तितलियां
अपने इंद्रधनुषी रंगों से खुशियां तो बिखेरती ही हैं, इन्हें कई स्थानों पर दिवंगत पूर्वजों की आत्मा भी माना गया है।
कोई इन्हें लंबी आयु का प्रतीक मानता है, तो
कोई कहता है कि ये हमारी मनोकामनाएं ईश्वर तक पहुंचाती हैं।
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टोहोना
आटम नामक एक अमेरिकी आदिवासी समुदाय में
तितलियों की उत्पत्ति की बड़ी ही मजेदार कहानी सुनाई जाती है। इसके अनुसार, एक दिन जब विधाता कुछ बच्चों को खेलता हुआ
देख रहे थे, तो बड़े उदास हो गए। उनकी उदासी का
कारण बच्चों का उन्मुक्त होकर हंसना-खेलना
नहीं, बल्कि यह विचार था कि एक दिन ये
बच्चे वृद्धावस्था को प्राप्त होंगे। इनके शरीर जर्जर हो जाएंगे। बाल पक जाएंगे, दांत गिर जाएंगे, चलने-फिरने में परेशानी आएगी। फिर, वे फूलों को देखकर इस खयाल से उदास हो गए कि
जल्द ही ये मुरझा जाएंगे। हरी-भरी पत्तियों को देख यह सोचकर दुखी
हो गए कि ये सूखकर झड़ जाएंगे। अपनी ही सृष्टि की नश्वरता के नियम से उदास विधाता
ने आखिरकार तय किया कि वे कुछ ऐसा रचेंगे, जिससे उनका भी दिल खुश हो जाए और जो सामने खेल रहे बच्चों को भी
आनंदित कर दे।
विधाता ने
अपना झोला निकाला और उसमें सूरज की थोड़ी रोशनी डाली। फिर उसमें आकाश का थोड़ा नीला
रंग, बच्चों की परछाई, झड़ते हुए पत्ते का पीलापन, एक लड़की के बालों का काला रंग, आसपास फैले फूलों के लाल, नारंगी, जामुनी आदि रंग डाले। अंत में उन्होंने पंछियों के गीत भी अपने
झोले में डाल दिए। अब वे खेल में मशगूल बच्चों के पास गए और बोले, 'बच्चों, यह झोला खोलकर देखो। इसमें तुम्हारे लिए कुछ है।" बच्चों ने जैसे ही झोला खोला, उसमें से सैंकड़ों रंग-बिरंगी तितलियां निकल आईं। अपने चारों ओर इन
सुंदर तितलियों को देखकर बच्चे मंत्रमुग्ध रह गए। अब तितलियों ने गाना शुरू कर
दिया और बच्चों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। मगर तभी एक चिड़िया विधाता के पास आई
और बोली, 'आपने तो हमें रचते समय वादा किया था
कि हर पंछी का अपना गीत होगा। अब आपने हमारा गीत इन नए प्राणियों को दे दिया! यह आपने अच्छा नहीं किया।" इस पर विधाता को अपनी भूल का एहसास हुआ और
उन्होंने तितलियों से गीत वापस ले लिया। तभी से रंग-बिरंगी तितलियां खामोश हैं मगर अपने सौंदर्य से संसार को लुभा
रही हैं।
तितलियां
भला किसका मन नहीं मोहतीं?
उदासी की तपती दोपहरी
में ये आनंद की शीतल बयार बनकर आती हैं। अपने छोटे-से जीवनकाल में ये चहुं ओर खुशियां बिखेर जाती हैं। संक्षिप्त
जीवनकाल के बावजूद चीन में इन्हें लंबी आयु व स्वस्थ जीवन का प्रतीक माना जाता है।
वहीं जापान में इन्हें दांपत्य सुख के प्रतीक के तौर पर देखा जाता है। मेक्सिको, आयरलैंड व रूस जैसे देशों में तितलियों को
दिवंगत आत्माओं का प्रतिरूप माना जाता रहा है। ग्रीक दार्शनिक अरस्तू ने भी इन्हें
'आत्मा" कहकर संबोधित किया था। आयरलैंड में तितलियों
को, खासकर सफेद तितलियों को मारना
अपशकुन माना जाता है। सफेद तितलियों को दिवंगत बच्चों की आत्माएं कहा जाता है।
मध्ययुगीन मेक्सिको की एजटेक संस्कृति में मान्यता थी कि परलोक में प्रसन्ना
पूर्वजों की आत्माएं तितली बनकर अपने परिजनों से मिलने आती हैं। उनके स्वागत में
घर में गुलदस्ते सजाए जाते थे। वहां गुलदस्तों को ऊपर की ओर से सूंघना वर्जित था।
माना जाता था कि ऊपर से इन्हें सूंघने का अधिकार केवल पूर्वजों की आत्माओं, यानी तितलियों को है।
अमेरिकी
आदिवासी मानते हैं कि यदि आप किसी तितली को नुकसान पहुंचाए बगैर उसे पकड़ते हैं और
उसे अपनी मनोकामना बताकर छोड़ देते हैं, तो
वह आपकी मनोकामना सीधे ईश्वर के पास पहुंचा देती है! तितलियों को लेकर शुभ-अशुभ
संबंधी कई धारणाएं भी व्याप्त हैं। कई देशों में लोग मानते हैं कि अगर आप साल के
पहले दिन सुबह-सुबह सफेद तितली देखें, तो आपका पूरा साल शुभ जाता है। वहीं एक समय
ऐसा भी था, जब सफर पर निकल रहे नाविकों को यदि
तितली दिखाई दे जाए,
तो वे इसे अशुभ मानते
हुए भयग्रस्त हो जाते थे कि वे सफर से जीवित नहीं लौटेंगे...!
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