Sunday 3 March 2019

जब चाहकर भी जहर से न मर सका सम्राट


जहर को लेकर अनेक वास्तविक व काल्पनिक किस्से चले आए हैं। इनमें से कुछ बड़े ही दिलचस्प होते हैं...
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एक किंवदंती है कि पांचवीं सदी ईसा पूर्व के फारसी सम्राट आर्टजर्कसिस द्वितीय की मां परिसटिस और पत्नी स्टेटीरा की आपस में बिल्कुल नहीं बनती थी। दोनों के बीच इस कदर परस्पर अविश्वास था कि वे एक-दूसरे पर जहर द्वारा हत्या का षड़यंत्र रचने का शक करती थीं। इस शक के चलते दोनों का कुछ खाना-पीना दुश्वार हो गया। तब हल यह निकाला गया कि वे दोनों एक ही साथ, एक ही रसोइये द्वारा बनाए गए एक-जैसे व्यंजनों का सेवन करेंगी। अब बात यह थी कि परिसटिस वास्तव में अपनी बहू का काम तमाम करना चाहती थी और चूंकि दोनों का भोजन एक ही होता था, सो यह संभव नहीं हो पा रहा था। तब उसने एक नायाब चाल चली। उसने छुरी की एक ओर की एक धार पर जहर लगाया। फिर भोजन के दौरान भुने हुए मांस का एक टुकड़ा जहर लगी धार से काटकर अपनी बहू को परोसा और दूसरी ओर वाली धार से कटा दूसरा टुकड़ा खुद खाया। स्टेटीरा बीमार पड़ी और तड़प-तड़पकर मर गई। मगर मरने से पहले उसने अपने पति से स्पष्ट कह दिया कि मुझे शक है तुम्हारी मां ने मुझे जहर दिया है। पत्नी की मृत्यु से दुखी सम्राट ने अपनी मां के सेवकों पर खूब कहर बरपाया, जब तक कि उन्होंने सच नहीं उगल दिया। फिर उसने राजमाता परिसटिस को देश निकाला दे दिया।
प्रमाणित इतिहास हो या मथिकीय कथाएं, जहर के प्रयोग के ऐसे सैंकड़ों उदाहरण मिल जाते हैं। इनमें कुछ अतिरंजित होते हैं, तो कुछ की प्रामाणिकता संदिग्ध होती है। कुछ किस्से सच्चे होते हैं, तो कुछ कोरी गल्प। जो भी हो, इनमें से कई किस्से रोचकता से भरपूर होते हैं। सुकरात को जहर देकर मारा गया था, तो क्लियोपेट्रा ने अपने प्राण सांप के जहर से ले लिए। सिकंदर की मौत की वजह भी कुछ लोग जहर बताते हैं। भारत में विष कन्याओं के कई किस्से बताए जाते हैं।
तुर्की का एक इलाका प्राचीन काल में पॉन्टस कहलाता था। यहां के सम्राट मित्रदातिस षष्ठम को भी जहर से मारे जाने का डर था और वह भी खुद अपनी मां के हाथों! कहा जाता था कि सम्राट की मां ने अपने पति को जहर देकर मरवा दिया था। दोनों बेटों के नाबालिग होने के कारण वह स्वयं राजपाट चला रही थी। मित्रदातिस को शक था कि उसके छोटे भाई को राजगद्दी पर आसीन करने की खातिर मां उसे भी जहर देकर रास्ते से हटा सकती है। जब वह बीमार रहने लगा, तो उसका शक पुख्ता हो गया कि उसे धीमा जहर दिया जा रहा है। वह राजमहल से भाग खड़ा हुआ और जंगलों में रहने लगा। यहां वह किसी ऐसी खुराक की खोज में जुट गया, जिसमें संसार में मौजूद हर तरह के जहर की काट हो। बरसों की मेहनत के बाद वह सफल हुआ और इस खुराक की बदौलत उसका शरीर किसी भी जहर को बेअसर करने में सक्षम हो गया। वह राजधानी लौटा और राजगद्दी पर अपना हक जताकर उस पर आसीन भी हो गया। समय का पहिया घूमा। रोमन शासक पॉम्पी से युद्ध में पराजित होकर मित्रदातिस को काले सागर के उत्तर की ओर भागना पड़ा। वहां रहकर वह स्थानीय लोगों को लेकर नए सिरे से सेना गठित करने लगा ताकि अपना राजपाट वापस हासिल कर सके। मगर सेना खड़ी करने के फेर में उसने लोगों पर इस कदर सख्ती की कि वे उसके खिलाफ विद्रोह कर उठे। हारकर मित्रदातिस ने आत्महत्या का फैसला किया मगर जब उसने जहर खाया, तो वह बेअसर रहा। कभी जहर से खौफ खाने वाला सम्राट अब चाहकर भी जहर से नहीं मर सकता था! तब उसने अपने मित्र बिट्यूटस से विनती की कि वह अपनी तलवार द्वारा उसे जलालत भरे जीवन से मुक्त कर दे। बिट्यूटस ने भारी मन से सम्राट की इच्छा पूरी कर दी...

2 comments:

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