Saturday 15 August 2015

मंगल पर पहुंचा धरती का केकड़ा

केकड़े को हमने धरती पर देखा, तारामंडल में स्थापित किया और अब मंगल पर भी उसके दर्शन कर लिए!
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मंगल ग्रह पर जीवन होने को लेकर जब-तब किसी-न-किसी अफवाह, कयास आदि का दौर चलता रहता है। इसी के चलते बीते दिनों एक 'मंगलवासी केकड़ा" खूब चर्चा में रहा। हुआ यूं कि नासा द्वारा खींचे गए मंगल ग्रह के एक चित्र में किसी को एक चट्टान पर केकड़े जैसी आकृति नजर आई। देखते ही देखते सोशल मीडिया पर यह बात जंगल में आग की तरह फैल गई और ढेरों लोगों ने चित्र देखकर पुष्टि की कि उन्हें भी इसमें केकड़ा दिखाई दे रहा है। हालांकि वैज्ञानिकों ने स्पष्ट कर दिया है कि यह किसी भी वस्तु या स्थान में जानी-पहचानी आकृतियों को देखने की दिमाग की फितरत का मामला है। मसलन, बादलों में अक्सर हम पशु-पक्षियों आदि की आकृति देखते हैं।
तो मंगल पर फिलहाल कोई केकड़ा नहीं पाया गया है मगर यह दिलचस्प प्राणी मानव अवचेतन में और जनश्रुतियों में सदियों से पाया जाता रहा है। अपने दस पैर लेकर आड़ा चलने वाला केकड़ा देखने वाले के मन में कौतुहल पैदा करता ही है। उसका ठोस खोल और धारदार पंजे उसकी 'शख्सियत" को उभारते हैं। हमारी फितरत है कि जो जितना 'अलग" दिखता या बर्ताव करता है, उसे हम उतना ही किसी दैवी या शैतानी ताकत से जोड़कर देखने लगते हैं।
ग्रीक और रोमन पौराणिक कथाओं के अनुसार हरक्यूलिस ने जब नौ सिर वाले विशाल जल-सर्प हायड्रा से युद्ध किया था, तब हायड्रा की मदद के लिए देवी हेरा ने एक विशाल केकड़े को भेजा। केकड़े ने हरक्यूलिस को पांव में काटा लेकिन इससे हरक्यूलिस का कुछ नहीं बिगड़ा। उल्टे, अति शक्तिशाली हरक्यूलिस ने केकड़े को एक लात मारकर ही उसका काम तमाम कर डाला। केकड़ा शहीद हो गया लेकिन देवी हेरा ने उसके बलिदान से प्रभावित होकर उसे आसमान में स्थापित कर दिया, जहां वह कर्क तारामंडल के रूप में आज भी मौजूद है। ग्रीस की ही एक अन्य कथा कहती है कि जब टायफॉन नामक दैत्य ने ओलिंपस पर्वत के देवताओं पर हमला कर दिया, तो वे सब भागकर छुप गए। देवताओं के राजा पोसायडन ने भागने से पहले समुद्री परियों की रखवाली का जिम्मा क्रियोस नामक विशाल केकड़े को सौंपा, जिसे उन्होंने अमरत्व का वरदान दे रखा था। ये समुद्री परियां पोसायडन की ही बेटियां मानी जाती थीं। क्रियोस पूरी जिम्मेदारी से उनकी रखवाली करने लगा। वह उन्हें अपनी नजर से ओझल नहीं होने देता था। मगर एक दिन कुछ परियां उसकी नजर बचाकर दूर भ्रमण को निकल गईं। जब क्रियोस को पता चला, तो उसने समुद्रफेनी वामारी को परियों को वापस लाने के लिए भेजा क्योंकि वह स्वयं बाकी परियों को छोड़कर नहीं जा सकता था। वामारी ने परियों को ढूंढ तो निकाला लेकिन उन्हें वापस लाने के बजाय वह उन्हें खा गया। फिर लौटकर क्रियोस से कहा कि मुझे परियां कहीं नहीं मिलीं। क्रियोस समझ गया कि वामारी झूठ बोल रहा है। उसने वामारी पर हमला कर दिया। भीषण युद्ध हुआ, जिसमें जीत क्रियोस की हुई। मगर युद्ध में वह बुरी तरह घायल हो चुका था। उसके घाव भरने की कोई संभावना नहीं थी मगर अमरत्व के वरदान के चलते वह मर भी नहीं सकता था। तब पोसायडन ने उसे आसमान में तारामंडल के रूप में स्थापित कर, अमर रहते हुए, दर्द से मुक्त कर दिया।
केकड़े को अपना खोल कैसे प्राप्त हुआ, इस बारे में ट्रिनिडाड-टोबैगो में बड़ी मजेदार कहानी सुनाई जाती है। इसके अनुसार एक धनवान राक्षसी ने अपने यहां एक बकरी, एक मोर, एक बत्तख और एक केकड़ा पाल रखा था। दुनिया मंे केवल ये चार प्राणी ही राक्षसी का असली नाम जानते थे। राक्षसी ने गांव की लड़कियों के लिए प्रस्ताव रखा कि अगर तुम एक सप्ताह तक मेरी दासी बनकर काम करो और मेरा सही नाम बता दो, तो मैं अपनी आधी दौलत तुम्हें दे दूंगी। यदि नहीं बता पाई, तो सारी जिंदगी मेरी दासी बनकर ही रहना पड़ेगा। एक के बाद एक कई लड़कियों ने अपनी किस्मत आजमाई लेकिन सब नाकाम रहीं। राक्षसी अपनी किस्मत पर रोती इन लड़कियों के आंसू एक मर्तबान में भर लेती। एक दिन मकड़ी ने दौलत के लालच में लड़की का रूप धारण किया और राक्षसी के यहां पहुंच गई। उसके यहां काम करते हुए मकड़ी ने केकड़े से प्यार का नाटक शुरू किया। मूर्ख केकड़ा उसे दिल दे बैठा और एक दिन जब मकड़ी ने मालकिन का नाम पूछा तो केकड़े ने उसे बता दिया। फिर मकड़ी ने राक्षसी से शर्त जीतकर उसकी आधी दौलत झटक ली। कुपित राक्षसी को जब पता चला कि केकड़े ने उसे धोखा दिया है, तो उसने लड़कियों के आंसुओं से भरा मर्तबान केकड़े पर उड़ेल दिया। केकड़े पर गिरते ही आंसू जम गए और उसका खोल बन गए।

केकड़ों को लेकर कई तरह के अंधविश्वास भी प्रचलित हैं। मसलन यह कि अगर समुद्रतट पर टहलते हुए आपको केकड़ा नजर आता है, तो यह किसी झगड़े की पूर्व सूचना है। या यह कि अगर केकड़ा किसी नाविक का पैर जकड़ ले, तो इसका मतलब यह कि उस नाविक का जहाज डूब सकता है। स्कॉटलैंड के नाविकों में तो सफर के दौरान केकड़े का जिक्र करने की ही मनाही है। जापान में एक खास प्रजाति के केकड़ों को हीकी समुराई की आत्मा माना जाता है क्योंकि इनके खोल पर बनी आकृति समुराई योद्धा की शक्ल से मिलती-जुलती है। तो केकड़े में योद्धा नजर आए या मंगल पर केकड़ा, यह प्राणी मनुष्य की चेतना पर छाया हुआ तो है...!