Sunday 9 April 2017

सबसे बड़ा आलसी कौन?

आलसियों की जमात खीझ भी उत्पन्न करती है और उपहास का विषय भी बनती है। कथा साहित्य में अक्सर आलसियों का जिक्र हंसी के पात्र के रूप में ही किया जाता है।
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क्या आलसीपन छूत का रोग है? पिछले दिनों फ्रांस में किए गए एक शोध का यही निष्कर्ष निकला कि यदि आप आलसी लोगों से घिरे हैं, तो चाहे-अनचाहे आप भी आलसीपन की गिरफ्त में आ जाएंगे! यानी संगत का असर आलसीपन के मामले में तो स्पष्ट रूप से सामने आता है। यह बहस का विषय हो सकता है कि यह निष्कर्ष किस हद तक सही है मगर दिलचस्प बात यह है कि जहां समय-समय पर आलसीपन के 'दौरे" हम सभी को पड़ते हैं, वहीं कुछ लोग इसे स्थायी भाव के रूप में लिए रहते हैं। यानी उनके मामले में दोष किसी संगत को देना मुश्किल है।
आलसियों की जमात खीझ भी उत्पन्न करती है और उपहास का विषय भी बनती है। कथा साहित्य में अक्सर आलसियों का जिक्र हंसी के पात्र के रूप में ही किया जाता है। कभी अंत में उन्हें सबक मिल जाता है और कभी नहीं भी मिलता। फिलिपीन्स में 'आलसी जॉन" नामक पात्र से जुड़ी लोक कथाओं की समूची श्र्ाृंखला ही चली आई है, जोकि बेहद लोकप्रिय है। कभी उसे बालक के रूप में चित्रित किया जाता है और कभी युवा के रूप में मगर उम्र कोई भी हो, आलसीपन ही उसके चरित्र को परिभाषित करता है। वह इस कदर आलसी है कि अमरूद से लदे पेड़ पर से पके फल तोड़ने के बजाए उसके नीचे अपना मुंह खोलकर लेट जाता है और इंतजार करता है कि कोई फल पेड़ पर से सीधे उसके मुंह में आ गिरे!
जाहिर है, इस तरह की लोक कथाओं में आलसीपन के किस्से अतिरंजित करके सुनाए जाते हैं और यही इन्हें दिलचस्प भी बनाता है। एक जर्मन लोक कथा में एक राजा असमंजस में है कि अपने तीन बेटों में से किसे वह अपना उत्तराधिकारी बनाए। वह तय करता है कि तीनों में जो सबसे ज्यादा गुणी होगा, वही होगा उत्तराधिकारी। दिक्कत यह है कि तीनों ही राजकुमारों में केवल एक 'गुण" है और वह है उनका आलसीपन। सो राजा उन तीनों को बुलाकर कहता है कि तुममें से जो सबसे ज्यादा आलसी होगा, वही मेरे बाद राजा बनेगा। अब तीनों बेटों में स्वयं को दूसरों से ज्यादा आलसी बताने की होड़ लग जाती है। पहला बेटा कहता है, 'जब मैं सोने जाता हूं, तो अपनी आंखें तक बंद करने की मेहनत नहीं करता।" दूसरा बेटा कहता है, 'जब मैं आग तापने बैठता हूं और आग मेरे पैर को झुलसाने लगती है, तो मैं पैर पीछे करने का भी उपक्रम नहीं करता।" तभी तीसरा राजकुमार कह उठता है, 'पिताजी, मैं तो इतना आलसी हूं कि यदि मुझे फांसी पर लटकाया जा रहा हो और कोई मेरे हाथ में चाकू थमा दे जिससे मैं रस्सी काट दूं, तो भी मैं रस्सी काटने की जेहमत उठाने के बजाए फांसी पर लटक जाऊंगा...!" राजा साहब इस तीसरे बेटे को ही अपना उत्तराधिकारी घोषित कर देते हैं।

अमेरिकी आदिवासी समुदाय के बीच सात आलसी लड़कों की एक कहानी प्रसिद्ध है, जो न अपनी मां का कहना मानते हैं और न ही किसी काम में उसकी मदद करते हैं। मां उन्हें डांटती रहती है, तो एक दिन सातों ईश्वर से प्रार्थना करने लगते हैं कि उन्हें घर से इतनी दूर ले जाया जाए कि न मां उन्हें परेशान कर पाए और न वे मां को। वे घर की परिक्रमा करते हुए प्रार्थना करते जाते हैं कि अचानक कोई अदृश्य ताकत उन्हें आसमान की ओर उठाने लगती है। सातों ऊपर उठते जाते हैं, तभी मां बाहर आकर उन्हें रोकने की कोशिश करती है। एक बेटा मां की पकड़ में आ जाता है, जबकि शेष छह आसमान में पहुंच जाते हैं और तारे बन जाते हैं। इन छह के तारामंडल को ही प्लीयडीज या कृतिका तारामंडल कहा जाता है।

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