Sunday 24 September 2017

कौन लाता है तूफान...?

समुद्री तूफानों की व्यापक विनाशक शक्ति देख आदि मानव इस निष्कर्ष पर पहुंचा इतने व्यापक स्तर पर कहर बरपाना किसी दैवी शक्ति के ही बस की बात हो सकती है।
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इन दिनों दुनिया के कई हिस्सों से समुद्री तूफानों की खबरें आ रही हैं। विराट महासागर से भयावह गति से आतीं हवाएं, आकाश की ओर लपकतीं समुद्री लहरें, घनघोर घटाओं का आक्रमण और निरंतर घंटों कहर बरपाती बरसात...। ये तूफान अच्छे-अच्छों को भयाक्रांत करने की क्षमता रखते हैं। प्रकृति की इस आपदा का राज जानने की जिज्ञासा होना स्वाभाविक था। यह जिज्ञासा आदि मानव को इसी निष्कर्ष पर ले गई कि इतने व्यापक स्तर पर कहर बरपाना किसी दैवी शक्ति के ही बस की बात हो सकती है। इसीलिए जहां-जहां समुद्री तूफान आते हैं, वहां-वहां आपको ये कथाएं सुनने को मिलेंगी कि कैसे ये किसी देवता या फिर राक्षस के क्रोध अथवा प्रतिशोध का नतीजा होते हैं।
मध्य-पूर्व की प्राचीन सभ्यताओं में तूफान लाने का श्रेय अनेक देवताओं को प्राप्त है, जैसे तेशब, हदाद आदि। न्यूजीलैंड के माओरी आदिवासी आरा तिओतियो को समुद्री तूफानों का देवता मानते हैं। वहीं दक्षिण अमेरिका के माया साम्राज्य में हुरकन देवता को तूफान लाने का श्रेय दिया गया है। माना जाता था कि हुरकन की एक टांग मनुष्यों की टांग जैसी और दूसरी सर्प के जैसी थी। जब मनुष्यों ने अपनी करतूतों से सारे देवी-देवताओं को कुपित कर दिया, तो हुरकन ने ऐसा तूफान लाया कि धरती पर जल प्रलय आ गया और सब कुछ नष्ट हो गया। दरअसल, अनेक संस्कृतियों में ऐसे जलप्रलय के किस्से आते हैं, जिसके बाद सृष्टि नए सिरे से बसी और ये जल प्रलय भीषण तूफानों के ही नतीजे बताए गए हैं।
यूनान में कहा जाता था कि सौ हाथ व पचास सिर वाले तीन राक्षस समुद्रों में तूफान लाते हैं। वहां की पौराणिक कथाओं में देवताओं के साथ इन राक्षसों के युद्ध का वर्णन भी किया जाता है, जिसमें इन्होंने एक बार में पहाड़ के आकार के सौ-सौ पत्थर देवताओं पर बरसाए थे! स्पष्ट है कि तूफानों की ताकत से अभिभूत मानव मस्तिष्क ने इनके कर्ता की कल्पना अतिरंजित बाहुबल से लैस हस्ती के रूप में की।
अमेरिका में प्रेसकाय द्वीप पर एक किंवदंति प्रचलित है। कहते हैं कि वहां पानी की सतह के नीचे एक समुद्री चुड़ैल रहती है, जो तूफान का आह्वान करती है। इसके पीछे उसका लक्ष्य होता है तूफान में डूबने वाले जहाजों के नाविकों को हासिल करना। अमेरिका की ही लकोटा जनजाति के लोग तूफानों को इया नामक राक्षस का कृत्य मानते हैं। इया की भूख कभी शांत नहीं होती, इसीलिए वह मनुष्य, पशु और यहां तक कि समूचे गांव निगल जाता है। दिलचस्प बात यह है कि इसके बावजूद ये लोग इया को बुरा नहीं मानते। उनके अनुसार, इया तो केवल वह कर्तव्य निभा रहा है, जो उसे सौंपा गया है।

जबर्दस्त तबाही मचाने वाले समुद्री तूफानों से प्रभावित होने वाले लोगों में इन्हें लेकर तरह-तरह के अंधविश्वास भी व्याप्त हैं। मसलन, यह कि तूफान आने से पहले घोड़े सामान्य से अधिक फुर्ती से दौड़ पड़ते हैं, भेड़िए रोने लगते हैं व खिले हुए फूल अपनी पंखुड़ियां समेटकर बंद हो जाते हैं। एक मजेदार सलाह यह दी जाती है कि यदि आप अपनी जेब में लाल प्याज लेकर चलते हैं, तो बड़े-से-बड़ा तूफान भी आपका कुछ नहीं बिगाड़ सकेगा! यानी एक अदद प्याज तूफानों पर भारी पड़ जाता है!

Sunday 10 September 2017

जब हरी गाय चरे नीली घास!

