Sunday 30 December 2018

फल के बाहर आकर पछताया काजू बीज


यदि आप सर्दियों का लुत्फ लेते हुए काजू-बादाम खा रहे हैं, तो जरा इनसे जुड़े किस्सों का भी रसास्वादन कीजिए। ये किस्से दिलचस्प भी हैं और दार्शनिक भी।
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काजू का बीज फल के भीतर होने के बजाए बाहर क्यों होता है? फिलिपीन्स की एक लोककथा ने इस सवाल का जवाब देने की कोशिश की है। इसके अनुसार, पहले काजू के बीज भी फल के भीतर ही हुआ करते थे। मगर भीतर वे खुद को बंधा हुआ महसूस करते थे। वे फल की कैद में बैठे-बैठे ही चिड़ियों का चहचहाना, नदियों की कलकल, बच्चों की किलकारियां, हवाओं की सरसराहट आदि सुना करते थे और सोचते थे कि कितना अच्छा होता यदि वे यह सब देख पाते! उन्हें अफसोस था कि वे बाहर की दुनिया तभी देख सकते हैं, जब कोई खाने के इरादे से उन्हें फल के बाहर निकाले। फिर कुछ ही पल में वे किसी के मुंह का निवाला बनते और सब कुछ खत्म...। काजू के बीजों ने इच्छा जताई कि काश हम फल के बाहर होेते! वन परी ने उनकी इच्छा सुनी और अपनी तिलस्मी शक्तियों से इसे साकार कर दिया।
अब काजू के बीज फल के बाहर लगने लगे। वे संसार के सौंदर्य को देखकर खुश थे। मगर जल्द ही वे तस्वीर के दूसरे रुख से भी दो-चार हुए। दोपहर में जब धूप तेज हुई, तो वे उसकी तपिश से परेशान हो गए। रात को जब कंपकंपा देने वाली सर्द हवाएं चलीं तो वे कांप उठे। उन्हें खुले में टंगा देखकर पक्षी उनका भक्षण करने के लिए लपकने लगे। उन्हें एहसास हुआ कि वे फल के भीतर ही अधिक सुरक्षित थे। तब उन्होंने वन परी से गुहार लगाई कि उन्हें वापस फल के भीतर कर दिया जाए मगर परी ने कह दिया कि तुम्हारी इच्छा पूरी की जा चुकी है, अब तुम जहां हो वहीं रहोगे। कहानी का संदेश संभवत: यही है कि प्रकृति ने जो जैसा बनाया है, उसके पीछे ठोस वजह है। उसके विपरीत जाने की कोशिश नहीं करना चाहिए।
मनुष्य की कल्पनाशक्ति के विस्तृत दायरे से काजू-बादाम जैसे सूखे मेवे भी बाहर नहीं हैं। इनके इर्द-गिर्द रचे गए किस्से-कहानियां मानो इनके स्वाद को और रुचिकर बना देते हैं। बादाम की उत्पत्ति को लेकर ग्रीस की एक दंतकथा कहती है कि फिलिस नामक राजकुमारी का प्रेमी अकामस युद्ध पर गया और नहीं लौटा। उसे यकीन हो गया कि अकामस युद्ध में मारा गया है। दुख के मारे उसने प्राण त्याग दिए। तब देवी एथेना ने फिलिस के प्रेम से द्रवित होकर उसे एक वृक्ष में तब्दील कर दिया। यही बादाम का वृक्ष है। फिलिस का प्रेमी अकामस मरा नहीं था। दस साल बाद जब वह लौटा और उस वृक्ष का आलिंगन किया, तो उस पर बहार आ गई। तभी से बादाम के वृक्ष को ग्रीस में प्रेम और आशा का प्रतीक माना जाता आया है।
आज भी ग्रीक शादियों में शकर चढ़े बादामों को विषम संख्या में छोटी-छोटी पोटलियों में बांधकर, चांदी की तश्तरी में रखकर परोसा जाता है। विषम संख्या का बंटवारा नहीं किया जा सकता और आशा की जाती है कि नवविवाहित जोड़े को भी कभी 'बांटा" नहीं जा सकेगा और वे सदा एक रहेंगे। बादाम में मीठे व कड़वे स्वाद का मिश्रण होता है। यह जीवन का प्रतीक है क्योंकि जीवन में भी आपको मीठे के साथ-साथ कड़वा भी मिलता है। उस पर शकर चढ़ाकर कामना की जाती है कि नवविवाहितों के जीवन में मीठे का अनुपात ज्यादा हो।
स्वीडन में क्रिसमस के अवसर पर चावल की एक प्रकार की खीर बनाने की परंपरा है। इसमें कुल जमा एक बादाम डाला जाता है। जिस किसी के हिस्से में यह बादाम आए, माना जाता है कि उसके लिए आने वाला साल शुभ रहेगा...

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