Sunday 27 January 2019

विधाता की उदासी छूमंतर करने वाली 'आत्माएं"


तितलियां अपने इंद्रधनुषी रंगों से खुशियां तो बिखेरती ही हैं, इन्हें कई स्थानों पर दिवंगत पूर्वजों की आत्मा भी माना गया है। कोई इन्हें लंबी आयु का प्रतीक मानता है, तो कोई कहता है कि ये हमारी मनोकामनाएं ईश्वर तक पहुंचाती हैं।
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टोहोना आटम  नामक एक अमेरिकी आदिवासी समुदाय में तितलियों की उत्पत्ति की बड़ी ही मजेदार कहानी सुनाई जाती है। इसके अनुसार, एक दिन जब विधाता कुछ बच्चों को खेलता हुआ देख रहे थे, तो बड़े उदास हो गए। उनकी उदासी का कारण बच्चों का उन्मुक्त होकर हंसना-खेलना नहीं, बल्कि यह विचार था कि एक दिन ये बच्चे वृद्धावस्था को प्राप्त होंगे। इनके शरीर जर्जर हो जाएंगे। बाल पक जाएंगे, दांत गिर जाएंगे, चलने-फिरने में परेशानी आएगी। फिर, वे फूलों को देखकर इस खयाल से उदास हो गए कि जल्द ही ये मुरझा जाएंगे। हरी-भरी पत्तियों को देख यह सोचकर दुखी हो गए कि ये सूखकर झड़ जाएंगे। अपनी ही सृष्टि की नश्वरता के नियम से उदास विधाता ने आखिरकार तय किया कि वे कुछ ऐसा रचेंगे, जिससे उनका भी दिल खुश हो जाए और जो सामने खेल रहे बच्चों को भी आनंदित कर दे।
विधाता ने अपना झोला निकाला और उसमें सूरज की थोड़ी रोशनी डाली। फिर उसमें आकाश का थोड़ा नीला रंग, बच्चों की परछाई, झड़ते हुए पत्ते का पीलापन, एक लड़की के बालों का काला रंग, आसपास फैले फूलों के लाल, नारंगी, जामुनी आदि रंग डाले। अंत में उन्होंने पंछियों के गीत भी अपने झोले में डाल दिए। अब वे खेल में मशगूल बच्चों के पास गए और बोले, 'बच्चों, यह झोला खोलकर देखो। इसमें तुम्हारे लिए कुछ है।" बच्चों ने जैसे ही झोला खोला, उसमें से सैंकड़ों रंग-बिरंगी तितलियां निकल आईं। अपने चारों ओर इन सुंदर तितलियों को देखकर बच्चे मंत्रमुग्ध रह गए। अब तितलियों ने गाना शुरू कर दिया और बच्चों की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। मगर तभी एक चिड़िया विधाता के पास आई और बोली, 'आपने तो हमें रचते समय वादा किया था कि हर पंछी का अपना गीत होगा। अब आपने हमारा गीत इन नए प्राणियों को दे दिया! यह आपने अच्छा नहीं किया।" इस पर विधाता को अपनी भूल का एहसास हुआ और उन्होंने तितलियों से गीत वापस ले लिया। तभी से रंग-बिरंगी तितलियां खामोश हैं मगर अपने सौंदर्य से संसार को लुभा रही हैं।
तितलियां भला किसका मन नहीं मोहतीं? उदासी की तपती दोपहरी में ये आनंद की शीतल बयार बनकर आती हैं। अपने छोटे-से जीवनकाल में ये चहुं ओर खुशियां बिखेर जाती हैं। संक्षिप्त जीवनकाल के बावजूद चीन में इन्हें लंबी आयु व स्वस्थ जीवन का प्रतीक माना जाता है। वहीं जापान में इन्हें दांपत्य सुख के प्रतीक के तौर पर देखा जाता है। मेक्सिको, आयरलैंड व रूस जैसे देशों में तितलियों को दिवंगत आत्माओं का प्रतिरूप माना जाता रहा है। ग्रीक दार्शनिक अरस्तू ने भी इन्हें 'आत्मा" कहकर संबोधित किया था। आयरलैंड में तितलियों को, खासकर सफेद तितलियों को मारना अपशकुन माना जाता है। सफेद तितलियों को दिवंगत बच्चों की आत्माएं कहा जाता है। मध्ययुगीन मेक्सिको की एजटेक संस्कृति में मान्यता थी कि परलोक में प्रसन्ना पूर्वजों की आत्माएं तितली बनकर अपने परिजनों से मिलने आती हैं। उनके स्वागत में घर में गुलदस्ते सजाए जाते थे। वहां गुलदस्तों को ऊपर की ओर से सूंघना वर्जित था। माना जाता था कि ऊपर से इन्हें सूंघने का अधिकार केवल पूर्वजों की आत्माओं, यानी तितलियों को है।
अमेरिकी आदिवासी मानते हैं कि यदि आप किसी तितली को नुकसान पहुंचाए बगैर उसे पकड़ते हैं और उसे अपनी मनोकामना बताकर छोड़ देते हैं, तो वह आपकी मनोकामना सीधे ईश्वर के पास पहुंचा देती है! तितलियों को लेकर शुभ-अशुभ संबंधी कई धारणाएं भी व्याप्त हैं। कई देशों में लोग मानते हैं कि अगर आप साल के पहले दिन सुबह-सुबह सफेद तितली देखें, तो आपका पूरा साल शुभ जाता है। वहीं एक समय ऐसा भी था, जब सफर पर निकल रहे नाविकों को यदि तितली दिखाई दे जाए, तो वे इसे अशुभ मानते हुए भयग्रस्त हो जाते थे कि वे सफर से जीवित नहीं लौटेंगे...!

