दांत का
टूटकर गिरना हमारे लिए खास घटना रहता आया है। कारण है दांतों में रूहानी ताकत व
जादुई शक्तियां होने का विश्वास। इससे उपजे हैं दांत संबंधी अनेक रिवाज और मिथक।
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एक समय था, जब योरप के लोग दृढ़ता से मानते थे कि यदि
हमारा एक भी दांत किसी डायन या जादूगरनी के हाथ लग जाए, तो वह इसके माध्यम से हमारे भाग्य को नियंत्रित कर सकती है।
इसलिए टूटे हुए दांतों का क्या किया जाए, यह
एक अहम प्रश्न था। यह प्रश्न तब और भी अहम हो जाता था, जब बच्चे दूध के दांत गिरने के दौर से गुजर रहे होते। इसलिए इन
दांतों को 'ठिकाने लगाने" के कुछ खास तरीके ईजाद किए गए। कहीं दांतों
को जमीन में गाड़ दिया जाता,
तो कहीं आसमान में
उछाल दिया जाता। मध्ययुगीन इंग्लैंड में बच्चे के दांत को जला दिया जाता था। लोगों
का विश्वास था कि यदि टूटकर शरीर से अलग हुए दांत का ठीक से निपटारा न किया गया, तो मृत्यु के बाद उसकी आत्मा दांत की तलाश
में अनंतकाल तक भटकती रहेगी!
चूहे, गिलहरी आदि जैसे जीवों की ख्याति उनके मजबूत
दांतों के लिए है। इसलिए इंसानी दांतों संबंधी कई मिथक भी किसी-न-किसी
तरह इनसे जुड़े हैं। कुछ पश्चिमी देशों में टूटे हुए दांत को चूहे को 'खिलाने" का रिवाज था। लोग मानते थे कि यदि बच्चे का
दूध का दांत किसी चूहे या गिलहरी को खिला दिया जाए, तो बच्चे को आने वाला स्थायी दांत खूब मजबूत व टिकाऊ होता है।
माना जाता है कि टूटे दांत के बदले बच्चे को पैसे या कोई तोहफा देने की परंपरा
स्कैंडिनेवियाई देशों से शुरू हुई। बाद में यह परंपरा अलग-अलग रूपों में कई अन्य देशों में फैली। दांत टूटने पर माता-पिता उसे बच्चे के तकिए के नीचे रख देते।
फिर जब बच्चा सो जाता,
तो तकिए के नीचे से
दांत को हटाकर कुछ पैसे या तोहफा रख देते। बच्चे के जागने पर उससे कहा जाता कि यह
टूटे दांत के एवज में दंत परी या चूहा या फिर कोई और छोड़ गया है। अर्जेंटीना में
तो दांत ले जाने वाले चूहे का खास खयाल रखा जाता है। दांत को बच्चे के सिरहाने रखा
जाता है और पास में पानी का ग्लास भी रखा जाता है ताकि जब चूहा दांत लेने आए, तो पहले अपनी प्यास बुझाए, फिर दांत लेकर अपने सफर पर आगे बढ़े! जागने पर बच्चा पाता है कि ग्लास में पानी
की जगह रुपए रखे हैं,
जो चूहा उनके लिए छोड़
गया है।
दांतों को
शरीर के सबसे मजबूत अंगों में माना जाता आया है। कई लोगों के बीच तो यह धारणा भी
रही है कि दांत अनश्वर होते हैं। इसके चलते दांत को माला में पिरोकर पहनने का
रिवाज भी पनपा। युद्ध में अपनी रक्षा की खातिर सैनिक इस तरह की दांतों वाली माला
या तावीज पहनकर जाते!
दांतों में भौतिक ताकत
ही नहीं, रूहानी ताकत के भी होने का विश्वास
अनेक संस्कृतियों में व्याप्त था। दक्षिण अमेरिका की माया सभ्यता के लोग अपने
दांतों की रूहानी ताकत बढ़ाने के लिए इनमें फिरोजा व जेड जैसे रत्न जड़ते थे।
कहीं-कहीं दांतों की जमावट के आधार पर भविष्य
दर्शन का भी दावा किया जाता है। नॉर्वे में ऐसी मान्यता है कि यदि आपके दांत एक-दूसरे से दूर-दूर हैं,
तो आप दूर देशों की
यात्राएं करेंगे। वहीं,
यदि आपके दांत एक-दूसरे के बहुत पास-पास हैं,
तो आप हमेशा अपने घर व
प्रियजनों के करीब रहेंगे। यदि आपके दांत एक-दूसरे के ऊपर चढ़ रहे हों, तो आप कंजूस निकलेंगे। यह तो हुई नॉर्वे के लोगों की मान्यता।
हांग कांग के लोग मानते हैं कि यूं एक-दूसरे
पर चढ़ रहे दांतों वाले लोग झगड़ालू होते हैं!
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