Friday 16 December 2011

केक का कचूमर और सपने साजन के!


केक तो खाया ही होगा आपने। काटा भी होगा, संभवत: अपने हाथों से बनाया भी होगा और यदि आप नए जमाने के चलन में विश्वास करते हैं तो शायद पार्टियों में एक-दूसरे के चेहरे पर चुपड़ा भी होगा। ...लेकिन केक को तकिए के नीचे रखकर सोए तो नहीं ही होंगे आप। शायद यकीन करने में जरा कठिनाई हो मगर बेचारे केक को तकिए तले दबाकर उसका कचूमर निकालने की भी एक प्रथा रही है। योरप में शादी के अवसर पर केक काटने की परंपरा तो काफी पुरानी है ही, एक समय ऐसा भी था जब विवाह से पहले दुल्हन के परिजन उसके लिए एक खास किस्म का केक बनाते थे, जिसे 'दूल्हा केक" कहा जाता था। दुल्हन इसे अपने तकिए के नीचे रखकर सोती थी। ऐसी मान्यता थी कि इससे दुल्हन को सपने में दूल्हे राजा के दीदार होते थे! तकिए के नीचे प्रेमी/प्रेमिका का खत रखकर सोने की स्वत:स्फूर्त 'परंपरा" तो जगह-जगह देखी जा सकती है लेकिन खत की जगह केक दबाकर सोना तो केक के साथ सरासर अत्याचार की श्रेणी में ही रखा जाना चाहिए! लेकिन जरा ठहरिए... केक के साथ अत्याचार का यह एकमात्र तरीका नहीं था। विवाह की विधि समाप्त हो जाने पर एक अन्य केक सामने लाया जाता। इसे 'कूटने वाला केक" कहते। मेहमान इसे कूटकर इसके टुकड़े कर डालते और फिर इन टुकड़ों को वर-वधू पर फेंकते। इसे ढेर सारे बच्चे पैदा करने का आशीर्वाद माना जाता!
खुद को 'सामाजिक" और 'सभ्य" प्राणी बनाने पर इंसान ने विवाह नामक संस्था की नींव रखी। स्त्री और पुरुष के संबंध को समाज की मान्यता देने की यह जरूरत विश्व के हर कोने में बसे मनुष्य ने महसूस की और इस तरह शुरू हुई शादी-ब्याह की विविध रस्में। इन रस्मों में धार्मिक मान्यताओं ने भी अपना योगदान किया, दार्शनिक विचारों ने भी और समाज के ठेकेदारों की सनक ने भी। समय के साथ इनमें विभिन्न पीढ़ियों के वर-वधू और उनके घरवाले अपनी तरफ से जोड़-घटाव करते चले गए और आज हमारे सामने हैं तरह-तरह की अटपटी-चटपटी वैवाहिक रस्में। अब देखिए ना, शादी वाले दिन दूल्हा-दुल्हन खूब सजे-धजे हों, यह अपेक्षा हर समाज में की जाती है। ऐसे में यदि उन बेचारों पर तरह-तरह की वस्तुएँ उड़ेलकर उन्हें गंदा और बदसूरत बनाने का उपक्रम किया जाए तो...? स्कॉटलैंड में शादी से पहले 'दूल्हा-दुल्हन को काला करो" की रस्म अदा की जाती है। इसमें वर-वधू के सखा-सखियाँ बारी-बारी से उन पर धावा बोल देते हैं और उन पर अंडों से लेकर चटनियाँ और मक्खन से लेकर मछलियाँ आदि फेंककर उन्हें मैला-कुचैला कर दिया जाता है। इसके बाद उन्हें इसी हालत में शहर में घुमाया जाता है। इस विचित्र विधि के बाद ही वर-वधू को नहा-धोकर शादी के लिए सजने-धजने की अनुमति मिलती है!