यदि आप जानना चाहते हैं कि मनुष्य की कल्पनाशक्ति कहां तक जा सकती है, तो जरा हिचकियों से मुक्ति के लिए सुझाए जाने वाले उपायों पर गौर करें।
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कभी-कभी कोई छोटी-सी चीज भी हमें इस कदर परेशान कर देती है कि इस परेशानी से छुटकारा पाने के लिए हम किसी भी हद तक जाने को तैयार हो जाते हैं। हिचकी आना यूं कोई बड़ी बात नहीं है मगर जब यह लंबे समय तक बनी रहती है, तो इंसान को अन्वेषक से लेकर निरा घनचक्कर भी बना डालती है।
आम तौर पर कहा जाता है कि यदि आपको हिचकी आ रही है, तो इसका मतलब यह है कि कहीं कोई आपको याद कर रहा है। ऐसी धारणा भारत में ही नहीं, एशिया व योरप के अनेक देशों में भी व्याप्त है। हिचकियों से छुटकारा पाने के लिए ऐसी सलाह दी जाती है कि आप जितने लोगों को जानते हैं, उनके नाम एक-एक कर लेना शुरू करें। जिस व्यक्ति का नाम लेते ही हिचकियां रुक जाएं, समझ जाएं कि वही आपको याद कर रहा था। मनोवैज्ञानिक इस युक्ति के पीछे बड़ा तार्किक कारण बताते हैं। वह यह कि जब आप याद करने वाले का कयास लगाकर लोगों के नाम लेने लगते हैं, तो आपका ध्यान हिचकियों से हट जाता है। खैर, ऐसा भी नहीं है कि हिचकी का मतलब हमेशा यही माना जाए कि कोई याद कर रहा है। हंगरी में माना जाता कि हिचकी तब आती है, जब कोई किसी से आपकी चुगली कर रहा होता है। वहीं ग्रीस में कहा जाता है कि जब कहीं आपकी शिकायत की जाती है, तो आपको हिचकी आती है!
यूं हिचकियां स्वास्थ्य के लिए कोई गंभीर खतरा पेश नहीं करतीं मगर जापान में ऐसी धारणा रही है कि यदि किसी को लगातार सौ हिचकियां आ जाएं, तो उसकी मृत्यु हो जाती है! कोलंबिया में भी माना जाता है कि यदि हिचकियां रोकने के सारे उपाय बेकार जाते हैं, तो फिर मृत्यु ही उस व्यक्ति को इनसे छुटकारा दिलाती है। हिचकियों के प्रकोप से बचने के लिए वहां के लोग सलाह देते हैं कि भोजन बेहद धीरे-धीरे ग्रहण किया जाए! परातनकालीन इंग्लैड में कहा जाता था कि हिचकियों के पीछे नन्हे प्रेतों की खुराफात होती है। इन प्रेतों के प्रकोप से मुक्ति पाने के उपाय भी बड़े दिलचस्प सुझाए जाते थे। मसलन, यह कि कुछ खास जड़ी-बूटियों का लेप तैयार कर उससे क्रॉस का निशान बनाया जाए और लातीनी भाषा में एक खास प्रार्थना गाई जाए। या फिर यह कि अपने दायें हाथ की तर्जनी पर थूकिए और अपने बायें जूते के सामने क्रॉस का निशान बनाकर अमुक प्रार्थना उल्टी बोलें...!
आयरलैंड में तो हिचकियों से मुक्ति पाने के लिए बड़ी ही अफलातूनी युक्ति सुझाई जाती है। कहा जाता है कि यदि आप नीली घास चरती एक हरी गाय की कल्पना करें, जो हिचकियां चली जाएंगीं! स्कॉटलैंड में मध्यकाल में लोग अपनी जीभ पर रूमाल बांधकर उसे बाहर की ओर खींचकर सौ तक गिनते थे। माना जाता था कि इससे हिचकियों से छुटकारा मिल जाएगा। नॉर्वे में हिचकियों की काट के लिए लोग ग्लास में छुरी रखकर पानी पीते हैं! योरप की रोमानी जनजाति के पास भी एक नुस्खा है। वह यह कि अपने गले में लाल धागा डालिए, उस धागे में एक चाबी बांधिए और फिर उस चाबी को अपने बायें कंधे पर डाल दीजिए।

इसके अलावा भी कई और अजीबोगरीब तरकीबों की सिफारिश हिचकियों को भगाने के लिए की जाती है। मसलन, शीर्षासन करना, कूदना, सीने पर बर्फ रखना, नाक/ कान बंद करके पानी पीना, चम्मच को पांच मिनिट तक ठंडा करके माथे पर रखना आदि। कुल मिलाकर, एक मामूली हिचकी मनुष्य की कल्पनाशक्ति को भरपूर उड़ान दे डालती है।