगा और शीघ्र ही वे पूरी तरह स्वस्थ हो गए। उन्हें विश्वास हो गया कि द्वार पर खड़े
उनके सेनापतियों के कारण ही बुरी आत्माएं उन्हें छोड़कर चली गईं। सम्राट ने फरमान
जारी कर दिया कि इन दोनों के चित्र स्थायी रूप से राजमहल के मुख्य द्वार पर लगाए
जाएं और इन्हें द्वारपाल देवता कहा जाए। देखते-देखते आम लोग भी अपने दरवाजों पर
द्वारपाल देवता तैनात करने लगे। हर साल नव वर्ष के अवसर पर द्वारपाल देवताओं के इन
चित्रों को नए सिरे से रंगा जाता है या पुराने चित्र हटाकर नए चित्र लगाए जाते
हैं।
दरवाजों
को लेकर अलग-अलग स्थानों पर भांति-भांति के अंधविश्वास भी चले आ रहे हैं।
कुछ भोले-से, तो
कुछ अटपटे-से।
मसलन, यह
विश्वास अनेक स्थानों पर प्रचलित है कि पहली बार किसी घर में प्रवेश पिछले दरवाजे
से नहीं करना चाहिए। आयरलैंड में आप जिस दरवाजे से भीतर आए, उसी
दरवाजे से बाहर जाना शुभ माना जाता है। तुर्की में लोग कहते हैं कि रात के वक्त
किसी दरवाजे के पीछे बैठना अशुभ होता है। यदि आपने ऐसा किया, तो
आप पर कोई लांछन लग जाएगा!
है
ना साधारण-से
दरवाजों का संसार दिलचस्प? तो अब जब आप किसी दरवाजे को पार करें, तब
इसे कोई मामूली गतिविधि न समझें। इसके मायने 'मामूली" से कहीं बढ़कर हैं...।
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