Sunday 24 December 2017

दोधारी तलवार से कम नहीं छुरी!

छुरी खतरे, डर व दर्द से रक्षा करती है, तो अपशकुन होने, दोस्ती टूटने व किसी खूनी के जन्म की चेतावनी भी देती है...!
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कभी-कभी हम रोजमर्रा के जीवन में जो वस्तुएं इस्तेमाल करते हैं, उनके अतीत व उन्हें लेकर लोक संस्कृति में व्याप्त धारणाओं की ओर हमारा ध्यान नहीं रहता। अब छुरी को ही लें। रसोई में इस्तेमाल होने वाली साधारण-सी छुरी में भी इंसान ने ऐसी विलक्षण शक्तियां देखीं, कि इसे लेकर कल्पनाओं का विस्तृत संसार रच डाला। मसलन, क्या आप जानते हैं कि पश्चिमी देशों में ऐसा माना जाता रहा है कि मुख्य द्वार में एक छुरी घोंपकर रखने से घर सुरक्षित रहता है? यही नहीं, शिशुओं के पालने के सिरहाने भी एक छरी घोंपी जाती थी, ताकि शिशु की हर खतरे से रक्षा हो सके! इसी प्रकार एक मान्यता यह थी कि प्रसव के दौरान महिला के बिस्तर के नीचे एक छुरी रख देने से उसकी प्रसव पीड़ा कम हो जाती है। यूनान के लोग मानते रहे हैं कि अगर आप काले हैंडल वाली छुरी अपने तकिए के नीचे रखकर सोएंगे, तो आपको बुरे सपने नहीं आएंगे। कुल मिलाकर, छुरी में खतरों से, दर्द से व डर से रक्षा करने की ताकत देखी गई! तार्किक मन को ये बातें हास्यास्पद लग सकती हैं मगर कल्पनाशील मस्तिष्क ऐसे ही तो काम करते हैं।
छुरी किसी दोधारी तलवार से कम नहीं होती। इसकी धार अगर अप्रिय, अनचाहे को काट सकती है, तो प्रिय व चहीते को भी क्षति पहुंचा सकती है। यही ध्यान में रखते हुए कई संस्कृतियों में आगाह किया जाता है कि अपने किसी मित्र को कभी तोहफे में छुरी नहीं देना चाहिए। अगर दी, तो दोस्ती का बंधन 'कट" सकता है, यानी दोस्ती टूट सकती है। अब यदि शंका है, तो समाधान भी है। तो दोस्ती टूटने की शंका का समाधान यह निकाला गया कि जब कोई दोस्त आपको छुरी भेंट करे, तब आप उसे प्रतीकात्मक भुगतान के तौर पर एक सिक्का दे दें। जब भुगतान चुकाया, तो फिर यह तोहफा थोड़े ही हुआ! अब यह तो अच्छा नहीं लगता कि आप किसी को कोई तोहफा भी दें और यह भी उम्मीद करें कि वह आपको इसकी कीमत चुकाएगा। तो इसके आगे रास्ता यह निकाला गया कि तोहफा देने वाला ही छुरी के ऊपर एक सिक्का चिपकाकर भेंट करे। प्राप्तकर्ता बस, वह सिक्का निकाले और तोहफा देने वाले को प्रतीकात्मक भुगतान कर दे।
एक सलाह यह भी दी जाती आई है कि दो छुरियों को कभी भी साथ में, एक-दूसरे की विपरीत दिशा में आड़ी नहीं रखना चाहिए। ऐसा करने से आपका किसी से झगड़ा हो सकता है। कई नाविक समुद्री सफर के दौरान छुरी का नाम लेना अपशकुन मानते हैं। वहीं कुछ देशों में छुरी का जमीन पर गिरना अपशकुन माना जाता है, तो कुछ देशों में इस बात का संकेत कि आपके घर कोई मेहमान आने वाला है। आइसलैंड में यदि मछली साफ करते वक्त किसी मछुआरे के हाथ से छुरी गिर जाए और उसकी नोक समुद्र की ओर हो जाए, तो वह खुश हो जाता है। यह इस बात का संकेत माना जाता है कि अगली बार जब वह समुद्र में जाएगा, तो उसे बड़ी संख्या में मछलियां मिलेंगीं। उधर रूस में कहते हैं कि छुरी की तेज धार ऊपर की ओर करके रखने से कहीं कोई हत्यारा जन्म लेता है।

कुछ देशों में छुरी के स्वामित्व को लेकर भी बड़ी दिलचस्प बात कही जाती है। वह यह कि कोई सही मायने में किसी छुरी की मालिक तभी बनता है जब छुरी उसका खून पिए! यानी छुरी ने आपका हाथ काटकर आपका खून बहाया, तब वह वास्तव में आपकी हुई। इसके बाद यह आपका कर्तव्य बनता है कि आप किसी और को, 'आपकी" हो चुकी यह छुरी इस्तेमाल न करने दें।

