Sunday 15 October 2017

चाय के प्याले में टपका रेशम

नर्म, मुलायम रेशम का इतिहास गोपनीयता व षड़यंत्र के कई उतार-चढ़ावों से भरा हुआ है। जहां चीन ने इससे खूब कमाई की, वहीं एक समय रोमन साम्राज्य की अर्थव्यवस्था पर इसके कारण संकट के बादल मंडराने लगे थे।
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रेशम के मुलायम स्पर्श की मुरीद दुनिया सदियों से है। तमाम वस्त्रों के बीच इसका विशिष्ट स्थान रहता आया है। एक समय बहुत ही सीमित लोगों तक इसकी पहुंच थी। रेशम की जन्मस्थली चीन में इसके निर्माण के राज की रक्षा इस कदर की जाती थी कि सीमाओं पर देश से बाहर जा रहे लोगों की तलाशी ली जाती थी। यदि किसी के पास रेशम के कीड़े, कोये (ककून) आदि पाए जाते, तो उसे तत्काल मौत के घाट उतार दिया जाता था। बताते हैं कि इस प्रकार चीन ने लगभग 30 सदियों तक रेशम पर अपना एकाधिकार बनाए रखा था!
रेशम की खोज को लेकर चली आई चीनी कथा बड़ी मजेदार है। कहा जाता है कि प्राचीन काल में चीनी सम्राट शुआनयुआन की पत्नी ली जू एक दिन शहतूत के पेड़ के नीचे बैठकर चाय पी रही थी कि अचानक उसके प्याले में कुछ जंगली कोये गिर गए। उसने कोये निकालने की कोशिश की, तो पाया कि उनमें से रेशे निकलते जा रहे हैं। इस प्रकार रेशम की खोज हुई। इस खोज के सम्मान में ली जू को लोगों ने रेशम की देवी का दर्जा दे डाला। आज भी चीन के हुझोऊ शहर में प्रति वर्ष अप्रैल में मनाए जाने वाले एक उत्सव में ली जू देवी की विशेष तौर पर पूजा की जाती है और रेशम की खोज करने के लिए उनका धन्यवाद दिया जाता है। चीनी लोगों को रेशम पर अपना एकाधिकार इस कदर प्यारा था कि लंबे समय तक उन्होंने इसे देश से बाहर ले जाने पर पाबंदी लगाए रखी। आखिरकार जब एक राजकुमारी दूसरे देश में ब्याही गई और उसने अपने प्रिय रेशमी परिधानों के बगैर ससुराल जाने से इनकार कर दिया, तब रेशम ने पहली बार देश की सरहद पार की। मगर इसके बाद भी सदियों तक इसे बनाने की विधि को गुप्त रखा गया।
खैर, रेशम ही नहीं, इसके उत्पादन की विधि भी अंतत: दूसरे देशों में फैली। यह जहां भी गया, पहले-पहल इसका उपयोग राजघरानों तक ही सीमित रहा। बताया जाता है कि एक बार रोमन सम्राट जूलियस सीजर रेशमी परिधान धारण कर एक नाटक देखने गए। उनके द्वारा पहना गया रेशमी कपड़ा इतना आकर्षक था कि लोग नाटक को भूलकर उनके कपड़ों को ही देखते रहे! एक समय ऐसा भी आया, जब रोम के रईसों में रेशम का चस्का इस कदर बढ़ा कि इससे साम्राज्य की अर्थव्यवस्था गड़बड़ाने का अंदेशा होने लगा। कारण यह कि बेहद महंगे दामों पर रेशम खरीदे जाने के चलते रोम के सोने के भंडार घटने लगे। तब संसद ने कभी अर्थव्यवस्था, तो कभी नैतिकता का हवाला देकर रेशम के उपभोग को हतोत्साहित करने का प्रयास किया। उधर चीन ने रेशम के व्यापार से जमकर कमाई की और इस व्यापार की ही गरज से 6 हजार मील लंबा रेशम मार्ग अस्तित्व में आया।
रेशम निर्माण की विधि जिस किसी के भी हाथ लगी, उसने इसे गुप्त रखने के भरसक प्रयास किए। इसके कारण छल-प्रपंच व षड़यंत्रों का लंबा दौर चला। माना जाता है कि आधुनिक तुर्की में रेशम निर्माण तब शुरू हुआ, जब सम्राट के कहने पर कुछ साधु अपनी बांस की खोखली लाठियों में रेशम के कीड़े के अंडे छुपाकर चीन से ले आए!

