Monday 26 January 2015

तलाश बुद्धि और ज्ञान की



बुद्धि ही वह प्रमुख तत्व है, जो मनुष्य को दूसरे जीवों से अलग करती है। बुद्धि की शक्ति को पहचानते हुए मनुष्य ने हमेशा इसे साध्ाा, उपासा, तलाशा और तराशा। बुद्धि के किसी आदर्श को खोजने और फिर उसका अनुसरण करने को उसने सदा तत्परता दिखाई है।
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एक दिन नौ कुत्ते शिकार करने जंगल में निकले। रास्ते में उन्हें एक शेर मिला। वह बोला, 'मैं भी शिकार करने निकला हूं। चलो, हम सब मिलकर शिकार करते हैं।" दिन भर शिकार करते हुए उन सबने मिलकर दस हिरण मारे। शाम को जब शिकार समाप्त हुआ, तो शेर बोला, 'चलो, अब हम इन हिरणों को आपस में बराबर-बराबर बांट लेते हैं।" इस पर एक कुत्ता तपाक से बोल पड़ा, 'इसमें कौन-सी बड़ी बात है! हिरण दस हैं और हम भी। सब एक-एक हिरण लेंगे।" यह सुनकर शेर आग-बबूला हो गया और उसने उस कुत्ते को ऐसा पंजा मारा कि उसकी देखने की क्षमता ही जाती रही। तब दूसरा कुत्ता बोला, 'हमारा भाई गलत था। हमें नौ हिरण शेर महाराज को देने चाहिए, फिर वे कुल दस हो जाएंगे। एक हिरण हम अपने पास रखेंगे, तब हम भी कुल दस हो जाएंगे। इस प्रकार बराबरी का बंटवारा होगा।" इस तर्क से खुश होकर शेर ने पूछा, 'अरे वाह! तुम्हें इस तरह भाग करना किसने सिखाया?" तब वह बुद्धिमान कुत्ता बोला, 'हमारे इस अंध्ो भाई ने, जो अभी कुछ क्षण पहले तक देख सकता था..."
अफ्रीका की यह रूपकात्मक कथा उन हजारों-लाखों किस्से-कहानियों में से एक है, जो दुनिया के हर उस कोने में सुनी-सुनाई जाती हैं, जहां इंसान बसता है। बुद्धि ही वह प्रमुख तत्व है, जो मनुष्य को दूसरे जीवों से अलग करती है। बुद्धि की शक्ति को पहचानते हुए मनुष्य ने हमेशा इसे साध्ाा, उपासा, तलाशा और तराशा। बुद्धि के किसी आदर्श को खोजने और फिर उसका अनुसरण करने को उसने सदा तत्परता दिखाई है। इसी के चलते कहीं किसी बुद्धिमान राजा की किंवदंतियां चलती आई हैं, तो कहीं किसी आम आदमी (या औरत) की बुद्धिमानी के किस्से, जिसने अपनी बुद्धि से ताकतवर विरोध्ाियों को ध्ाूल चटाई। हमारे पंचतंत्र और हितोपदेश से लेकर अफ्रीका की उक्त दंतकथा जैसी ढेरों विदेशी कथाओं में किसी पशु को उदाहरण बनाकर बुद्धिमत्ता के मानक प्रस्तुत किए जाते रहे हैं। यही नहीं, हमारे यहां बुद्धि के देवता गणपति की ही तरह लगभग हर संस्कृति में बुद्धि के किसी देवता या देवी को माना और पूजा गया है।
एथिना प्राचीन यूनान में बुद्धि की देवी थीं। कहा जाता है कि वे देवराज ज़्यूस के सिर में से, पूर्ण विकसित अवस्था में जन्मी थीं। यह भी कहते हैं कि एथिना ने ही हल का आविष्कार किया और मनुष्यों को बताया कि कैसे बैलों और हल की मदद से खेतों को जोता जा सकता है। यही नहीं, उन्होंने लगाम का आविष्कार कर घोड़ों को प्रशिक्षित करने का ज्ञान भी मनुष्यों को दिया। उन्होंने रथ, जहाज, बिगुल और बांसुरी का आविष्कार किया। साथ ही मनुष्यों को गिनती भी सिखाई। मूर्तिकला एवं चित्रकला में एथिना को एक उल्लू के साथ दर्शाया जाता है, जो उनका संदेशवाहक माना जाता है। कालांतर में उल्लू एथिना का और बुद्धि एवं बुद्धिमत्ता का प्रतीक भी माना गया। यह और बात है कि हमारे यहां किसी मूर्ख व्यक्ति को 'उल्लू" की उपाध्ाि दी जाती है! एथिना के ही समकक्ष, रोम में मिनर्वा बुद्धि की देवी थीं और उन्हें भी उल्लू के साथ दर्शाया जाता रहा है। मिस्र में ज्ञान के देवता थोथ हैं, जिन्हें आइबिस पक्षी के सिर और मानव के ध्ाड़ के साथ दर्शाया जाता है। एक समय तो उन्हें ध्ार्म, दर्शन विज्ञान और समस्त ज्ञान का सर्जक तक माना जाता था।
नॉर्वे, डेनमार्क तथा स्वीडन की पौराणिक कथाओं में ओडिन को सभी देवताओं का पिता होने के साथ-साथ बुद्धि का देवता भी माना गया है। खास बात यह कि बुद्धि और ज्ञान का देवता होने के बावजूद ओडिन की ज्ञान की प्यास कभी कम नहीं होती। अनेक कथाओं में बताया गया है कि ज्ञान प्राप्त करने के लिए उन्होंने कैसी-कैसी कठोर तपस्याएं कीं। एक कथा के मुताबिक एक बार ओडिन ब्रह्माण्ड-वृक्ष की जड़ों के पास स्थित ज्ञान के कुएं पर गए। इस कुएं का पानी पीने से लोक-परलोक का सारा ज्ञान प्राप्त हो सकता था। मगर कुएं का रक्षक मिमिर सिर्फ ऐसे ही व्यक्ति को यह पानी पीने दे सकता था, जिसमें ज्ञान प्राप्ति के प्रति सच्ची लगन हो। इसलिए उसने ओडिन के समक्ष शर्त रख दी कि पानी के बदले उन्हें अपनी एक आंख देनी होगी। ओडिन ने अपनी एक आंख उखाड़कर कुएं को समर्पित कर दी, जिसके बाद उन्हें इस ज्ञान-जल के सेवन की अनुमति मिली। ज्ञान की खातिर आंख का यह त्याग मिसाल बन गया।
बुद्धि या ज्ञान के प्रतीक कोई देवी-देवता ही रहे हों, यह जरूरी नहीं। विभिन्ना वास्तविक या मिथकीय जीवों को भी इनके प्रतीक के तौर पर स्वीकारा गया है। यूनान और मिस्र दोनों ही में 'स्फिंक्स" नामक एक मिथकीय जीव की मान्यता रही है। इसे सिंह के ध्ाड़ और मानव सिर के साथ दर्शाया जाता है। खास बात यह कि इसे अन्य कई चीजों के अलावा ज्ञान और बुद्धि का प्रतीक भी कहा जाता है। चीन में 'बाई जे" नामक रहस्यमयी प्राणी के बारे में बताया जाता है, जो कुनलुन के पहाड़ों में रहता है। कुछ-कुछ भेड़ की आकृति वाले बाई जे का चेहरा मानव जैसा होता है। उसने सम्राट ह्वांग दी को 11,520 प्रकार के परालौकिक जीवों और उनके हमलों से बचने के बारे में विस्तार से बताया था। सम्राट ने इस ज्ञान को पुस्तक के रूप में संजो लिया। जापान में इसी से मिलते-जुलते एक जीव को हाकूताकू कहा जाता है।