Sunday 10 December 2017

आफत की नन्ही पुड़िया

क्या नन्ही-सी गिलहरी इतने बड़े कारनामे कर सकती है कि सूरज को ही निगल ले या विभिन्ना लोकों को आपस में लड़वा दे? विश्व की कुछ पौराणिक मान्यताएं तो ऐसा ही कहती हैं...
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अमेरिका के एक आदिवासी समुदाय में ऐसा माना जाता आया है कि सूर्य ग्रहण के लिए काली गिलहरी जिम्मेदार है। उस इलाके में पाई जाने वाली यह काली गिलहरी अपनी शरारतों के लिए ख्यात, या कहें कुख्यात है। अपने शरारती स्वभाव के चलते ही यह समय-समय पर सूर्य को निगलने की कोशिश करती है और इसी से सूर्य ग्रहण होता है। जाहिर है, आदि काल में लोगों के लिए सूर्य का यूं अंधकार की ओट में चले जाना भयाक्रांत करने वाला अनुभव था। तो इस 'आपदा" को दूर करने के प्रयास करना भी लाजिमी था। ये आदिवासी मानते थे कि यदि गिलहरी को डरा दिया जाए, तो वह सूर्य को खाने का प्रयास करना छोड़ सकती है। तो जैसे ही सूर्य ग्रहण शुरू होता और किसी की उस पर निगाह पड़ती, चारों ओर मुनादी कर दी जाती कि काली गिलहरी सूर्य को निगल रही है। बस, सारे लोग अपने-अपने घर से निकल आते और गिलहरी को डराने के लिए ज्यादा से ज्यादा शोर मचाने में जुट जाते। बर्तन-भांडे, घंटे-घड़ियाल बजाए जाते। साथ ही चीखने-चिल्लाने के स्वर भी इनमें मिला दिए जाते। अक्सर इनके पालतू श्वान भी इस शोरगुल में अपना सुर मिला देते। फिर, जैसे-जैसे ग्रहण समाप्त होने लगता, लोग खुशी के मारे झूम उठते। फिर से मुनादी होती कि काली गिलहरी डर गई है। ग्रहण समाप्त होते ही चारों ओर खुशियां फैल जातीं। लोगों को यकीन हो जाता कि उनके शोर-गुल के कारण ही काली गिलहरी ने डर के मारे सूरज को खाने का इरादा त्याग दिया।
यूं गिलहरी को बड़ा मासूम व निरीह प्राणी माना जाता है। ऐसे में यह दिलचस्प है कि कहीं इसे इतनी बड़ी 'शरारत" के लिए जिम्मेदार ठहराया जाए। एक अन्य अमेरिकी समुदाय में लाल गिलहरी की ख्याति भी बदमिजाजी के लिए है। कहा जाता है कि बहुत पहले यह गिलहरी भालू जितनी बड़ी हुआ करती थी और किसी पर भी हमला बोल दिया करती थी। तब ईश्वर ने उसका आकार छोटा कर दिया, ताकि वह दूसरों को नुकसान न पहुंचा सके। मगर ईश्वर उसका स्वभाव बदलना भूल गए। इसीलिए आकार छोटा होने के बावजूद लाल गिलहरी की बदमिजाजी नहीं गई। अब चूंकि वह किसी को शारीरिक नुकसान तो पहुंचा नहीं सकती, सो यूं ही चिल्ला-पुकार करती फिरती है। यही नहीं, वह विभिन्ना प्राणियों के कान भरकर उन्हें एक-दूसरे के खिलाफ भड़काती है, ताकि वे आपस में लड़ मरें!
स्कैंडिनेवियाई देशों की पौराणिक मान्यताओं में रैटाटॉस्कर नामक गिलहरी का जिक्र आता है। यह उस महावृक्ष पर रहती है, जो नौ लोकों को जोड़ता है। रहती ही नहीं है, यह वृक्ष के सबसे निचले भाग, यानी सबसे निचले लोक से लेकर सबसे ऊंचे भाग, यानी सबसे ऊंचे लोक तक आती-जाती है व संदेशवाहक का काम करती है। हालांकि यहां भी अक्सर वह शरारत पर उतर आती है और एक से दूसरे लोक को भेजे जाने वाले संदेशों में अपनी ओर से मिर्च-मसाला मिला देती है, जिससे लोकों के बीच ठन जाती है!

पश्चिमी देशों में गिलहरी के सपनों को लेकर भी दिलचस्प धारणाएं चली आई हैं। कोई कहता है कि सपने में गिलहरी को देखने का मतलब है कि आपको व्यक्तिगत संबंधों में प्रेम का और व्यवसाय में मुनाफे का अभाव है। वहीं कोई कहता है कि अगर सपने में आप गिलहरी को भोजन इकट्ठा करते हुए देखें, तो इसका मतलब है कि आपको धनलाभ होने वाला है। यदि सपने में आप गिलहरी को खाना खिला रहे हैं, तो इसका मतलब हुआ कि आपके पास धन-धान्य की कमी नहीं है। यानी बहुत कुछ कहती है गिलहरी...!