क्या
संसार के रचयिता ने नींद के आगोश में तमाम जीव-जंतुओं की रचना कर डाली? क्या विस्मृति की नदी वाली अंधेरी गुफा में वास करते हैं निद्रा
देव? क्यों तगड़ी दावत उड़ाकर पीठ के बल
सोने से चैन की नींद नसीब नहीं होती...?
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अमेरिका
के एबेनाकी आदिवासी समुदाय के लोग सृष्टि के निर्माण की कहानी कुछ यूं सुनाते हैं
कि एक बार ईश्वर ने जब अपने आसपास देखा तो पाया कि न कोई रंग था, न ध्वनि, न प्रकाश था और न किसी प्रकार की हलचल। उन्होंने तय किया कि वे
जीवन से धड़कने वाला संसार बनाएंगे। उन्होंने समुद्र में रहने वाले विशाल कछुए को
बुलाया और आदेश दिया कि वह अपनी पीठ को धरती बना दे। फिर उन्होंने उसकी पीठ पर
पहाड़, मैदान व खाइयां रच डालीं। साथ ही
आसमान को नीला कर उसमें सफेद बादल उड़ा दिए। इसके बाद बारी आई इस नए रचे गए संसार
में प्राणियों को लाने की। ईश्वर बहुत देर तक विचार करते रहे कि किस-किस प्रकार के प्राणी रचे जाएं। वे कुछ तय
नहीं कर पा रहे थे और सोचते-सोचते उनकी नींद लग गई। नींद में
उन्होंने सपना देखा,
जिसमें उन्हें अजीब-अजीब जीव-जंतु नजर आए। कोई चार पैरों पर चल रहा था, तो कोई जमीन पर रेंग रहा था। कोई हवा में उड़
रहा था, तो कोई पानी मंे तैर रहा था। ये
भांति-भांति की ध्वनियां उत्पन्ना कर रहे
थे। कोई आपस में मिल-जुलकर रह रहे थे, तो कोई लड़ रहे थे। ईश्वर नींद से जागे, तो सोचने लगे कि ऐसे अजीबोगरीब प्राणी
हर्गिज हो नहीं सकते। मगर यह क्या! उन्होंने
अपने आसपास देखा तो पाया कि चारों ओर ठीक वैसे ही प्राणी विचर रहे थे, जैसे उन्होंने सपने में देखे थे। उन्होंने
नींद में ही, अपने स्वप्न के माध्यम से सारे
प्राणियों की रचना कर डाली थी!
इस प्रकार
एबेनाकी समुदाय मानता है कि संसार का आबाद होना नींद का ही सुपरिणाम है। एक तरह से
यह नींद की वांछनीयता ही नहीं,
अनिवार्यता को भी
रेखांकित करता है। आज विज्ञान मानता है कि अच्छे स्वास्थ्य के लिए नींद अनिवार्य
है। इसके बगैर जिया नहीं जा सकता। यह नींद के महत्व की स्वीकारोक्ति ही है कि
विभिन्ना संस्कृतियों की पौराणिक कथाओं, जनश्रुतियों
आदि में नींद से जुड़े कथानक मिलते हैं। प्राचीन ग्रीस में हिप्नॉस को नींद का
देवता माना जाता था। वे रात्रि की देवी और अंधकार के देवता के पुत्र व मृत्यु के
देवता के भाई थे। गौर कीजिए,
यहां नींद का संबंध
रात्रि व अंधकार के साथ-साथ मृत्यु से भी जोड़ा गया है, जोकि चिरनिद्रा है। यह भी कहा जाता है कि
हिप्नॉस एक अंधेरी गुफा में निवास करते हैं, जिसमें से विस्मृति की नदी निकलती है।
नींद को
लेकर कई गुत्थियां मानव मन को विस्मित करती रही हैं। इन गुत्थियों के पीछे तर्क
तलाशते हुए उसने दिलचस्प धारणाएं गढ़ डालीं। ब्राजील में कहा जाता है कि यदि आप
ठूंस-ठूंसकर खाने के बाद पीठ के बल सो
जाते हैं, तो पीसादीरा नामक चुड़ैल आपकी छाती
पर आ बैठेगी! दुबली-पतली,
छोटे कद की पीसादीरा
की नाक लंबी व आंखें लाल हैं। उसके लंबे, पीले
नाखून, नुकीले दांत व हरे रंग का मुंह उसे
और भी डरावना बनाते हैं। जब वह किसी की छाती पर आ बैठती है, तो व्यक्ति हड़बड़ाकर जाग जाता है और उसे
देखकर सन्ना रह जाता है। वह चाहते हुए भी न हाथ-पांव हिला सकता है और न ही कुछ बोल पाता है। उसका दम घुटने लगता
है। ऐसे में या तो पीसादीरा तब तक डटी रह सकती है, जब तक व्यक्ति दम घुटने से मर न जाए या फिर वह अचानक उठकर जा
सकती है, जिसके बाद व्यक्ति धीरे-धीरे पूरी तरह जागृत अवस्था में आएगा और उसे
इस पूरे मामले की बहुत धुंधली-सी याद ही रहेगी।
चलते-चलते जापान में प्रचलित एक मजेदार धारणा के
बारे में भी जान लें। वहां कहा जाता है कि अगर रात को आपको देर तक नींद नहीं आ रही, तो समझ जाइए कि आप किसी के सपने में जाग रहे
हैं..!
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