गलती के लिए माफी मांगने की लंबी रही है। कहीं इसके लिए स्पष्ट तौर-तरीके निर्धारित हैं, तो कहीं बिना सोचे-समझे और बिना गलती किए माफी मांगने की आदत भी है!
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इंसान से गलती हो ही जाती है और सभ्यता का तकाजा है कि वह अपनी गलती के लिए क्षमा मांग ले। पुणे के पास स्थित पिंपरी चिंचवड़ के एक युवा ने पिछले दिनों इसी का पालन किया। गर्लफ्रैंड के साथ झगड़ा हो जाने के बाद उसे अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने गर्लफ्रैंड से माफी मांगने का फैसला किया। इसके लिए उसने जो तरीका अपनाया, वह बड़ा नाटकीय रहा। उसकी गर्लफ्रैंड के जिस रास्ते से निकलने की संभावना थी, उस रास्ते पर उसने 'आई एम सॉरी" लिखे 300 से ज्यादा बैनर लगवा दिए। रात के अंधेरे में दर्ज किए गए इस माफीनामे को सुबह जब पूरे शहर ने देखा, तो चारों ओर इसकी चर्चा चल पड़ी। किसी ने प्रेमी की दिलेरी की तारीफ की, तो किसी ने इसे सार्वजनिक स्थल का दुरुपयोग माना। हां, पुलिस को माफीनामे का यह तरीका रास नहीं आया।
माफी मांगने को हमारे यहां व कई अन्य संस्कृतियों में भी बड़प्पन की निशानी माना गया है। क्षमायाचना के माध्यम से हम अपराध बोध से मुक्त होकर नई शुरुआत कर सकते हैं। यह उस व्यक्ति का विश्वास फिर से हासिल करने का साधन भी बन सकता है, जिसके साथ हमने गलत किया है। क्षमा मांगने व किसी को क्षमा करने की कई यादगार मिसालें हमारे इतिहास व परंपराओं में दर्ज हैं। जैन धर्म में हर वर्ष मनाए जाने वाले क्षमा पर्व का खास स्थान है।
जापान में माफी मांगना शिष्टाचार का अनिवार्य अंग माना जाता है। वहां के लोगों के व्यवहार में क्षमायाचना का भाव इस कदर झलकता है कि कई विदेशियों को यह अनूठा, यहां तक कि अटपटा भी लगता है। खास बात यह है कि जापान में माफी मांगना किसी गलत काम की स्वीकारोक्ति नहीं, बल्कि शिष्टाचार व विनम्रता का संकेत माना जाता है और विनम्रता जापानी संस्कृति में बेहद महत्वपूर्ण गुण माना गया है। इसीलिए वहां की भाषा में क्षमायाचना के लिए कई अलग-अलग शब्द निर्धारित हैं। सामने वाले की उम्र, उससे आपके परिचय के स्तर और घटनाक्रम की परिस्थिति के हिसाब से तय होता है कि आपको माफी मांगने के लिए कौन-से शब्द या शब्दों का उपयोग करना है। इसके साथ ही शारीरिक मुद्रा का भी अहम स्थान होता है। यूं तो जापानी एक-दूसरे के अभिवादन में भी थोड़ा झुकते हैं लेकिन माफी मांगने के लिए अधिक झुका जाता है व अधिक देर के लिए झुका जाता है।
जापान की ही तरह, पड़ोसी चीन के गुआंगझाऊ क्षेत्र में भी माफी मांगने के लिए कई शब्द व वाक्यांश निर्धारित हैं। अपनी गलती के लिए आप कितनी ग्लानि महसूस कर रहे हैं, इसके आधार पर तय होता है कि आप किन शब्दों में माफी मांगेंगे। इनमें 'क्षमा करना" से लेकर 'मुझसे गलती हो गई, मुझे सजा दो" तक शामिल है।
ब्रिटिश लोगों की भी ख्याति बात-बात पर क्षमायाचना के लिए रही है। 'सॉरी" कहना किस कदर उनके अवचेतन में रच-बस गया है, यह कुछ समय पहले मानवशास्त्री केट फॉक्स द्वारा किए गए एक प्रयोग से सामने आया। केट कई शहरों-कस्बों में घूम-घूमकर राह चलते लोगों से जान-बूझकर टकराती गईं। उन्होंने पाया कि लगभग 80 प्रतिशत लोगों ने टकराने के लिए 'सॉरी" कहा, इसके बावजूद कि दोष केट का था, न कि उनका! इनमें से बड़ी संख्या में लोग बिना कुछ सोचे 'सॉरी" बोल रहे थे या फिर अपनी ही धुन में 'सॉरी" बोलते हुए निकल रहे थे। यानी जिनमें वास्तव में क्षमा का भाव नहीं था, वे भी आदतन यह शब्द बोल रहे थे।
हां, ब्रिटेन ने सदियों तक भारत समेत दुनिया के अनेक देशों पर जो अत्याचार किए, उसके लिए आधिकारिक क्षमायाचना का अब भी उसके तमाम पूर्व उपनिवेशों को इंतजार है। इन्हीं में से एक उपनिवेश ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने जरूर वहां के मूल निवासियों पर किए गए जुल्मों के लिए आधिकारिक रूप से माफी मांगी है और इसी की स्मृति स्वरूप वहां अब हर साल 26 मई को राष्ट्रीय क्षमा दिवस मनाया जाता है।
