समुद्र
में लहरें व ज्वार-भाटा लाने से लेकर शहीद योद्धाओं की
आत्मा धारण करने तक,
कई तरह के काम केकड़ों
के नाम दर्ज हैं देश-विदेश के किस्सों-कहानियों में...।
***
हाल ही
में आई एक रिपोर्ट के अनुसार बीते वर्ष महाराष्ट्र में केकड़े की छह नई प्रजातियां
सामने आईं। इसके साथ ही अपनी विचित्रताओं को लेकर कौतुहल उत्पन्ना करने वाले इस
जीव की कुछ और विविधताएं दर्ज हुईं। दो जोड़ी छोटे और चार जोड़ी बड़े पैरों के दम पर
आड़ा चलने वाला यह प्राणी वैसे ही कई रोचक किस्से-कहानियों का किरदार रहा है। मसलन, फिलिपीन्स का मंडाया समुदाय मानता है कि सूर्य और चंद्रमा पति-पत्नी हैं और उनकी संतानों में तंबानाकानो
नामक विशाल केकड़ा भी शामिल है। यह समुद्र तल में स्थित एक विशाल गड्ढे में रहता
है। जब वह गड्ढा छोड़कर कहीं जाता है, तो
समुद्र का पानी उस विशाल गड्ढे मंे भर जाता है और किनारों पर भाटा आ जाता है। जब
तंबानाकानो वापस अपने गड्ढे में आता है, तो
सारा पानी पुन: गड्ढे से बेदखल हो जाता है और
किनारों पर ज्वार आ जाता है। यानी समुद्री ज्वार-भाटा केकड़े की ही देन हैं! यही नहीं,
इस महाकेकड़े के हिलने-डुलने से ही समुद्र में लहरें भी उठती रहती
हैं।
जापान में
पाई जाने वाली केकड़े की हाइकेगानी नामक प्रजाति काफी प्रसिद्ध है। इसकी खासियत है
इसकी पीठ पर उभरी मानव चेहरे जैसी आकृति। इसे लेकर बड़ी रोचक कथा प्रचलित है। कहते
हैं कि हाइके योद्धाओं का जापान पर शासन था और मीनामोटो योद्धा उन्हें सत्ता से
बेदखल करने को प्रयासरत थे। सन् 1185
में दोनों सेनाओं के
बीच समुद्र के किनारे निर्णायक युद्ध हुआ। उस समय 7 वर्षीय बालक अंतोकू हाइके सम्राट था। मीनोमोटा सेना हाइके सेना
पर लगातार भारी पड़ रही थी। हाइके योद्धाओं का नियम था कि युद्ध में पराजय
अवश्यंभावी लगने पर वे युद्धबंदी बनने के बजाए अपने प्राण हरकर शहादत प्राप्त कर
लेते थे। जब इस युद्ध में ऐसी नौबत आई, तो
सैनिकों ने अपने 7 वर्षीय सम्राट को समुद्र में फेंक
दिया। उनके पीछे-पीछे सम्राट की मां व दादी भी
समुद्र में समा गईं। शेष बचे सैनिकों ने भी सम्राट के साथ जल समाधि ले ली। समुद्र
की गहराइयों में मौजूद केकड़ों ने इन सब हाइके लोगों का भक्षण कर लिया। इसके बाद
शहीद हाइके योद्धाओं की आत्मा इन केकड़ों में बस गई और इनकी पीठ पर योद्धाओं के
चेहरे अंकित हो गए। ये केकड़े हाइकेगानी कहलाए। यदि किसी जापानी मछुआरे के जाल में
हाइकेगानी केकड़े फंस जाते हैं,
तो वे सम्मानपूर्वक
इन्हें वापस समुद्र में डाल देते हैं।
यूनानी
पौराणिक कथाओं में भी केकड़े का विशेष उल्लेख आता है। इसके अनुसार, महान योद्धा हरक्युलिस, जोकि देवराज ज़्युस की अवैध संतान था, अनेक सिर वाले महासर्प हायड्रा से युद्ध कर
रहा था। तब कारकिनोस नामक केकड़े ने हायड्रा की मदद की गरज से हरक्युलिस का एक पैर
जकड़ लिया। मगर अद्धभुत बल के स्वामी हरक्युलिस के आगे वह टिक नहीं सका। हरक्युलिस
ने कारकिनोस को झटक दिया और अपने पैर तले कुचल डाला। मगर उसका बलिदान बेकार नहीं
गया। ज़्युस की पत्नी हेरा हरक्युलिस ने घृणा करती थीं। उन्होंने कारकिनोस को आसमान
में स्थापित कर दिया,
जहां वह आज भी कर्क
तारामंडल के रूप में देखा जा सकता है।
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