चीनी लोक साहित्य में रेशम से जुड़ी कहानियों की भरमार है। ऐसी ही एक कहानी में शहतूत के पेड़ के जन्म के बारे में बताया गया है। इसके अनुसार, एक आदमी अपनी बेटी तथा घोड़े के साथ रहता था। एक बार उसे काम के सिलसिले में दूर देश जाना पड़ा। कुछ दिन बाद उसकी बेटी को पिता की याद सताने लगी और उसने घोड़े से कह दिया, 'जाओ, जाकर मेरे पिताजी को ढूंढ लाओ। यदि तुम उन्हें ले आए, तो मैं तुमसे शादी कर लूंगी।" घोड़ा गया व अपने मालिक को खोज लाया। पिता को पाकर बेटी की खुशी का ठिकाना न रहा मगर वह घोड़े से किया गया वादा भूल गई। घोड़ा अनमना रहने लगा। उसके व्यवहार से मालिक को कुछ शक हुआ। उसने बेटी से पूछा कि क्या मेरी अनुपस्थिति में तुमने घोड़े से कोई बात की थी? बेटी ने शादी के वादे के बारे में बताया। इस पर पिता ने घोड़े को मार डाला ताकि बेटी को उससे ब्याह न करना पड़े। मगर एक दिन जब वह लड़की घर से बाहर निकली, तो घोड़े की आत्मा ने तिलस्मी लबादा ओढ़ाकर उसे एक कोया बना दिया, जिसमें से कुछ समय बाद शहतूत का पेड़ उग आया...

Sunday 8 October 2017

घर में कैसे घुसा चूहा?