आयरलैंड की एक दिलचस्प कहानी के अनुसार, एक बार ज्ञान के कुएं के आसपास मौजूद बादाम के नौ पेड़ों पर से एक-एक बादाम कुएं के अंदर गिर पड़ा। एक सैमन मछली ने ये बादाम खा लिए और विश्व का सारा ज्ञान उसमें समा गया। इस ज्ञानवान सैमन की ख्याति दूर-दूर तक फैली। माना गया कि जो भी इसे खा जाएगा, उसमें यह सारा ज्ञान हस्तांतरित हो जाएगा। फिनेगस नामक विद्वान कवि-ऋषि ने सात वर्षों तक इस मछली की तलाश की और अंतत: इसे अपने जाल में फांस ही लिया। यह मछली उन्होंने अपने शिष्य फियोन को देकर कहा कि इसे पकाकर ले आओ और इसे हर्गिज मत खाना...। फियोन अपने गुरु की आज्ञा का पालन कर रसोईघर में मछली पकाने लगा। कुछ देर बाद उसने मछली पकी या नहीं, यह जांचने के लिए उंगली से उसे छूकर देखा लेकिन मछली इतनी गर्म थी कि उसकी उंगली जल गई। वह तुरंत उंगली मुंह में लेकर उसे चूसने लगा। इस दौरान हुआ यह कि मछली में मौजूद सारा ज्ञान वसा की एक बूंद से होते हुए फियोन की उंगली पर और वहां से उसके मुंह में चला गया। अब विश्व का सारा ज्ञान फियोन के भीतर था...। जब वह पकी हुई मछली लेकर अपने गुरु के पास पहुंचा, तो उसकी आंखों में एक दिव्य चमक थी। गुरु समझ गए कि कुछ गड़बड़ है। उन्होंने फियोन से पूछा कि क्या तुमने मछली का कुछ हिस्सा खा लिया, तो फियोन बोला नहीं! मगर जब उसने रसोईघर के पूरे घटनाक्रम का वर्णन किया, तो फिनेगस समझ गए कि मछली में मौजूद विश्व का ज्ञान उनके बजाए उनके शिष्य को प्राप्त हो गया है। उन्होंने उससे कहा कि लो, अब यह मछली भी तुम ही खा लो...! आगे चलकर फियोन इस ज्ञान के दम पर एक ध्ाुरंध्ार योद्धा और अपने लोगों के कुशल प्रशासक के तौर पर विख्यात हुआ।