Sunday 2 July 2017

महाकायों की महागाथाएं

असामान्य रूप से विशाल काया तथा असाधारण शक्तियों वाले लोगों की अवधारणा हमें रोमांचित करती है। शायद इसीलिए संसार भर में ऐसे महाकाय दैत्यों की कहानियां पाई जाती हैं।
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अलग-अलग नस्ल के इंसानों के डील-डौल में यूं तो अंतर होता ही है मगर एक बात बड़ी रोचक है। लगभग सभी संस्कृतियों की पौराणिक कथाओं, लोक कथाओं आदि में कुछ ऐसे लोगों का उल्लेख मिलता है, जो विराट आकार के थे। आकार के साथ-साथ ये असामान्य बाहुबल व कई प्रकार की अन्य शक्तियों से भी लैस हुआ करते थे। अमूमन इन्हें खलनायक के रूप में चित्रित किया जाता है, जो किसी 'सामान्य" कद-काठी वाले व्यक्ति के हाथों परास्त होते हैं। इन कहानियों के द्वारा यह प्रतिपादित किया जाता है कि विराट आकार व शारीरिक बल भी सत्य व सदाचार के आगे टिक नहीं सकते। अंत में जीत सत्य की ही होती है।
असामान्य कद-काठी व बल वाले इन लोगों को हमारे यहां राक्षस, दैत्य, दानव आदि नाम दिए गए हैं, तो अन्य देशों में जायंट, टाइटन आदि। तर्कवादी अक्सर यह सवाल पूछते हैं कि क्या इस प्रकार के लोग वास्तव में होते थे? यह एक वैज्ञानिक तथ्य है कि अलग-अलग कालखंडों में मनुष्य का औसत कद बदलता रहा है। मगर इस औसत कद के हिसाब से, अनेक आख्यानों में वर्णित कुछ पात्रों की कद-काठी अतिरंजित ही कही जाएगी। मगर यह अतिरंजना ही इन कथाओं को मनोहारी बनाती है और इनमें निहित संदेश को उभारती है।
प्राचीन यूनान में ऐसे दैत्यों को धरती और आकाश की संतान माना जाता था। संभवत: यह प्रतीकात्मक चित्रण था, उन लोगों के लिए, जिनके पैर धरती पर हों, तो सिर आकाश को छूता है। यूनानी आख्यानों में देवताओं के साथ इन दैत्यों के भीषण युद्ध का भी उल्लेख मिलता है, जिसमें देवता विजयी रहे। कई बड़े-बड़े दैत्य पहाड़ों के नीचे दफन हो गए। माना जाता है कि ये दैत्य आज भी कभी भूकंप, तो कभी ज्वालामुखी के विस्फोट के रूप में अपनी उपस्थिति दर्ज कराते हैं। एक दैत्य एटलस को देवताओं के राजा ज़्यूस ने धरती के पश्चिमी छोर पर खड़े होकर आसमान को अपने कंधों पर उठाए रखने की सजा दी, जिसके चलते एटलस युग-युगांतर तक आसमान को थामे रखने को अभिशप्त है!
अमेरिकी आदिवासी समुदायों में ऐसे महाकायों का जिक्र आता है, जो 40 फीट से लेकर 200 फीट तक ऊंचे होते हैं! वहीं जापान में ओनी कहलाने वाले दैत्यों की अवधारणा रही है। इन्हें 'सबसे ऊंचे आदमी से भी कई गुना ऊंचा" बताया गया है। दिखने में ये बेहद डरावने होते हैं और इनका रंग लाल या नीला होता है। इनमें जबर्दस्त शारीरिक शक्ति होती है और ये कई तरह की आपदाएं ला सकते हैं। कहा जाता है कि यूं तो जब जीवन भर बुरे काम करने वाला व्यक्ति मरकर नरक में जाता है, तो वह ओनी बन जाता है मगर यदि कोई अत्यधिक दुष्ट हुआ, तो वह जीते-जी ओनी बन जाता है। ऐसे ही ओनी कई जापानी लोक कथाओं में पाए जाते हैं।

उत्तरी योरप के आख्यानों में कहा गया है कि विश्व का पहला प्राणी ईमिर नामक महाकाय ही था। उसका जन्म अग्नि और बर्फ के मिलन से हुआ था। कहा जाता है कि ईमिर के मांस से धरती बनी, रक्त से महासागर, अस्थियों से पर्वत बने, केश से वृक्ष और मस्तिष्क से बादल! उसके पसीने की बूंदों से अन्य दैत्यों का जन्म हुआ। यानी यह समूची सृष्टि का जनक है।

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