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इंसान से गलती हो ही जाती है और सभ्यता का तकाजा है कि वह अपनी गलती के लिए क्षमा मांग ले। पुणे के पास स्थित पिंपरी चिंचवड़ के एक युवा ने पिछले दिनों इसी का पालन किया। गर्लफ्रैंड के साथ झगड़ा हो जाने के बाद उसे अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने गर्लफ्रैंड से माफी मांगने का फैसला किया। इसके लिए उसने जो तरीका अपनाया, वह बड़ा नाटकीय रहा। उसकी गर्लफ्रैंड के जिस रास्ते से निकलने की संभावना थी, उस रास्ते पर उसने 'आई एम सॉरी" लिखे 300 से ज्यादा बैनर लगवा दिए। रात के अंधेरे में दर्ज किए गए इस माफीनामे को सुबह जब पूरे शहर ने देखा, तो चारों ओर इसकी चर्चा चल पड़ी। किसी ने प्रेमी की दिलेरी की तारीफ की, तो किसी ने इसे सार्वजनिक स्थल का दुरुपयोग माना। हां, पुलिस को माफीनामे का यह तरीका रास नहीं आया।
माफी मांगने को हमारे यहां व कई अन्य संस्कृतियों में भी बड़प्पन की निशानी माना गया है। क्षमायाचना के माध्यम से हम अपराध बोध से मुक्त होकर नई शुरुआत कर सकते हैं। यह उस व्यक्ति का विश्वास फिर से हासिल करने का साधन भी बन सकता है, जिसके साथ हमने गलत किया है। क्षमा मांगने व किसी को क्षमा करने की कई यादगार मिसालें हमारे इतिहास व परंपराओं में दर्ज हैं। जैन धर्म में हर वर्ष मनाए जाने वाले क्षमा पर्व का खास स्थान है।
जापान में माफी मांगना शिष्टाचार का अनिवार्य अंग माना जाता है। वहां के लोगों के व्यवहार में क्षमायाचना का भाव इस कदर झलकता है कि कई विदेशियों को यह अनूठा, यहां तक कि अटपटा भी लगता है। खास बात यह है कि जापान में माफी मांगना किसी गलत काम की स्वीकारोक्ति नहीं, बल्कि शिष्टाचार व विनम्रता का संकेत माना जाता है और विनम्रता जापानी संस्कृति में बेहद महत्वपूर्ण गुण माना गया है। इसीलिए वहां की भाषा में क्षमायाचना के लिए कई अलग-अलग शब्द निर्धारित हैं। सामने वाले की उम्र, उससे आपके परिचय के स्तर और घटनाक्रम की परिस्थिति के हिसाब से तय होता है कि आपको माफी मांगने के लिए कौन-से शब्द या शब्दों का उपयोग करना है। इसके साथ ही शारीरिक मुद्रा का भी अहम स्थान होता है। यूं तो जापानी एक-दूसरे के अभिवादन में भी थोड़ा झुकते हैं लेकिन माफी मांगने के लिए अधिक झुका जाता है व अधिक देर के लिए झुका जाता है।
जापान की ही तरह, पड़ोसी चीन के गुआंगझाऊ क्षेत्र में भी माफी मांगने के लिए कई शब्द व वाक्यांश निर्धारित हैं। अपनी गलती के लिए आप कितनी ग्लानि महसूस कर रहे हैं, इसके आधार पर तय होता है कि आप किन शब्दों में माफी मांगेंगे। इनमें 'क्षमा करना" से लेकर 'मुझसे गलती हो गई, मुझे सजा दो" तक शामिल है।
ब्रिटिश लोगों की भी ख्याति बात-बात पर क्षमायाचना के लिए रही है। 'सॉरी" कहना किस कदर उनके अवचेतन में रच-बस गया है, यह कुछ समय पहले मानवशास्त्री केट फॉक्स द्वारा किए गए एक प्रयोग से सामने आया। केट कई शहरों-कस्बों में घूम-घूमकर राह चलते लोगों से जान-बूझकर टकराती गईं। उन्होंने पाया कि लगभग 80 प्रतिशत लोगों ने टकराने के लिए 'सॉरी" कहा, इसके बावजूद कि दोष केट का था, न कि उनका! इनमें से बड़ी संख्या में लोग बिना कुछ सोचे 'सॉरी" बोल रहे थे या फिर अपनी ही धुन में 'सॉरी" बोलते हुए निकल रहे थे। यानी जिनमें वास्तव में क्षमा का भाव नहीं था, वे भी आदतन यह शब्द बोल रहे थे।
हां, ब्रिटेन ने सदियों तक भारत समेत दुनिया के अनेक देशों पर जो अत्याचार किए, उसके लिए आधिकारिक क्षमायाचना का अब भी उसके तमाम पूर्व उपनिवेशों को इंतजार है। इन्हीं में से एक उपनिवेश ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने जरूर वहां के मूल निवासियों पर किए गए जुल्मों के लिए आधिकारिक रूप से माफी मांगी है और इसी की स्मृति स्वरूप वहां अब हर साल 26 मई को राष्ट्रीय क्षमा दिवस मनाया जाता है।
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