क्या ऊंट
कभी लंबे कानों और बड़े सींगों को धारण करता था? रेगिस्तान के जहाज पर ऐसे कई-कई किस्से सवार होते आए हैं। मगर इस प्राणी के साथ इंसान के
संबंध का एक पहलू अभी-अभी सामने आया है...।
***
छोटी-बड़ी बीमारियों की फेहरिस्त में यदि सबसे 'मामूली" बीमारी को चिह्नित करने को कहा जाए, तो शायद हम सभी जुकाम का नाम लेंगे। आखिर
जुकाम से ज्यादा मामूली क्या हो सकता है? मगर
हाल ही में वैज्ञानिकों ने मनुष्यों में जुकाम की उत्पत्ति का जो कारण बताया है, उसे आप शायद ही मामूली मानेंगे। कहा जा रहा
है कि जुकाम के लिए जिम्मेदार एक वायरस ऊंटों से मनुष्यों में आया। यानी जुकाम ऊंट
की इंसान को देन है!
हां, यह जरूर आश्चर्य की बात है कि ऊंट को लेकर न
जाने कितने विश्वास,
मान्यताएं और दंतकथाएं
गढ़ने वाले इंसान को इस प्राणी के साथ अपने रिश्ते के इस पहलू के बारे में अब जाकर
पता चला...।
माना जाता
है कि दुनिया के पहले-पहले ऊंट आज से 4-5 करोड़ साल पहले उत्तरी अमेरिका में हुए थे और
तब उनका आकार खरगोश के बराबर हुआ करता था! बाद में इनके विभिन्ना वंशज विश्व के कई इलाकों में फैले। सूखे
इलाकों में ये मनुष्य के लिए उपयोगी सिद्ध हुए, सो इन्हें पाला गया, उपयोग
में लाया गया। जरूरत से उपजे इस सान्निाध्य ने कल्पनाओं को पंख दिए और मनुष्य ने
ऊंट को लेकर ढेरों किस्से व कल्पनाएं गढ़ डालीं। ऊंट की शारीरिक विशेषताओं में उसका
कूबड़ प्रमुख है। लंबे समय तक यह धारणा रही कि ऊंट अपने कूबड़ में पानी का भंडार
रखते हैं और इसी कारण वे रेगिस्तान में कई-कई दिन तक बिना पानी के भी रह लेते हैं। मगर सच यह है कि इस
कूबड़ में पानी नहीं,
वसा को जमा किया जाता
है, जो भोजन के अभाव में उसके शरीर को
ऊर्जा प्रदान करती है।
ईसप की एक
कथा के अनुसार तो पहले-पहल ऊंट के लंबे-लंबे कान भी हुआ करते थे मगर वह इतने से
संतुष्ट नहीं था। उसे सांड की तरह सींग चाहिए थे। वह सींग मांगने के लिए देवराज
ज़्युस के पास गया। ज़्युस ने उसे समझाया कि तुम्हें मैंने इतने खूबसूरत, लंबे कान तो दिए हैं, तुम इनसे खुश क्यों नहीं हो? मगर ऊंट तो बस सींग की जिद पर ही अड़ा रहा।
नाराज ज़्युस ने उसे सींग तो नहीं ही दिए, उसके
कान भी काटकर छोटे कर दिए!
इसके
विपरीत, मंगोलिया की एक लोककथा में कहा गया
है कि एक समय ऊंट के सिर पर वैसे ही सींग हुआ करते थे, जैसे कि आज रेनडियर के सिर पर पाए जाते हैं। एक दिन जब वह चर
रहा था, तो एक रेनडियर उसके पास आया और बोला, 'क्या तुम मुझे अपने सींग एक दिन के लिए उधार
दे सकते हो? आज सिंह और बाघिन की शादी है, मैं ये सुंदर सींग लगाकर शादी में जाऊंगा।
कल यहीं आकर मैं इन्हें लौटा जाऊंगा।" नादान
ऊंट उसकी बातों में आ गया और अपने सींग उसे दे बैठा। जाहिर है, रेनडियर उसके सींग लौटाने कभी नहीं आया और
ऊंट उसकी राह ही ताकता रह गया।
जहां ऊंट
संबंधी ये लोककथाएं सदियों से चली आई हैं, वहीं एक भुतहा ऊंट का किस्सा उन्नाीसवीं सदी के अमेरिका में
काफी प्रचलित हुआ था। दरअसल अमेरिकी सेना में माल ढोने के लिए ऊंट लाए गए थे लेकिन
वे अपेक्षा के अनुसार उपयोगी सिद्ध नहीं हुए। आखिरकार सेना ने इनमें से कुछ को
नीलाम कर दिया और बाकी ऊंटों को एरिजोना के रेगिस्तान में छोड़ दिया गया। इसके बाद
कई वर्षों तक लोग वहां के रेगिस्तान में ऊंट देखने के दावे करते रहे। इन्हीं में
शामिल था 'लाल भूत" के नाम से कुख्यात हुआ ऊंट। लोगों पर किसी
अज्ञात, विशाल पशु के हमले होने लगे और
घटनास्थल पर ऊंट के पैरों के निशान व लाल बाल पाए गए। फिर कुछ लोगों ने कहा कि
उन्होंने इस हमलावर ऊंट को देखा है और उसकी पीठ पर कोई सवार भी है, हालांकि लगता नहीं कि सवार जीवित है! एक दिन कुछ लोगों ने इसी ऊंट की पीठ से कुछ
गिरते हुए देखा। ऊंट तो चला गया लेकिन जब उन लोगों ने उस स्थान पर जाकर देखा तो
पाया कि उसकी पीठ से जो चीज गिरी थी, वह
एक मानव खोपड़ी थी! इसके बाद कोई एक दशक तक सिरकटी लाश
लिए यह ऊंट लोगों को आतंकित करता रहा। आखिरकार एक दिन एक किसान ने अपने खेत में
घुस आए इस 'लाल भूत" को मार डाला। तब उसकी पीठ से सिरकटी लाश
गायब हो चुकी थी लेकिन वे फीते मौजूद थे, जिनसे
लाश को उसकी पीठ पर बांधा गया था। यह कभी ज्ञात नहीं हो सका कि आखिर वह किसकी लाश
थी और किसने व क्यों उसे उस विशाल लाल ऊंट की पीठ पर बांध दिया था। वैसे इसके बाद
भी काफी समय तक एरिजोना के रेगिस्तान से गुजरने वाले कुछ लोग दावे करते रहे कि
उन्होंने सिरकटी लाश ढोता एक विशाल लाल ऊंट देखा है...!
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