Sunday 20 May 2018

जूतों में शुभ, अशुभ... और मिठाई!


धूल, मिट्टी व गंदगी के संपर्क में आने के कारण जूते अशुद्ध व अपवित्र माने जाते हैं मगर ये ही जूते कहीं-कहीं अच्छे शगुन के भी काम आते हैं...!
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अंतर-सांस्कृतिक मेल-मिलाप में कभी-कभी कोई बहुत बड़ी चूक भी हो जाती है। पिछले दिनों इसराइल के प्रधानमंत्री ने अपने देश आए जापान के प्रधानमंत्री व उनकी पत्नी के सम्मान में भोज दिया, तो ऐसी ही चूक ने रंग में भंग डाल दिया। भोजन तो बढ़िया रहा लेकिन अंत में जब मीठा परोसा गया, तो साधारण प्लेट में नहीं, दो जोड़ी जूतों के आकार के पात्रों में रखकर परोसा गया! प्रधानमंत्री महोदय के सेलिब्रिटी शेफ को लगा कि यह अनोखा आइडिया रहेगा मगर जापानी अतिथियों को यह सरासर वाहियात और अपमानजनक लगा। पूर्व के कई देशों-संस्कृतियों की ही तरह जापान में भी जूतों को लेकर बहुत सख्त निषेध हैं। जापानी किसी हालत में घर के भीतर जूते नहीं लाते। और यहां तो जूतों में रखकर खाद्य पदार्थ परोसा गया! अनजाने में ही सही, इसराइली प्रधानमंत्री महोदय अपने मेहमानों का अपमान कर बैठे।
जूतों को अशुद्ध मानते हुए इन्हें घर के बाहर छोड़कर प्रवेश करने का रिवाज भारत, जापान के अलावा चीन, कोरिया, ताईवान, वियतनाम तथा कुछ मध्य-पूर्वी देशों में भी है। दिलचस्प बात यह है कि इसराइल में भी जूतों को लेकर कुछ स्पष्ट निषेधों का पालन किया जाता है। मसलन, सिनेगॉग (धर्मस्थल) में श्रद्धालुओं को आशीर्वचन देने के लिए प्रवेश करने से पूर्व पुरोहित अपने जूते उतार देते हैं। इसके अलावा, घर में किसी की मृत्यु होने पर सात दिन की शोक अवधि में परिवार के सदस्यों के लिए चमड़े के जूते पहनना वर्जित होता है। प्राचीन काल में इसराइली लोग किसी शवयात्रा में नंगे पैर ही जाया करते थे।
जूते भले ही हमारे पैरों की रक्षा करने के काम आते हैं मगर अपना फर्ज निभाते हुए ये दुनिया भर की धूल-मिट्टी व गंदगी के संपर्क में आते हैं। यही कारण है कि इन्हें व्यापक तौर पर अशुद्ध, अपवित्र व घृणास्पद मानने का चलन है। इसी के चलते किसी को जूते से मारना या उस पर जूता फेंकना उसका घोर अपमान माना जाता है। मगर इंग्लैंड में, इसके ठीक विपरीत, अच्छे शगुन के लिए जूता फेंका जाता है! वहां पुरातन मान्यता रही है कि जब कोई लंबे सफर पर निकले, तो घर वाले पीछे से उसकी ओर जूता फेंकते हैं। इससे उसकी यात्रा सफल होती है, ऐसा विश्वास है। सफर पर निकल रहे समुद्री जहाज की ओर भी लोग जूता फेंका करते थे, इस कामना के साथ कि जहाज अपना सफर कुशलतापूर्वक पूरा कर लौट आए।
कुछ पश्चिमी देशों में शादी करके लौट रहे दूल्हा-दुल्हन के वाहन के पीछे एक जोड़ी जूते बांधने की परंपरा रही है। कहा जाता है कि इससे उनका दांपत्य जीवन खुशहाल रहता है और घर में जल्द किलकारियां गूंजने की संभावना बढ़ती है। घर में कोई बीमार हो और रात को बाहर कोई कुत्ता रो रहा हो, तो इसे अपशकुन माना जाता है। मगर दिलचस्प बात यह है कि इसका तोड़ भी उपलब्ध करा दिया गया है। ऐसा कहा जाता है कि यदि आप बीमार व्यक्ति के जूते को उल्टा कर दो, तो कुत्ते के रोने से होने वाला अपशकुन स्वत: निरस्त हो जाता है! हालांकि हमारे यहां कहा जाता है कि जूता-चप्पल उल्टा रखने से किसी के साथ झगड़ा होने की आशंका रहती है...
हमारी बात शुरू हुई थी टेबल पर जूतों में रखकर खाना परोसने की घटना से। तो यह भी जान लें कि पश्चिमी देशों में टेबल पर जूते रखने को लेकर भी विचित्र मान्यताएं हैं। कहा जाता है कि अगर किसी पुरुष ने टेबल पर जूते रखे, तो रात होने से पहले उसका किसी से झगड़ा हो जाएगा। और यदि किसी महिला ने टेबल पर अपने जूते रख दिए, तो परिवार की कोई स्त्री गर्भवती हो जाएगी...!

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