Sunday 13 January 2019

जिसके माथे पर लिखा हुआ है 'राजा"!


बाघ कोई साधारण प्राणी नहीं। मनुष्य ने उससे भय भी खाया है और उससे रिश्ता भी जोड़ा है। वह पशुओं का राजा सही, इंसान का तो 'भाई" है...!
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बाघ और इंसान के बीच परस्पर भय व सम्मान का रिश्ता भी रहा है और सह-अस्तित्व का भी। वियतनाम की एक लोककथा में मानव व बाघ का जटिल रिश्ता सामने आता है। एक मछुआरा अपनी वृद्ध मां के साथ रहता था और नदी से मछलियां पकड़कर आजीविका कमाता था। वह रात में नदी में अपने जाल डाल आता और सुबह जाकर उनमें फंसी मछलियों को समेटकर बाजार में बेच आता। एक दिन जब वह नदी पर गया, तो देखा कि उसके जाल फाड़ दिए गए थे और उनमें कोई मछली नहीं थी। उसने अपने जाल फिर से बुने व शाम को नदी में डाल आया मगर अगली सुबह फिर उसे जाल फटे हुए मिले। यही सिलसिला जब दो-चार दिन लगातार चला, तो मछुआरे ने तय किया कि वह रात को नदी किनारे रुककर पता करेगा कि कौन यह हरकत कर रहा है। मगर अगली सुबह वह घर नहीं लौटा। लोगों को नदी किनारे उसकी लाश मिली। उसे देखकर स्पष्ट था कि उसे बाघ ने मौत के घाट उतारा है। उसकी मां का इकलौता सहारा चला गया। वह रोज उसकी कब्र पर जाती और आंसू बहाकर घर लौटती।
एक दिन घर लौटते हुए वृद्ध मां को रास्ते में एक बाघ मिल गया। उसने सीधे-सीधे बाघ से पूछ लिया, 'क्या तुम्हीं ने मेरे बेटे के प्राण लिए थे?" बाघ सिर झुकाकर चुपचाप खड़ा रहा। मछुआरे की मां ने अपनी व्यथा व्यक्त करते हुए आगे प्रश्न किया, 'अब मेरा कौन सहारा होगा? कौन मेरी देखभाल करेगा? क्या तुम मेरे बेटे की तरह मेरा भरन-पोषण करोगे?" इस पर बाघ ने हल्के से अपने सिर हिलाया और चला गया। अगले दिन वृद्धा को अपने द्वार पर एक हिरण पड़ा मिला। वह समझ गई कि बाघ इसका शिकार कर यहां छोड़ गया है। उसने हिरण का कुछ मांस पकाकर खाया और बाकी बाजार में बेच आई। अब कुछ-कुछ दिनों के अंतराल पर बाघ उसके द्वार पर कोई शिकार छोड़ जाता। एक रात वह जागती रही और बाघ के आने पर उसे घर के भीतर बुलाया। अब वृद्धा और बाघ के बीच मां-बेटे का रिश्ता बन गया। दोनों एक-दूसरे की देखभाल करते। मृत्यु से पहले वृद्धा ने बाघ से वचन ले लिया कि अब वह कभी किसी मानव का शिकार नहीं करेगा। परंपरानुसार, साल के आखिरी महीने के आखिरी दिन लोग अपने दिवंगत पूर्वजों को भोग लगाते थे और उन्हें मृत्युलोक में लौटकर कुछ पल साथ गुजारने की गुजारिश करते थे। गांव वालों ने देखा कि हर साल इस दिन उस वृद्धा की कब्र पर बाघ अपना कोई शिकार छोड़ जाता था...
बाघ को कई संस्कृतियों में जंगल का या पशुओं का राजा माना जाता है। चीन में तो उसे पशुओं का राजा मानने का खास कारण है। उसके माथे पर मौजूद धारियां चीनी लिपि में 'राजा" शब्द से मिलती-जुलती है। यानी उसके माथे पर ही लिखा है कि वह राजा है! चीन में यह मान्यता भी रही है कि बाघ अत्यंत दीर्घजीवी होता है। पांच सौ वर्ष की आयु प्राप्त करने पर वह श्वेत रंग को प्राप्त होता है और हजार वर्ष आयु का होने पर न केवल अमरत्व को प्राप्त होता है, बल्कि खुद को किसी भी जीव में परिवर्तित करने की शक्ति पा लेता है।
नगालैंड में सृष्टि के सृजन की कथा के अनुसार, जिलिमोसिरो (निर्मल जल) एक आदिम नारी थी। वह जब बरगद के पेड़ तले सो रही थी, तो बादल ने आकर उसे गर्भवती कर दिया। उसने तीन पुत्रों को जन्म दिया- देवता, मनुष्य व बाघ। इस प्रकार इंसान व बाघ आपस में भाई हुए।