Sunday 3 February 2019

फूलों में महकते किस्से


फूलों ने संसार को खूबसूरत बनाया, तो इनकी उत्पत्ति भला नीरस कैसे रह सकती थी? मनुष्य ने विभिन्ना फूलों की उत्पत्ति के पीछे रोचक किस्से गढ़े हैं। इनमें प्रेम भी है, विरह भी और थोड़ा तिलस्म भी।
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तुर्की की एक प्रसिद्ध लोककथा के अनुसार, फरहाद नामक शिल्पकार को राजकुमारी शीरीं से प्रेम हो गया। शीरीं भी उसके प्रेम में गिरफ्तार हो गई। जाहिर है, शीरीं के पिता को यह स्वीकार नहीं हो सकता था कि उनकी बेटी एक आम शिल्पकार के प्रेम में पड़े। उन्होंने फरहाद के सामने एक असंभव-सी शर्त रख दी और इसके पूरा होने पर शीरीं का हाथ उसे देने का वादा किया। शर्त यह थी कि फरहाद पहाड़ों के बीच नहर खोद दे। प्रेम में पागल फरहाद इस काम में जुट गया और धीरे-धीरे नहर का काम पूरा होने को आया। जब राजा ने देखा कि फरहाद शर्त पूरी करने को है, तो उसने शीरीं की मौत की झूठी खबर फरहाद तक पहुंचा दी। फरहाद इस कदर व्यथित हुआ कि उसने अपने औजारों से ही खुद के प्राण ले लिए। उधर शीरीं को जब फरहाद की मौत की खबर लगी, तो वह दौड़ती हुई उसके पास गई और उसने भी खुदकुशी कर ली। दोनों प्रेमियों का खून बहकर एकाकार हो गया और उसने एक खूबसूरत फूल का रूप ले लिया। यही फूल ट्यूलिप कहलाया।
रंग-बिरंगे, खुशबू बिखेरते फूलों के आकर्षण में सदा से कैद रहे इंसान ने कई पुष्पों की उत्पत्ति की ऐसी ही दिलचस्प कहानियां गढ़ी हैं। मानो किसी फूल की सुंदरता व महक ही उसके लिए काफी नहीं थी। उस फूल की उत्पत्ति को किसी विशेष कहानी से संबद्ध करना भी जरूरी था। सो ऐसे अनेक किस्से-कहानियां चल पड़े। खास बात यह कि ऐसी अधिकांश कहानियों में अधूरे प्रेम का वर्णन था।
ग्रीक मिथकों में नारसिसस नामक शिकारी का जिक्र है, जिस पर एक दिन पहाड़ी युवती एको की नजर पड़ी और वह उसे दिल दे बैठी। वह छुप-छुपकर नारसिसस का पीछा करती रही। जब नारसिसस को महसूस हुआ कि कोई उसका पीछा कर रहा है, तो उसने पलटकर पूछा कि कौन है वहां? एको ने उसी का वाक्य दोहरा दिया, 'कौन है वहां?" कुछ देर तक यही चलता रहा कि एको नारसिसस का वाक्य ही दोहरा देती। आखिरकार वह सामने आई और नारसिसस के प्रति प्रेम का इजहार किया। मगर मगरूर नारसिसस ने उसे दुत्कार दिया। एको अपना टूटा दिल लिए एक कंदरा में चली गई और विरह में तिल-तिल कर खत्म हो गई। उसकी जगह रह गई केवल उसकी आवाज, जो दूसरों की आवाज की प्रतिध्वनि के रूप में सुनाई देती। जब प्रेम व सौंदर्य की देवी एफ्रोडाइटी ने एको का यह हश्र देखा, तो नारसिसस को उसके घमंड की सजा देने की ठानी। एक दिन नारसिसस जंगल में अपनी प्यास बुझाने के लिए पानी की तलाश कर रहा था। एफ्रोडाइटी ने अपनी शक्तियों से उसे एक ताल की ओर खींचा। जैसे ही वह पानी पीने के लिए झुका, ताल में अपना प्रतिबिंब देखकर उस पर मोहित हो गया। अपने ही प्रतिबिंब के प्रेम में वह इस कदर पड़ा कि उस स्थान से हट नहीं सका। पानी में खुद को निहारते हुए ही अंतत: उसकी देह निष्प्राण हो गई। उसके स्थान पर एक फूल प्रकट हुआ, जिसे नारसिसस (नरगिस) के नाम से जाना गया।
लाल गुलाब की उत्पत्ति को लेकर रोमन कथा यह है कि पहले दुनिया के सारे गुलाब सफेद हुआ करते थे। ये सौंदर्य की देवी वीनस को बहुत प्रिय थे। एक दिन उनका पैर कंटीली झाड़ियों में पड़ गया और उससे खून बह निकला इस खून से रंगकर सफेद गुलाब लाल हो गए। आगे किस्सा यह है कि एक दिन वीनस के पुत्र और प्रेम के देवता क्यूपिड गुलाब को सूंघ रहे थे, तो उसमें छिपी मधुमक्खी ने उनके होंठ पर डंक मार दिया। वीनस ने क्यूपिड के होंठ से मधुमक्खी का डंक निकाला और उसे गुलाब की डाल पर रख दिया। इस डंक ने ही कांटे का रूप लिया और इस प्रकार गुलाब के पौधों पर कांटे उपस्थित हुए।

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