चूहों को कहीं प्राण ऊर्जा चूसने वाला माना गया है, तो कहीं प्रसूताओं के प्राण बचाने वाला। इन्हें इंसाफ करने वाला भी बताया गया है...!
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प्रशांत महासागर स्थित सोलोमन द्वीपों में हाल ही मंे चूहे की एक नई प्रजाति सामने आई है। इसकी खासियत यह है कि यह चूहा ऊंचे पेड़ों पर रहता है और यह लगभग डेढ़ फुट लंबा होता है! हालांकि स्थानीय रहवासी लंबे समय से कहते आ रहे थे कि यहां ऐसे चूहे पाए जाते हैं मगर अब तक वैज्ञानिकों को इसका प्रमाण नहीं मिल पाया था। अब वह भी मिल गया है। स्थानीय लोग बताते हैं कि विका नामक यह चूहा अपने नुकीले दांतों से नारियल तक को बेध देता है!
चूहे आम तौर पर गंदगी और बीमारी के पर्याय माने गए हैं, जिस कारण ये वितृष्णा जगाते हैं। इसके चलते इन्हें लेकर तरह-तरह की कहानियां भी गढ़ी गई हैं। इनमें से कुछ में तो इन्हें बड़े ही खौफनाक प्राणी के रूप में चित्रित किया गया है। मसलन, ब्राजील में कोलो कोलो नामक डरावने चूहे के बारे में बताया जाता है। कहा जाता है कि एक सांप द्वारा दिए गए अंडे को एक मुर्गे द्वारा सेने से जो प्राणी अस्तित्व में आया, वह कोलो कोलो था, जोकि चूहे जैसा ही था। लोग मानते हैं कि कोलो कोलो मनुष्यों के घरों में छुपकर रहता है। जब लोग सो रहे होते हैं, तब वह जाकर उनकी जीभ पर काटकर उनकी लार चूस लेता है। इसके साथ ही सो रहे व्यक्ति की प्राण ऊर्जा भी जाने लगती है और समय रहते स्थिति को संभाला नहीं गया, तो उसकी मृत्यु भी हो सकती है।
जर्मनी की एक लोककथा में कहा गया है कि एक क्रूर सामंत गरीबों पर खूब अत्याचार करता था। एक बार प्रांत में अकाल पड़ा। लोग भूख से तड़पने लगे। सामंत के भंडार अनाज से भरे थे लेकिन वह इसे गरीबों में बांटने को तैयार नहीं था। इसके बजाए, उसने गांव वालों को छलपूर्वक अपने एक खाली खलिहान में बुलाया, इस आश्वासन के साथ कि उन्हें अनाज दिया जाएगा। जब सारे ग्रामीण खलिहान में चले गए, तो उसने बाहर से दरवाजा बंद कर अपने खाली खलिहान को आग के हवाले कर दिया और चल पड़ा। लोगों की चीखें सुनकर वह बुदबुदाया, 'चूहे चीं-चीं कर रहे हैं!" इसके बाद जैसे ही वह घर पहुंचा, उस पर चूहों की फौज ने हमला बोल दिया। वह भागा, मगर चूहे उसे नोच-नोचकर खा गए। इस प्रकार चूहे यहां इंसाफ करने वाले के रूप में दर्शाए गए हैं।
चूहों संबंधित कुछ अंधविश्वास बेहद प्रचलित रहे हैं। मसलन यह कि यदि चूहे किसी समुद्री जहाज से बाहर कूद रहे हैं, तो इसका मतलब जहाज डूबने वाला है। इसी प्रकार यह भी कहा जाता है कि यदि चूहे अकारण घर से बाहर भागने लगें, तो यह किसी आसन्ना अनिष्ट का संकेत हो सकता है। मजेदार बात यह है कि कहीं-कहीं चूहों का घर में आना भी शुभ माना जाता है। कहते हैं कि यह इस बात का संकेत है कि उस घर में दौलत आने वाली है! चूहों संबंधी सपनों को लेकर भी मजेदार धारणाएं रही हैं। मसलन, यह कि यदि आप सपने में चूहे देखते हैं, तो आपके खूब सारे दुश्मन होंगे!
मिस्र में प्राचीन काल में लोग चूहों को बुद्धिमान प्राणी मानते थे। कारण यह कि ये कहीं भी पहुंचकर भोजन की तलाश कर ही लेते हैं। उधर प्राचीन रोम में सफेद चूहे का नजर आना अच्छा शगुन समझा जाता था।

सूदान की जनश्रुति में यह बताया गया है कि आखिर कैसे चूहे आकर इंसानों के घरों में रहने लगे। इसके अनुसार कई सदियों पहले प्रसव के दौरान महिलाओं की मृत्यु तय थी क्योंकि लोग प्रसव पीड़ा से तड़प रही स्त्री का पेट चीरकर शिशु को निकाल लेते थे। एक दिन एक चूहा गांव में आया। उसने जब यह प्रथा देखी, तो हैरत में पड़ गया। लोग एक प्रसूता का पेट चीरने को हुए, तो चूहे ने उन्हें रोक दिया और कहा, 'पेट मत चीरो, थोड़ा इंतजार करो। यह बच्चे को जन्म दे देगी।" थोड़ी देर में जब महिला ने प्राकृतिक रूप से बच्चे को जन्म दिया, तो स्वयं वह यह देखकर दंग रह गई कि बच्चा जनने के बाद भी वह जीवित बच गई है। तब मनुष्यों को यह ज्ञान हुआ कि बच्चे को जन्म देने के लिए मां का पेट चीरने की जरूरत नहीं होती। सारी कृतज्ञ महिलाओं ने चूहे को पुरस्कृत करना चाहा। तब चूहे ने कहा कि मुझे अपने घर में रहने दें और जो आप खाएं, वह खाने की मुझे भी अनुमति हो। बस, तभी से चूहा हमारे घरों में घुसा हुआ है!