Sunday 3 June 2018

बदसूरत पंखों पर सवार आत्माएं!


चमगादड़ों को प्रकृति ने जैसा बनाया, उसके कारण उन्हें काफी बदनामी झेलनी पड़ी है। कभी इनका संबंध मृत्यु से जोड़ा गया, तो कभी शैतानी ताकतों से...
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चमगादड़ इन दिनों चर्चा में हैं। घातक निपाह वायरस फैलाने के आरोप में ये कटघरे में हैं। वैसे इन बेचारों का जब से मनुष्य से पाला पड़ा है, ये ज्यादातर कटघरे में ही रहे हैं। अपने डील-डौल या कहें चेहरे-मोहरे के कारण ये अपने इर्द-गिर्द एक रहस्यात्मकता का आवरण लिए होते हैं, जो मनुष्य को असहज व भयभीत करता है। यह भय अतार्किकता की हद तक जाकर नकारात्मक कल्पनाएं गढ़ लेता है और चल पड़ते हैं भांति-भांति के मिथक। यह कहना गलत नहीं होगा कि शायद ही कोई प्राणी इस कदर मुफ्त बदनाम हुआ हो, जिस कदर चमगादड़ हुआ है। निपाह फैलाने में इसकी भूमिका वैज्ञानिक तौर पर सिद्ध हुई है मगर अनेक कपोल-कल्पित आरोपों का बोझ भी यह ढोता रहा है।
चमगादड़ रात के अंधेरे में बाहर निकलता है। दिखने में आधा पशु, आधा पक्षी लगता है। यह मानव मस्तिष्क में संदेहों के बीज बोने व कल्पनाओं को खाद-पानी देने के लिए पर्याप्त है। दक्षिण अमेरिकी माया सभ्यता में चमगादड़ का संबंध मृत्यु व नरक से जोड़ा गया। मायन लोग कमाजोट्ज नामक देवता की पूजा करते थे, जिसका शरीर इंसान का और सिर व पंख चमगादड़ के थे। इंग्लैंड व स्कॉटलैंड में एक जमाने में लोग मानते थे कि चमगादड़ चुड़ैलों व शैतान के बीच संदेशवाहक का काम करते हैं। प्राचीन बेबीलोनिया में माना जाता था कि चमगादड़ दिवंगत आत्माओं के भौतिक रूप हैं। यानी व्यक्ति के मरने पर उसकी आत्मा चमगादड़ बनकर रहने लगती है! अफ्रीकी देश आइवरी कोस्ट में भी कुछ ऐसी ही मान्यता रही है। वहीं मैडागास्कर में चमगादड़ों को अपराधियों, काला जादू करने वालों व ऐसे लोगों की आत्मा माना जाता है, जिनका अंतिम संस्कार नहीं हो पाया। ग्रीस में इन्हें पाताल लोक से संबंध रखने वाले शैतानी जीव माना जाता था।
चमगादड़ों की तथाकथित तिलस्मी ताकतों का जादू इंसानी दिमाग पर इस कदर छाया कि उसने कुछ अजीबो-गरीब और वीभत्स टोटके भी ईजाद कर डाले। ऑस्ट्रिया में एक समय माना जाता था कि यदि कोई चमगादड़ की बायीं आंख धारण कर ले, तो वह अदृश्य हो सकता है! वहीं पड़ोसी जर्मनी में लोग मानते थे कि यदि चमगादड़ का दिल लाल डोरे से बांह पर बांध दिया जाए, तो आप ताश के खेल में कभी हार नहीं सकते। पश्चिमी देशों में ही यह भी कहा जाता था कि चुड़ैलें चमगादड़ के खून से बने पदार्थ की मदद से हवा में उड़ने में सक्षम होती हैं।
मेक्सिको में चली आई किंवदंति के मुताबिक, एक समय चमगादड़ को पक्षियों के सुंदर पंखों से ईर्ष्या हो आई थी। इसके दंडस्वरूप उसे बदसूरत होने व रात में विचरण करने का श्राप मिला। एक अन्य किंवदंति के अनुसार, चमगादड़ स्वयं सुंदर पंखों वाला पंछी हुआ करता था। मगर जब उसे अपनी सुंदरता पर अत्यधिक घमंड हो गया, तो उसके रंग-बिरंगे, सुंदर पंख झड़ गए और शर्मिंदगी के मारे वह दिन में छुपने लगा और रात को ही बाहर निकलने लगा। नाइजीरिया में चमगादड़ की निशाचरी के पीछे एक अलग कारण बताया जाता है। यहां की लोककथा के अनुसार, चमगादड़ की चूहे से दोस्ती हुआ करती थी मगर वह चूहे से ईर्ष्या भी करता था। एक बार उसने बातों-बातों में भोले चूहे के गले यह बात उतार दी कि यदि उबलते पानी में स्नान किया जाए, तो उससे बना सूप बड़ा ही स्वादिष्ट होता है। चूहे ने घर जाकर यह नुस्खा आजमाया और उबलते पानी में कूदकर मर गया। चमगादड़ की कारस्तानी से नाराज राजा ने उसे गिरफ्तार करने के लिए सैनिक भेजे, तो चमगादड़ उड़नछू हो या। तभी से वह दिन में गुफाओं में छुपता है और केवल रात में बाहर निकलता है।
हर ओर से बदनामी झेल रहे चमगादड़ को यदि कहीं से राहत मिल सकती है, तो वह है चीन। यहां इसे सौभाग्य के प्रतीक के तौर पर देखा जाता है और इसका संबंध खुशहाली व दीर्घायु से जोड़ा जाता है...!

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