Sunday 27 August 2017

स्वर्ग के राजा का तोहफा

सांड व बैल का मानव जीवन में खास स्थान रहा है। इसे पूजा भी गया है और इसके इर्द-गिर्द अनेक रोचक मिथक भी गढ़े गए हैं।
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एक चीनी लोककथा के मुताबिक, एक बार स्वर्ग के राजा ने देखा कि पृथ्वी पर लोग भूख से मर रहे हैं। राजा को उन पर दया आ गई। स्वर्ग में दो दिव्य बैल थे। राजा ने इन्हें पृथ्वी पर भेजा, पृथ्वीवासियों के लिए इस संदेश के साथ कि यदि तुम खूब मेहनत करोगे, तो हर तीन दिन में कम से कम एक बार तुम्हें भोजन अवश्य मिलेगा। स्वर्ग के बैल धरती पर आ गए मगर अपने राजा का संदेश सुनाने में गड़बड़ा गए। उन्होंने पृथ्वीवासियों से कहा कि यदि तुम खूब परिश्रम करोगे, तो हर दिन कम से कम तीन बार तुम्हें भोजन मिलेगा, ऐसी स्वर्ग के राजा की आज्ञा है! जब राजा को यह पता चला, तो वे बहुत नाराज हुए क्योंकि वे जानते थे कि धरतीवासी कितनी ही मेहनत क्यों न कर लें, इतनी मात्रा में भोजन का उत्पादन नहीं कर सकते और इस तरह तो स्वयं उन पर झूठा होने की तोहमत आ जाएगी! तब स्वर्ग के राजा ने अपने बैलों को आदेश दिया कि वे हमेशा के लिए धरती पर ही रहें और मनुष्यों के हल जोतें। बस, तभी से बैल धरती पर हैं और हल जोतकर मनुष्यों का पेट भरने में मदद कर रहे हैं।
बैल व सांड का मानव जीवन के साथ-साथ मिथकों व लोककथाओं में खास स्थान रहा है। आदि मानव द्वारा गुफाओं की दीवारों पर अंकित चित्रों में बैल देखे जा सकते हैं। यानी ये इन प्राचीनतम कलाकारों के जीवन का भी अभिन्ना हिस्सा थे। मेसोपोटामिया में कहा जाता है कि जब सम्राट गिलगमेश ने सौंदर्य व प्रेम की देवी इनाना के प्रणय निवेदन को ठुकरा दिया, तो कुपित देवताओं ने गिलगमेश को सबक सिखाने के लिए गुगलाना को धरती पर भेजा। गुगलाना को स्वर्ग के सांड के रूप में भी जाना जाता था और वह इनाना की बहन व मृत्युलोक की देवी का पति था। गुगलाना के चलने मात्र से धरती कांप उठी थी मगर गिलगमेश ने अपने साथी के साथ मिलकर उसका काम तमाम कर दिया।
एक यूनानी पौराणिक कथा के अनुसार क्रीत द्वीप के राजा माइनॉस ने समुद्र के देवता पोसायडन से आग्रह किया कि वे बलि के लिए एक सफेद सांड भेजकर यह संकेत दें कि सिंहासन पर उसी का हक है, उसके भाइयों का नहीं। पोसायडन ने माइनॉस के पास एक सुंदर, सफेद सांड भेजा मगर माइनॉस ने तय किया कि इतने शानदार सांड की बलि देना मूर्खता होगी। उसने इस दिव्य सांड को रख लिया और इसकी जगह एक साधारण सांड की बलि दे दी। अब पोसायडन का कुपित होना लाजिमी था। सो उन्होंने प्रेम की देवी एफ्रडाइटी के साथ मिलकर ऐसा जाल बुना कि माइनॉस की पत्नी उस सांड के प्रेम में पड़ गई और उसने आधे मानव व आधे सांड माइनोटॉर को जन्म दिया! उधर प्राचीन ईरान की पौराणिक कथाओं में भी असाधारण शक्तियों से लैस सांड के अनेक किस्से आते हैं। यहां तक कि इसे ईश्वर की छह आरंभिक रचनाओं में से एक कहा गया है।

बैल व सांड को पूजे जाने का भी लंबा इतिहास रहा है। माना जाता है कि मिस्र मंे एपिस के रूप में सांड को ही सर्वप्रथम पूजा गया। भारत में नंदी को शिवजी के द्वारपाल तथा वाहन होने का गौरव प्राप्त है। असीरिया (उत्तरी इराक) व आसपास के इलाकों में मनुष्य के सिर तथा पंख लगे सांड के धड़ वाले 'लमासू" की प्रतिमाएं मिलती हैं। इन्हें राजमहलों आदि के प्रवेशद्वार पर द्वारपाल के तौर पर स्थापित किया जाता था। यही नहीं, धरती पर अपने लिए बहु-उपयोगी सांड को मनुष्य ने वृषभ तारामंडल के रूप में आसमान तक में स्थापित कर दिया है...! 

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