दूल्हा-दुल्हन पर नेक नीयत से अत्याचार की और भी रस्में हैं। जर्मनी में वर-वधू के परिजन तथा मित्र मिलकर ढेर सारे काँच के बर्तन जमीन पर पटक-पटककर फोड़ डालते हैं। जब इन टूटे-फूटे बर्तनों का ढेर लग जाता है, तो दूल्हा-दुल्हन के हाथ में झाड़ू थमाकर उन्हें यह पसारा साफ करने को कहा जाता है। ऐसा करके उन्हें यह संदेश दिया जाता है कि अब उन दोनों को मिलकर ही सारे काम करने हैं, राह में आने वाली बाधाओं को मिल-जुलकर हटाना है। फ्रांस में शादी के बाद वर-वधू को उनके मित्र चैन से नहीं बैठने देते। जब वे विवाह की मुख्य रस्म के बाद कुछ पल एकांत में बिताने के लिए घर जाते हैं, तो मित्रों की टोली उनके घर पर धावा बोल देती है और वह भी खाली हाथ नहीं, बर्तन-भांडे बजाकर खूब शोर मचाती हुई! नव-दंपति जब उन्हें शांत करने के लिए घर से बाहर आते हैं, तो मित्र कहते हैं कि हम ऐसे नहीं जाएँगे, हमें कुछ खिलाओ-पिलाओ!
मजेदार रिवाजों के मामले में कोरियाई भी पीछे नहीं हैं। वे मानते हैं कि अगर दूल्हा अपनी शादी में कुछ ज्यादा ही मुस्कुरा रहा है, तो उसकी पहली संतान लड़की होगी! शादी के बाद लड़के के माता-पिता अपनी बहू की ओर कुछ अखरोट, बादाम आदि उछालते हैं। यदि दुल्हन इन्हें झेल लेती है तो माना जाता है कि उसे खूब सारे बेटे होंगे! इससे भी मजेदार बात यह है कि शादी होते ही दूल्हे के दोस्त उसके जूते-मोजे उतार देते हैं और उसके पैरों के तलुओं पर एक विशेष प्रजाति की सूखी मछली मारते हैं! ऐसा विश्वास है कि इससे दूल्हे को 'ताकत" प्राप्त होती है!
बिदाई के वक्त दुल्हन और उसके घर वालों का रोना कोई अनोखी बात नहीं है लेकिन चीन में तुजिया समुदाय के लोगों में बाकायदा रोने की रस्म है, जो शादी के दिन से एक महीने पहले शुरू हो जाती है। सबसे पहले दुल्हन रोज एक-एक घंटा रोना शुरू करती है। उसे अलग-अलग सुरों में रोना होता है। दस दिन बाद उसकी माँ भी उसके साथ-साथ रोना शुरू करती है। इसके दस दिन बाद उसकी बहनें, दादी-नानी, बुआ, मौसी आदि भी इस सुरमयी रुदन में शामिल हो जाती हैं। तुजिया लोगों का मानना है कि यह रोना रोना नहीं, बल्कि विवाह का मंगल गीत है और इसमें शामिल विलाप करने वाले शब्द तो बस यूँ ही सुनने वालों को छकाने के लिए होते हैं...!
ग्रीस में विवाह की विधि पूरी होने के बाद एक दरवाजे पर शहद चुपड़ा जाता है। फिर दुल्हन को मुट्ठीभर अनार के दाने दिए जाते हैं। वह इन्हें उस दरवाजे पर फेंकती है। कहते हैं कि जितने दाने दरवाजे पर चिपक जाएँ, उतने ही बच्चे नव-विवाहित दंपति को होंगे। फिनलैंड में दुल्हन अपनी जेब में माचिस लेकर आती है। नहीं, उसके इरादे खतरनाक नहीं होते। वह तो केवल यह दिखाना चाहती है कि वह अपने वैवाहिक जीवन में प्रेम की ज्योत सदा जलाए रखेगी। उधर उक्रेन में तो रिश्ता तय करने की रस्म ही बड़ी निराली है। लड़के की माँ एक विशेष प्रकार की ब्रेड बनाकर विवाह प्रस्ताव के साथ लड़की के यहाँ जाती है। यदि लड़की वालों को रिश्ता मंजूर हो तो दोनों परिवार मिलकर शादी की तारीख तय करते हैं। यदि रिश्ता मंजूर हो तो लड़की वाले लड़के को 'रिटर्न गिफ्ट" के तौर पर एक कद्दू भेंट कर टरका देते हैं...!