Sunday 26 March 2017

क्या कहता है यह निशान?

हमारे शरीर पर प्रकृति ने बर्थमार्क के रूप में कुछ सहज कलाकारी की और उसे लेकर हमारे पूर्वजों ने उतनी ही सहजता से ढेरों गाथाएं गुंथ लीं। यह निशान क्यों पड़ता है और इसका क्या निहितार्थ है, इसे लेकर भांति-भांति की रोचक धारणाएं व्याप्त हैं।
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क्या हमारे शरीर पर मौजूद जन्मचिह्न (बर्थमार्क) महज इत्तेफाक होता है या इसके पीछे कोई कहानी होती है? वैसे तो विज्ञान कहता है कि त्वचा के किसी एक स्थान पर अत्यधिक पिगमेंट कोशिकाओं या रक्तवाहिकाओं के इकट्टा होने से उस स्थान पर त्वचा का रंग शेष त्वचा से अलग हो जाता है और यही आकृति बर्थमार्क के रूप में नजर आती है। मगर जन्म के समय से ही शरीर पर मौजूद या जन्म के ठीक बाद उभरने वाले इन अजीब निशानों को लेकर जिज्ञासु इंसान ने इसके पीछे इतने दिलचस्प कारणों की कल्पना कर डाली कि विज्ञान वाली व्याख्या बड़ी रूखी और नीरस जान पड़ती है!
अनेक संस्कृतियों में लोग मानते हैं कि बर्थमार्क का संबंध गर्भावस्था में मां के मनोभावों या गतिविधि से होता है। मसलन, यह कि यदि गर्भावस्था में मां को कोई लाल या भूरी वस्तु खाने की तीव्र इच्छा हो और वह पूरी न हो पाए, तो बच्चे के शरीर पर लाल या भूरे रंग का निशान बन जाता है। यानी मां की अतृप्त इच्छाएं शिशु की त्वचा पर अंकित हो जाती हैं। योरप से लेकर अरब तक ऐसी धारणा व्याप्त है। वहीं ईरान में इसे सूर्य ग्रहण से जोड़ा गया है। वहां कहते हैं कि यदि कोई गर्भवती स्त्री सूर्य ग्रहण को देखते हुए अपने पेट पर हाथ रखती है, तो बच्चे को बर्थमार्क पड़ जाता है। जापान में गर्भवतियों को आगाह किया जाता है कि वे आग को घूरकर न देखें, अन्यथा बच्चे के शरीर पर जले के निशान जैसा जन्मचिह्न बन जाएगा!
विश्व में जहां-जहां पुनर्जन्म की मान्यता है, वहां बर्थमार्क का संबंध पिछले जन्म की किसी घटना से भी बताया जाता है। मसलन, यदि पिछले जन्म में शरीर के किसी अंग पर घातक चोट लगी थी, तो इस जन्म में उसी स्थान पर निशान बना मिलेगा। ऐसा हम बॉलिवुडिया फिल्मों में भी देखते आए हैं। कुछ देशों में यह माना जाता है कि बर्थमार्क फरिश्तों द्वारा शिशु को चूमने के कारण बनता है। इसलिए बर्थमार्क को शुभ मानकर इसे धारण करने वाले व्यक्ति का स्पर्श करना भाग्यशाली कहा जाता है। वहीं कुछ समुदायों में इसे शैतान का निशान मानकर बर्थमार्क धारण करने वाले को दुष्ट भी ठहरा दिया जाता है!
चीन में बर्थमार्क के आधार पर व्यक्तित्व की व्याख्या करने का चलन रहा है। कहते हैं कि यदि आपके बायें पैर पर निशान है, तो आप बहुत बुद्धिमान हैं और यदि दायें पैर पर निशान है, तो आप खूब यात्रा करेंगे। हां, यदि निशान आपके पेट पर है, तो यह इस बात को दर्शाता है कि आप बेहद लालची हैं! छाती पर मौजूद निशान कहता है कि आज नहीं तो कल आपकी किस्मत खुलने वाली है। जबड़े पर मौजूद बर्थमार्क स्वास्थ्य समस्याओं की ओर इशारा करता है। दायें कंधे पर बर्थमाक कहता है कि आप धनवान होंगे, जबकि बायें कंधे का बर्थमार्क इससे ठीक विपरीत कहता है।

हमारे शरीर पर प्रकृति ने कुछ सहज कलाकारी की और उसे लेकर हमारे पूर्वजों ने उतनी ही सहजता से ढेरों गाथाएं गुंथ लीं। आखिर गाथाएं गुंथना हमारी सहज वृत्ति जो है...! 

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