लाल रंग
को कहीं शौर्य व शहादत का प्रतीक माना गया है, तो कहीं इसे सुरक्षा कवच के रूप में धारण किया गया है। यहां तक
कि इसे सीधे-सीधे जादू से भी जोड़ा गया है। अब
बताया जाता है कि यह आपको शरारती भी बनाता है...।
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लाल रंग
देखकर आपको कैसा महसूस होता है?
क्या गुस्सा आता है, पारा चढ़ जाता है? या फिर आप इसे 'रुको" की निशानी मानकर जो भी कर रहे हैं, उसे रोक देते हैं? अमेरिका के कुछ वैज्ञानिकों ने हाल ही में बाकायदा शोध करके
दावा किया है कि कुछ लोगों में लाल रंग शरारत का भाव जगाता है! खास तौर पर, सनसनी की तलाश में रहने वाले लोगों में यह प्रतिक्रिया पाई गई।
खैर, हो सकता है कि आप पर इस रंग का कोई
और ही असर होता हो या कोई असर होता ही न हो...। यूं रंगों के संसार में लाल रंग हमेशा से अपनी खास ठसक लिए
रहता आया है। ऐसा क्यों है,
यह तय कर पाना जरा
मुश्किल है। शायद इसमें नैसर्गिक रूप से मनुष्यों को मुग्ध करने की ताकत है। या
फिर यह रंग बस, इसलिए हमें खास लगता है क्योंकि यह
हमारी रगों में दौड़ते और हमें जीवित रखते खून का रंग है।
कारण जो
भी हो, इतना तो तय है कि विभिन्ना रीति-रिवाजों आदि में इसका खास स्थान रहा है। अलग-अलग देश-समाज के लोगों ने इसे अलग-अलग रूपों में देखा। खून का रंग होने के कारण अनेक देशों में
इसे वीरता, शौर्य और शहादत का प्रतीक स्वीकारा
गया है। मध्यकाल में पोप तथा रोमन कैथलिक समुदाय के अन्य वरिष्ठ पदाधिकारी ईसा मसीह
के रक्त के प्रतीक स्वरूप लाल वस्त्र धारण करते थे। इंग्लैंड की महरानी एलिजाबेथ
प्रथम ने जब अपनी बहन मेरी को राजद्रोह के आरोप में मौत की सजा दी, तो मेरी लाल वस्त्र पहनकर अपना सिर कलम
करवाने पहुंचीं। ऐसा करके वे यह संदेश देना चाहती थीं कि वे निर्दोष हैं और शहीद
होने जा रही हैं।
कम्युनिस्ट
शासन के कारण चीन को अक्सर लाल देश कहा जाता है मगर वहां लाल रंग का महत्व
साम्यवाद के जन्म से भी कई सदियों पहले से रहता आया है। चीनी दर्शनशास्त्र के
अनुसार, संसार पांच तत्वों से बना है: धातु, काष्ठ,
जल, अग्नि व पृथ्वी। हर तत्व का प्रतीक कोई रंग
होता है। इनमें अग्नि का प्रतीक लाल रंग है। साथ ही यह दक्षिण दिशा व ग्रीष्मकाल
का भी प्रतीक है। इसे शौर्य,
सम्मान, वफादारी, सफलता,
अच्छी किस्मत, उर्वरता और प्रसन्नाता के साथ भी जोड़कर देखा
जाता है। साथ ही इसे सुरक्षा कवच भी माना जाता है। कारण यह कि प्राचीन चीन में
नियान नामक नरभक्षी दानव होने की मान्यता थी। कहा जाता था कि उसे लाल रंग सख्त
नापसंद है, यदि आप लाल परिधान पहनें, तो इसके हमले का खतरा नहीं रह जाता। इसीलिए
लोग लाल कपड़े पहनते थे और अपने घरों को लाल रंग से सजाते थे। लाल को शुभ रंग मानते
हुए चीनी दुल्हनें लाल लिबास पहनती हैं। वहीं इसे मृत्यु का प्रतीक भी माना जाता
है। किसी का निधन होने पर उसका नाम लाल स्याही से लिखा जाता है! उधर मिस्र में लाल रंग को जीवन का प्रतीक
कहा जाता था। विरोधाभास यह कि किसी के निधन पर कहा जाता था कि वह 'लाल पड़ गया"! इसके साथ ही यह विनाश तथा विपदा का भी
प्रतीक था। लोग आइसिस देवी से प्रार्थना करते थे कि हे देवी, हमें सारी विपदाओं और लाल वस्तुओं से बचाना! रोम में मंगल को युद्ध का देवता माना जाता
था और चूंकि मंगल 'लाल ग्रह" है, सो इस रंग का संबंध भी युद्ध से जोड़ा गया। रोमन सेना के सैनिक
लाल वर्दी धारण करते थे।
यूनान में
जब दो लोग एक साथ एक ही बात बोलें, तो
इसे अशुभ कहा जाता है। माना जाता है कि इससे दोनों में झगड़ा हो सकता है। इसका तोड़
यह है कि एक साथ कुछ बोलते ही दोनों किसी लाल वस्तु को छू लें या कम से कम यह बोल
ही लें कि 'लाल छुओ!" लाल रंग को इस कदर चमत्कारी माना जाता था कि
प्राचीन योरप की भाषाओं मंे 'जादू" शब्द की उत्पत्ति ही 'लाल" शब्द से हुई थी। योद्धा अपने शस्त्रों पर
लाल रंग लगाते थे, ताकि उनमें जादुई शक्तियां आ जाएं।
पशुओं व पेड़ों की रक्षा के लिए उन पर भी लाल रंग लगाया जाता था। जर्मनी में यह
विश्वास था कि लाल कपड़े पहनने से बुखार से लेकर गर्भपात तक से बचा जा सकता है! उधर ठेठ पूर्व में जापान के लोगों की
मान्यता रही है कि लाल रंग से दैत्य व रोग भाग निकलते हैं। पुरातन इसराइल में इस
रंग को बुराई व मृत्यु से जोड़ा जाता था। किसी की हत्या करने पर कहा जाता था कि उसे
लाल कर दिया गया। 'लाल कर्मों" में लिप्त होने का मतलब था बुरे कामों में
रत होना।
मानना
पड़ेगा, लाल रंग के कई रंग रहते आए हैं...!
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