Sunday 9 October 2016

'स्टेटस' दर्शाते अजूबे!

सड़ा फल जिसे खाया न जाए, जूते जिन्हें पहनकर चला न जाए काले पड़ चुके दांत...। ये सब कभी--कभी नकचढ़े लोगों की शान दर्शाने वाले 'स्टेटस सिंबल' रहे हैं!
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समाज में समानता भले कितनी ही वांछनीय क्यों न हो, असलियत यही है कि हमारा समाज हमेशा से अलग-अलग वर्गों में विभाजित रहा है और आगे भी ऐसा ही रहेगा। श्रेणियों में बंटे इस समाज में अपना 'दर्जा" उन्नात करना लगभग हर व्यक्ति का ध्येय रहता आया है। और जब दर्जा मायने रखता है, तो अपने दर्जे का प्रदर्शन करना भी जरूरी हो जाता है। निम्न से उच्च, उच्च से उच्चतर स्तर पर पहुंचने की मुनादी कर अपनी तरक्की को पहचान दिलाई जाती है। पुराने समकक्षों को अहसास कराया जाता है कि अब हम तुमसे ऊपर उठ गए हैं और नए समकक्षों को बताया जाता है कि अब हम भी तुम्हारी बिरादरी के हैं...। अपने दर्जे के इस प्रदर्शन का जरिया बनते हैं 'स्टेटस सिंबल" या कहें प्रतिष्ठा के प्रतीक।
आज के दौर की बात करें, तो ब्रांडेड कपड़े-जूते, महंगे वाहन, पॉश इलाकों में आलीशान मकान, विदेशों की सैर आदि स्टेटस सिंबल के तौर पर आम हैं। अलग-अलग देश-समाज के अनुसार कुछ अन्य प्रतीक भी रुतबे के प्रदर्शन के लिए इस्तेमाल किए जाते हैं। मगर जरा अतीत में जाकर झांकें, तो कई ऐसे स्टेटस सिंबल भी उभरकर आते हैं, जो आज हमें अजीबो-गरीब या फिर सरासर हास्यास्पद लग सकते हैं। आप रईस हैं, यह दिखाने का सबसे सीधा-सरल उपाय है कोई ऐसी वस्तु खरीदकर या इस्तेमाल करके बताना, जो गैर-रईसों की पहुंच से बाहर हो। एक समय ऐसा भी था, जब योरप व मध्य-पूर्व में शकर बड़ी ही दुर्लभ वस्तु थी और इसलिए बेतहाशा महंगी भी थी। तब अमूमन राजे-महाराजे ही इसका इस्तेमाल करते थे। इस्तेमाल भी क्या, शाही दावतों में इनका प्रदर्शन ही अधिक किया जाता था। दावत की मेज पर शकर से बने शिल्प मेजबान के रुतबे का खामोश ऐलान करते थे। ऐसा भी नहीं है कि शकर का सिर्फ प्रदर्शन ही किया जाता था। इसका सेवन भी किया जाता था और अधिक शकर खाने से यदि दांत खराब हो जाते, तो ये खराब दांत भी रईसी के सूचक बन जाते। ये दिखाते कि आप दांतों को खराब करने वाली महंगी शकर खाने में सक्षम हैं। हद तो यह है कि जिनके दांत सलामत होते, वे भी स्टेटस सिंबल के तौर पर इन्हें काला कर लेते!
इसी प्रकार गर्म इलाकों मंे उगने वाले अनन्नाास ठंडे योरप मंे जब पहले-पहल पहुंचे, तो खाने की वस्तु के बजाए स्टेटस सिंबल ही बने। दूर देशों से लाए जाने के कारण ये बहुत महंगे होते थे। सो जो इन्हें खरीदते, वे इनके स्वाद का आनंद लेने के बजाए इन्हें शो-पीस की भांति प्रदर्शित करते और मेहमानों पर धाक जमाने का आनंद लेते। अनन्नाास भले ही रखे-रखे सड़ जाता मगर सड़ा अनन्नाास भी रईसी का प्रतीक होता! कहा तो यह भी जाता है कि जो लोग अनन्नाास खरीद नहीं सकते थे, उनके लिए एक-दो दिन के लिए ये किराए पर भी उपलब्ध होते थे!
मध्ययुगीन योरप में लंबी नोक वाले जूतों का चलन चल पड़ा था। इनका उद्देश्य न तो फैशन था और न ही सुविधा। दरअसल ये जूते दिखने में अजीब लगते थे और इन्हें पहनकर चलना-फिरना लगभग संभव था। ये सिर्फ अपनी शान दिखाने के लिए धारण किए जाते थे। ऐसे जूते वही पहन सकता था, जिसे ज्यादा चलना न पड़े, कोई काम न करना पड़े यानी जो पक्के तौर पर रईस हो! इंग्लैंड के सम्राट एडवर्ड तृतीय ने तो फरमान जारी कर यह तक तय कर रखा था कि किस तबके का व्यक्ति अधिकतम कितने लंबे जूते पहन सकता था.. ताकि कोई अपनी 'औकात" से ज्यादा लंबा जूता पहनकर झूठी शान न झाड़ता फिरे! इसी प्रकार पश्चिमी देशों में गोरा रंग भी इस बात का सूचक था कि आपको धूप में काम नहीं करना पड़ता, यानी आपका दर्जा ऊंचा है। जो जितना गोरा (या गोरी), वह उतना हाई-क्लास। मगर धारणाओं का पेंडुलम एक सिरे तक जा पहुंचे, तो पलटकर दूसरे सिरे पर भी जाता ही है। बीसवीं सदी की शुरुआत में प्रख्यात फ्रैंच फैशन डिजाइनर गेब्रिएल उर्फ कोको शनैल ने 'टैन्ड" या धूप से तप्त त्वचा का फैशन ला दिया। देखते ही देखते अमीर गोरे लोगों में अपनी चमड़ी कुछ सांवली-सी बनाने की होड़ लग गई। यह भी एक प्रकार का स्टेटस सिंबल बन गया क्योंकि यह दर्शाता था कि आप इतने अमीर और फुरसती हैं कि दूर गरम देशों में छुट्टियां मनाने जा सकते हैं!

एक समय किसी चित्रकार से अपना पोर्ट्रेट बनवाना प्रतिष्ठा का प्रतीक था मगर आपको यह जानकर हैरानी होगी कि जब एक्सरे की खोज की गई, तो शुरुआती दौर में अमेरिकियों के बीच अपना एक्सरे निकलवाना भी एक स्टेटस सिंबल बन गया था! हड्डियों का फोटो खींचने वाली यह मशीन एक अजूबा थी और लोग इसे लेकर रोमांचित थे। संपन्ना लोग केवल अपने शौक की खातिर अपना एक्सरे निकलवाते थे और घर पर इसे प्रदर्शित करते। यहां तक कि अपने मित्रों, परिचितों को एक्सरे दर्शन कराने के लिए खास पार्टियों का आयोजन किया जाता। कुछ अति-संपन्ना लोगों ने तो अपने शौक की पूर्ति के लिए एक्सरे मशीनें ही खरीद डाली थीं। आखिर जब यह बात सामने आई, कि एक्सरे के अधिक संपर्क में आने से स्वास्थ्य को नुकसान भी हो सकता है, तब जाकर स्टेटस-प्रिय रईसों का यह शौक ठंडा पड़ा...।