दस
में एक कम होते हुए भी नौ की संख्या किसी से कमतर नहीं है। विभिन्न देशों-धर्मों
में इस आंकड़े को सहस्त्राब्दियों से खास माना जाता रहा है...।
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नवरात्रि
का पर्व शुरू होने जा रहा है। देवी की आराधना में डूबी नौ रातें। शक्ति के नौ
रूपों को पूजने की नौ रातें। यहां एक उल्लेखनीय बात यह है कि 9 का
आंकड़ा कई मायनों में महत्वपूर्ण माना गया है। मसलन, हिंदू मान्यतानुसार चार युगों की लंबाई
देखें, तो
सत्युग 17,28,000 वर्ष का, त्रेतायुग 12,96,000
वर्ष का, द्वापरयुग
8,64,000 वर्ष
का तथा कलयुग 4,32,000 वर्ष का होता है। अगर आप गौर करें, तो
पाएंगे कि इन सभी संख्याओं में मौजूद अंकों का जोड़ 9 आता है। इसी प्रकार पुराणों की संख्या 18 है
और उपनिषदों की 108। इन दोनों संख्याओं में भी अंकों का
जोड़ 9 बैठता
है। नवग्रह, नवरस, नवरतन... नौ का आंकड़ा हर कहीं व्याप्त है।
चीन
में नौ का संबंध ड्रैगन से है, जिसे जादुई शक्तियों का प्रतीक माना
जाता है। यही नहीं, ड्रैगन के नौ रूप, नौ
गुण और नौ संतानें मानी गई हैं। वैसे भी चीन में नौ का आंकड़ा शुभ माना गया है
क्योंकि चीनी भाषा में इसके लिए जो शब्द है, उसकी ध्वनि 'शाश्वत" के लिए प्रयुक्त चीनी शब्द से मिलती-जुलती
है। इसके विपरीत जापान में यह आंकड़ा अशुभ माना गया है क्योंकि वहां की भाषा में
इसकी ध्वनि 'पीड़ा" से मिलती-जुलती है। चीनी वर्ष के नौवें माह का
नौवां दिन चुंग युंग उत्सव के रूप में मनाया जाता है। एक प्राचीन कथा के अनुसार
इसी दिन हुआन जिंग नामक योद्धा ने एक खौफनाक राक्षस का वध कर समस्त लोगों को बचाया
था। राक्षस से लोहा लेने से पहले उसने लोगों को सुरक्षा के लिए किसी ऊंचे स्थान पर
चले जाने को कहा था। उसी विजय की याद में यह उत्सव मनाया जाता है। इस दिन लोग
आसपास की किसी पहाड़ी पर जाते हैं।
प्राचीन
स्कैंडिनेवियाई आख्यानों के अनुसार ब्रह्माण्ड में नौ लोक हैं। स्कैंडिनेवियाई
देशों में ही शिशु का नामकरण जन्म के नौवें दिन करने का रिवाज रहा है। एक विशेष समारोह
में शिशु को उसके पिता की गोद में रखा जाता है और उसके ऊपर पानी के छींटे डालकर
उसका नामकरण किया जाता है। इसके बाद ही वह शिशु उस घर का सदस्य माना जाता है। इस
प्रथा का एक खास महत्व है। पुरातन काल में उन देशों में अनचाहे शिशुओं की हत्या
करना अवैध नहीं माना गया था। मगर नौवें दिन नामकरण होने तथा परिवार के सदस्य के
रूप में मान्यता मिलने के बाद उसे मारना कानूनन हत्या की श्रेणी में आ जाता! उधर
स्वीडन में एक समय अपसला के मंदिर में नौ साल में एक बार भव्य बलि उत्सव मनाया
जाता था। दूर-दूर से लोग इसमें शामिल होने आते। इसमें मनुष्य सहित हर
प्रजाति के प्राणी के नौ-नौ नरों की बलि दी जाती थी। इसके बाद
नौ दिनों तक दावतों का दौर चलता था।
ग्रीस
में नौ प्रेरक शक्तियों के रूप में नौ देवियों को माना गया है। ये क्रमश: महाकाव्य, इतिहास, गीत-काव्य, संगीत, दुखांत
कथाओं, धार्मिक
काव्य, नृत्य, हास्य
तथा खगोलशास्त्र की देवियां हैं। यही नहीं, माना गया है कि अन्ना की ग्रीक देवी
डिमीटर की बेटी कोरी को जब मृत्युलोक के देवता हेडीज ने अगुवा कर लिया, तो
डिमीटर नौ दिन और नौ रातों तक उसे तलाशती फिरीं। वहीं रात्रि की देवी लैटो ने नौ
दिन की प्रसव पीड़ा के बाद जुड़वां बच्चों को जन्म दिया था। ग्रीस और रोम में किसी
परिवार में मृत्यु होने पर नौ दिन तक शोक रखने के बाद भोज के आयोजन के साथ शोक-मुक्ति
की जाती थी। यह भी मान्यता थी कि स्वर्गलोक से पृथ्वीलोक आने में नौ दिन लगते हैं
और पृथ्वीलोक से पाताल लोक जाने में भी इतना ही समय लगता है।
नौ
के आंकड़े का ईसाई धर्म में भी विशेष महत्व है। माना जाता है कि सलीब पर चढ़ाए जाने
के नौ घंटे बाद ईसा ने प्राण त्यागे थे। अपने पुनरुत्थान के बाद उन्होंने नौ बार
अपने अनुयायियों को दर्शन दिए। साथ ही कहा जाता है कि स्वर्गारोहण करने से पहले
ईसा ने अपने दूतों से कहा था कि वे अगले नौ दिनों तक यरूशलम में ही रहें और पवित्र
आत्मा के अवतरण की प्रतीक्षा करें। उनके दूतों ने प्रार्थनाएं करते हुए ये दिन
गुजारे। तब से ईसाई धर्म में किसी विशेष मंतव्य के लिए नौ दिन की गहन प्रार्थना (नोवेना) का
खास महत्व हो गया।
तो
कहिए, है
ना 'नौ" की
महिमा अपरंपार..!
श्री नव नवम माहात्म्य । नव भक्ति,नव शक्ति,नव दुर्गा,नव ग्रह, नव रत्न, नव गौरी,नव देवी,नव देव,नव गुण,नव द्वार, नव विष,नव नाग,नव रंग, नव ऋषि , नव नदी, नव रस, नव रात्रि, नव निधि, नव खंड, नव अंक, १२३४५६७८९!
ReplyDeleteपरम ब्रम्ह की गणितिक संख्या-अंक १०८ प्रमांक है ।
ReplyDelete१०८ संस्कृत वर्ण माला
१०८ शिवांग
१०८ जप संख्या
१०८ शक्तिपीठ
१०८ विष्णु दिव्य क्षेत्र
१०८ योग आसन
१०८ नृत्य कला
१०८ जप माला मनके
१०८ पार्वती जन्म
१०८ परिक्रमा
१०८ देविदेवता समुद्र मंथन
१०८ चक्र
१०८ देवी देवता नाम
१०८ कामनाएं ।